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पानी में मीन प्यासी

20 जून 2022

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पानी में मीन प्यासी। मोहे सुन सुन आवत हांसी॥ध्रु०॥

आत्मज्ञानबिन नर भटकत है। कहां मथुरा काशी॥१॥

भवसागर सब हार भरा है। धुंडत फिरत उदासी॥२॥

मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। सहज मिळे अविनशी॥३॥

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रचनाएँ
मीराबाई की प्रसिद्ध रचनाएँ
5.0
मीरा के पदों में कृष्ण लीला एवं महिमा के वर्णन का उद्देश्य मीराबाई द्वारा कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति का प्रकटीकरण करना था। मीराबाई बचपन से ही कृष्ण की अनन्य भक्तिन थीं। मीराबाई श्रीकृष्ण को ही अपना प्रियतम मान बैठी थीं। रस-योजना - मीराबाई के काव्य में प्राय: श्रृंगार रस की अभिव्यंजना हुई है। श्रृंगार के दोनों पक्षों संयोग तथा वियोग का अपने पदों में उन्होंने सुंदर निरूपण किया है। उनके भक्ति तथा विनय संबंधी पदों में शांत रस का प्रयोग है। पदों में मुख्य रूप से माधुर्य तथा प्रसाद गुण है। इस पद में मीराबाई अपने प्रिय भगवान श्रीकृष्ण से विनती करते हुए कहतीं हैं कि हे प्रभु अब आप ही अपने भक्तों की पीड़ा हरें। जिस तरह आपने अपमानित द्रोपदी की लाज उसे चीर प्रदान करके बचाई थी मीरा बाई भगवान श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मानी जाती है। मीरा बाई ने जीवनभर भगवान कृष्ण की भक्ति की और कहा जाता है कि उनकी मृत्यु भी भगवान की मूर्ति में समा कर हुई थी।
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नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो

18 जून 2022
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नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो॥ थांरा देसा में राणा साध नहीं छै, लोग बसे सब कूड़ो। गहणा गांठी राणा हम सब त्यागा, त्याग्यो कररो चूड़ो॥ काजल टीकी हम सब त्याग्या, त्याग्यो है बांधन जूड़ो। मी

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हरि तुम हरो जन की भीर

18 जून 2022
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हरि तुम हरो जन की भीर। द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढायो चीर॥ भक्त कारण रूप नरहरि, धरयो आप शरीर। हिरणकश्यपु मार दीन्हों, धरयो नाहिंन धीर॥ बूडते गजराज राखे, कियो बाहर नीर। दासि 'मीरा लाल गिरिधर, दु:ख

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नैना निपट बंकट छबि अटके

18 जून 2022
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नैना निपट बंकट छबि अटके। देखत रूप मदनमोहन को, पियत पियूख न मटके। बारिज भवाँ अलक टेढी मनौ, अति सुगंध रस अटके॥ टेढी कटि, टेढी कर मुरली, टेढी पाग लट लटके। 'मीरा प्रभु के रूप लुभानी, गिरिधर नागर नट के

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मोती मूँगे उतार बनमाला पोई

18 जून 2022
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मोती मूँगे उतार बनमाला पोई॥ अंसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई। अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई॥ दूध की मथनिया बडे प्रेम से बिलोई। माखन जब काढि लियो छाछ पिये कोई॥ भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई।

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बादल देख डरी

18 जून 2022
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बादल देख डरी हो, स्याम, मैं बादल देख डरी श्याम मैं बादल देख डरी काली-पीली घटा ऊमड़ी बरस्यो एक घरी जित जाऊं तित पाणी पाणी हुई सब भोम हरी जाके पिया परदेस बसत है भीजे बाहर खरी मीरा के प्रभु गिरधर ना

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पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो

18 जून 2022
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पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो। वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरू, किरपा कर अपनायो॥ जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो। खरच न खूटै चोर न लूटै, दिन-दिन बढ़त सवायो॥ सत की नाँव खेवटिया सतगुरू, भवसा

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पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे

18 जून 2022
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पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे। मैं तो मेरे नारायण की आपहि हो गई दासी रे। लोग कहै मीरा भई बावरी न्यात कहै कुलनासी रे॥ विष का प्याला राणाजी भेज्या पीवत मीरा हाँसी रे। 'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर सहज म

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श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो

18 जून 2022
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श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो। औरन सूँ खेलै धमार, म्हासूँ मुखहुँ न बोले हो॥ म्हारी गलियाँ ना फिरे वाके, आँगन डोलै हो। म्हारी अँगुली ना छुए वाकी, बहियाँ मरोरै हो॥ म्हारो अँचरा ना छुए वाको, घूँघट खोलै हो

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तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार

18 जून 2022
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तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार। मुरली तेरी मन हर्यो, बिसर्यो घर-व्यौहार॥ जब तें सवननि धुनि परि, घर आँगण न सुहाइ। पारधि ज्यूँ चूकै नहीं, मृगी बेधी दइ आइ॥ पानी पीर न जानई ज्यों मीन तड़फि

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बरसै बदरिया सावन की

18 जून 2022
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बरसै बदरिया सावन की, सावन की मनभावन की । सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की ॥ उमड घुमड चहुं दिस से आयो, दामण दमके झर लावन की । नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै, सीतल पवन सुहावन की ॥

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हेरी म्हा दरद दिवाणौ

18 जून 2022
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हेरी म्हा दरद दिवाणौ म्हारा दरद ना जाण्याँ कोय । घायल री गत घायल जाण्याँ हिबडो अगण संजोय ॥ जौहर की गत जौहरी जाणै क्या जाण्याँ जण खोय मीरा री प्रभु पीर मिटाँगा जब वैद साँवरो होय ॥

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मन रे पासि हरि के चरन

18 जून 2022
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मन रे पासि हरि के चरन। सुभग सीतल कमल- कोमल त्रिविध - ज्वाला- हरन। जो चरन प्रह्मलाद परसे इंद्र- पद्वी- हान।। जिन चरन ध्रुव अटल कींन्हों राखि अपनी सरन। जिन चरन ब्राह्मांड मेंथ्यों नखसिखौ श्री भरन।।

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प्रभु कब रे मिलोगे

18 जून 2022
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प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े।।टेक।। अन्न नहीं भावे नींद न आवे विरह सतावे मोय। घायल ज्यूं घूमूं खड़ी रे म्हारो दर्द न जाने कोय।।१।। दिन तो खाय गमायो री, रैन गमाई सोय। प्राण गंवा

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तुम बिन नैण दुखारा

18 जून 2022
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म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।। तन मन धन सब भेंट धरूंगी भजन करूंगी तुम्हारा। म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।। तुम गुणवंत सुसाहिब कहिये मोमें औगुण सारा।। म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।। मैं निगुणी कछु गुण न

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हरो जन की भीर

18 जून 2022
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हरि तुम हरो जन की भीर। द्रोपदी की लाज राखी, चट बढ़ायो चीर।। भगत कारण रूप नर हरि, धरयो आप समीर।। हिरण्याकुस को मारि लीन्हो, धरयो नाहिन धीर।। बूड़तो गजराज राख्यो, कियौ बाहर नीर।। दासी मीरा लाल गिरध

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म्हारो अरजी

18 जून 2022
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तुम सुणो जी म्हारो अरजी। भवसागर में बही जात हूँ काढ़ो तो थारी मरजी। इण संसार सगो नहिं कोई सांचा सगा रघुबरजी।। मात-पिता और कुटम कबीलो सब मतलब के गरजी। मीरा की प्रभु अरजी सुण लो चरण लगावो थारी मरजी।

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मेरो दरद न जाणै कोय

18 जून 2022
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हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय। घायल की गति घायल जाणै, जो कोई घायल होय। जौहरि की गति जौहरी जाणै, की जिन जौहर होय। सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस बिध होय। गगन मंडल पर सेज पिया की किस ब

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राखौ कृपानिधान

18 जून 2022
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अब मैं सरण तिहारी जी, मोहि राखौ कृपा निधान। अजामील अपराधी तारे, तारे नीच सदान। जल डूबत गजराज उबारे, गणिका चढ़ी बिमान। और अधम तारे बहुतेरे, भाखत संत सुजान। कुबजा नीच भीलणी तारी, जाणे सकल जहान। कहं

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कोई कहियौ रे

18 जून 2022
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कोई कहियौ रे प्रभु आवन की, आवनकी मनभावन की। आप न आवै लिख नहिं भेजै , बाण पड़ी ललचावन की। ए दोउ नैण कह्यो नहिं मानै, नदियां बहै जैसे सावन की। कहा करूं कछु नहिं बस मेरो, पांख नहीं उड़ जावनकी। मी

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दूखण लागे नैन

18 जून 2022
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दरस बिन दूखण लागे नैन। जबसे तुम बिछुड़े प्रभु मोरे, कबहुं न पायो चैन। सबद सुणत मेरी छतियां, कांपै मीठे लागै बैन। बिरह व्यथा कांसू कहूं सजनी, बह गई करवत ऐन। कल न परत पल हरि मग जोवत, भई छमासी रैन।

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कल नाहिं पड़त जिस

18 जून 2022
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सखी मेरी नींद नसानी हो। पिवको पंथ निहारत सिगरी, रैण बिहानी हो। सखियन मिलकर सीख दई मन, एक न मानी हो। बिन देख्यां कल नाहिं पड़त जिय, ऐसी ठानी हो। अंग-अंग ब्याकुल भई मुख, पिय पिय बानी हो। अंतर बेदन

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आय मिलौ मोहि

18 जून 2022
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राम मिलण के काज सखी, मेरे आरति उर में जागी री। तड़पत-तड़पत कल न परत है, बिरहबाण उर लागी री। निसदिन पंथ निहारूँ पिवको, पलक न पल भर लागी री। पीव-पीव मैं रटूँ रात-दिन, दूजी सुध-बुध भागी री। बिरह भुजं

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लोक-लाज तजि नाची

18 जून 2022
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मैं तो सांवरे के रंग राची। साजि सिंगार बांधि पग घुंघरू, लोक-लाज तजि नाची।। गई कुमति, लई साधुकी संगति, भगत, रूप भै सांची। गाय गाय हरिके गुण निस दिन, कालब्यालसूँ बांची।। उण बिन सब जग खारो लागत, और ब

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मैं बैरागण हूंगी

18 जून 2022
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बाला मैं बैरागण हूंगी। जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे, सोही भेष धरूंगी। सील संतोष धरूँ घट भीतर, समता पकड़ रहूंगी। जाको नाम निरंजन कहिये, ताको ध्यान धरूंगी। गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा, मन मुद्रा पैरूं

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बसो मोरे नैनन में

18 जून 2022
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बसो मोरे नैनन में नंदलाल। मोहनी मूरति सांवरि सूरति, नैणा बने बिसाल। अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती-माल।। छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल। मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भगत बछल गोपाल।।

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मोरे ललन

18 जून 2022
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जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन। रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे। जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।। गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे। जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।। उठो लालजी भोर भयो है सुर न

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चितवौ जी मोरी ओर

18 जून 2022
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तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर। हम चितवत तुम चितवत नाहीं मन के बड़े कठोर। मेरे आसा चितनि तुम्हरी और न दूजी ठौर। तुमसे हमकूँ एक हो जी हम-सी लाख करोर।। कब की ठाड़ी अरज करत हूँ अरज करत भै भोर। मीरा के

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प्राण अधार

18 जून 2022
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हरि मेरे जीवन प्राण अधार। और आसरो नांही तुम बिन, तीनू लोक मंझार।। हरि मेरे जीवन प्राण अधार आपबिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार। हरि मेरे जीवन प्राण अधार मीरा कहै मैं दासि रावरी, दीज्यो मती

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दूसरो न कोई

18 जून 2022
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मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।। जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई। तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई।। छांडि दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई। संतन ढिग बैठि बैठि लोकलाज खोई।। चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही

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म्हारे घर

18 जून 2022
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म्हारे घर होता जाज्यो राज। अबके जिन टाला दे जाओ सिर पर राखूं बिराज।। म्हे तो जनम जनमकी दासी थे म्हांका सिरताज। पावणड़ा म्हांके भलां ही पधारया सब ही सुघारण काज।। म्हे तो बुरी छां थांके भली छै घणेरी

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मैं अरज करूँ

18 जून 2022
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प्रभुजी मैं अरज करुँ छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार।। इण भव में मैं दुख बहु पायो संसा-सोग निवार। अष्ट करम की तलब लगी है दूर करो दुख-भार।। यों संसार सब बह्यो जात है लख चौरासी री धार। मीरा के प्रभु गि

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प्रभु, कबरे मिलोगे

18 जून 2022
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प्रभुजी थे कहाँ गया, नेहड़ो लगाय। छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेम की बाती बलाय।। बिरह समंद में छोड़ गया छो हकी नाव चलाय। मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे तुम बिन रह्यो न जाय।।

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मीरा दासी जनम जनम की

18 जून 2022
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प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय।। जल बिन कमल, चंद बिन रजनी, ऐसे तुम देख्याँ बिन सजनी। आकुल व्याकुल फिरूँ रैन दिन, बिरह कालजो खाय।। दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न आवे बैना। कह

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आली रे!

18 जून 2022
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आली रे मेरे नैणा बाण पड़ी। चित्त चढ़ो मेरे माधुरी मूरत उर बिच आन अड़ी। कब की ठाढ़ी पंथ निहारूँ अपने भवन खड़ी।। कैसे प्राण पिया बिन राखूँ जीवन मूल जड़ी। मीरा गिरधर हाथ बिकानी लोग कहै बिगड़ी।।

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प्रभु गिरधर नागर

18 जून 2022
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बरसै बदरिया सावन की सावन की मनभावन की। सावन में उमग्यो मेरो मनवा भनक सुनी हरि आवन की। उमड़ घुमड़ चहुँ दिसि से आयो दामण दमके झर लावन की। नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै सीतल पवन सोहावन की। मीरा

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राख अपनी सरण

18 जून 2022
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मन रे परसि हरिके चरण। सुभग सीतल कंवल कोमल,त्रिविध ज्वाला हरण। जिण चरण प्रहलाद परसे, इंद्र पदवी धरण।। जिण चरण ध्रुव अटल कीन्हे, राख अपनी सरण। जिण चरण ब्रह्मांड भेट्यो, नखसिखां सिर धरण।। जिण चरण

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कीजो प्रीत खरी

18 जून 2022
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बादल देख डरी हो, स्याम! मैं बादल देख डरी। श्याम मैं बादल देख डरी। काली-पीली घटा ऊमड़ी बरस्यो एक घरी। श्याम मैं बादल देख डरी। जित जाऊँ तित पाणी पाणी हुई भोम हरी।। जाका पिय परदेस बसत है भीजूं बाहर

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आज्यो म्हारे देस

18 जून 2022
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बंसीवारा आज्यो म्हारे देस। सांवरी सुरत वारी बेस।। ॐ-ॐ कर गया जी, कर गया कौल अनेक। गिणता-गिणता घस गई म्हारी आंगलिया री रेख।। मैं बैरागिण आदिकी जी थांरे म्हारे कदको सनेस। बिन पाणी बिन साबुण जी, होय

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मीरा के प्रभु गिरधर नागर

18 जून 2022
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गली तो चारों बंद हुई हैं, मैं हरिसे मिलूँ कैसे जाय।। ऊंची-नीची राह रपटली, पांव नहीं ठहराय। सोच सोच पग धरूँ जतन से, बार-बार डिग जाय।। ऊंचा नीचां महल पिया का म्हांसूँ चढ्यो न जाय। पिया दूर पथ म्हारो

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शरण गही प्रभु तेरी

18 जून 2022
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सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी। तुम(तो) पतित अनेक उधारे, भव सागर से तारे।। मैं सबका तो नाम न जानूं कोइ कोई नाम उचारे। अम्बरीष सुदामा नामा, तुम पहुँचाये निज धामा। ध्रुव जो पाँच वर्ष के

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प्रभु किरपा कीजौ

18 जून 2022
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स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान।। स्थावर जंगम पावक पाणी धरती बीज समान। सबमें महिमा थांरी देखी कुदरत के कुरबान।। बिप्र सुदामा को दालद खोयो बाले की पहचान। दो मुट्ठी तंदुलकी चाबी दीन्हयों द्रव्

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सखी री

18 जून 2022
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हे मेरो मनमोहना आयो नहीं सखी री। कैं कहुँ काज किया संतन का। कैं कहुँ गैल भुलावना।। हे मेरो मनमोहना। कहा करूँ कित जाऊँ मेरी सजनी। लाग्यो है बिरह सतावना।। हे मेरो मनमोहना।। मीरा दासी दरसण प्यासी।

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पपैया रे!

18 जून 2022
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पपैया रे पिवकी बाणि न बोल। सुणि पावेली बिरहणी रे थारी रालेली पांख मरोड़।। चांच कटाऊँ पपैया रे ऊपर कालोर लूण। पिव मेरा मैं पिव की रे तू पिव कहै स कूण।। थारा सबद सुहावणा रे जो पिव मेला आज। चांच मंढ

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होरी खेलत हैं गिरधारी

18 जून 2022
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होरी खेलत हैं गिरधारी। मुरली चंग बजत डफ न्यारो। संग जुबती ब्रजनारी।। चंदन केसर छिड़कत मोहन अपने हाथ बिहारी। भरि भरि मूठ गुलाल लाल संग स्यामा प्राण पियारी। गावत चार धमार राग तहं दै दै कल करतारी

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साजन घर आया हो

18 जून 2022
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सहेलियाँ साजन घर आया हो। बहोत दिनां की जोवती बिरहिण पिव पाया हो।। रतन करूँ नेवछावरी ले आरति साजूं हो। पिवका दिया सनेसड़ा ताहि बहोत निवाजूं हो।। पांच सखी इकठी भई मिलि मंगल गावै हो। पिया का रली बधा

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चाकर राखो जी

18 जून 2022
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स्याम! मने चाकर राखो जी गिरधारी लाला! चाकर राखो जी। चाकर रहसूं बाग लगासूं नित उठ दरसण पासूं। ब्रिंदाबन की कुंजगलिन में तेरी लीला गासूं।। चाकरी में दरसण पाऊँ सुमिरण पाऊँ खरची। भाव भगति जागीरी पाऊँ

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सांचो प्रीतम

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मैं गिरधर के घर जाऊँ। गिरधर म्हांरो सांचो प्रीतम देखत रूप लुभाऊँ।। रैण पड़ै तबही उठ जाऊँ भोर भये उठिआऊँ। रैन दिना वाके संग खेलूं ज्यूं त्यूं ताहि रिझाऊँ।। जो पहिरावै सोई पहिरूं जो दे सोई खाऊँ। मे

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सुभ है आज घरी

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तेरो कोई नहिं रोकणहार, मगन होइ मीरा चली।। लाज सरम कुल की मरजादा, सिरसै दूर करी। मान-अपमान दोऊ धर पटके, निकसी ग्यान गली।। ऊँची अटरिया लाल किंवड़िया, निरगुण-सेज बिछी। पंचरंगी झालर सुभ सोहै, फूलन फूल

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म्हारो कांई करसी

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राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी, म्हे तो गोविन्दरा गुण गास्याँ हे माय।। राणोजी रूठे तो अपने देश रखासी, म्हे तो हरि रूठ्यां रूठे जास्याँ हे माय। लोक-लाजकी काण न राखाँ, म्हे तो निर्भय निशान गुरास्य

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राम रतन धन पायो

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पायो जी म्हे तो राम रतन धन पायो।। टेक।। वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।। जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो।। खायो न खरच चोर न लेवे, दिन-दिन बढ़त सवायो।। सत की नाव खेवटिया सतगुरु

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भजन बिना नरफीको

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आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको।। घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा, दरसन गोविन्द जी को।।१।। निरमल नीर बहत जमुना में, भोजन दूध दही को। रतन सिंघासण आपु बिराजैं, मुकुट धरयो तुलसी को।।२।। कुंजन कुंजन फिरत राधिका, स

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तुमरे दरस बिन बावरी

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दूर नगरी, बड़ी दूर नगरी-नगरी कैसे मैं तेरी गोकुल नगरी दूर नगरी बड़ी दूर नगरी रात को कान्हा डर माही लागे, दिन को तो देखे सारी नगरी। दूर नगरी... सखी संग कान्हा शर्म मोहे लागे, अकेली तो भूल जाऊँ ते

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भजो रे मन गोविन्दा

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नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा, श्याम सुन्दर मुख चन्दा, भजो रे मन गोविन्दा। तू ही नटवर, तू ही नागर, तू ही बाल मुकुन्दा , सब देवन में कृष्ण बड़े हैं, ज्यूं तारा बिच चंदा। सब सखियन में राधा जी

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लाज राखो महाराज

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अब तो निभायां सरेगी बाँह गहे की लाज। समरथ शरण तुम्हारी सैयां सरब सुधारण काज।। भवसागर संसार अपरबल जामे तुम हो जहाज। गिरधारां आधार जगत गुरु तुम बिन होय अकाज।। जुग जुग भीर हरी भगतन की दीनी मोक्ष समाज

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म्हारो प्रणाम

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म्हारो प्रणाम बांकेबिहारीको। मोर मुकुट माथे तिलक बिराजे। कुण्डल अलका कारीको म्हारो प्रणाम अधर मधुर कर बंसी बजावै। रीझ रीझौ राधाप्यारीको म्हारो प्रणाम यह छबि देख मगन भई मीरा। मोहन गिरवरधारीको म्ह

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मीरा की विनती छै जी

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दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी ! ओ जी! अन्तरजामी ओ राम ! खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी आप बिन मोहे कल ना पडत है जी ! ओजी! तडपत हूँ दिन रैन रैन में नीर ढले है जी गुण तो प्रभुजी मों में एक नहीं छै जी ! ओ जी

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माई री!

18 जून 2022
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माई री! मैं तो लियो गोविंदो मोल। कोई कहै छानै, कोई कहै छुपकै, लियो री बजंता ढोल। कोई कहै मुहंघो, कोई कहै सुहंगो, लियो री तराजू तोल। कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अमोलिक मोल। या ही कूं सब जाण

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राम-नाम-रस पीजै

18 जून 2022
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राम-नाम-रस पीजै। मनवा! राम-नाम-रस पीजै। तजि कुसंग सतसंग बैठि नित, हरि-चर्चा सुणि लीजै। काम क्रोध मद मोह लोभ कूं, चित से बाहय दीजै। मीरा के प्रभु गिरधर नागर, ता के रंग में भीजै।

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मेरो मन राम-हि-राम रटै

18 जून 2022
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मेरो मन राम-हि-राम रटै। राम-नाम जप लीजै प्राणी! कोटिक पाप कटै। जनम-जनम के खत जु पुराने, नामहि‍ लेत फटै। कनक-कटोरै इमरत भरियो, नामहि लेत नटै। मीरा के प्रभु हरि अविनासी तन-मन ताहि पटै।

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हरि बिन कूण गती मेरी

18 जून 2022
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राग धुनपीलू हरि बिन कूण गती मेरी। तुम मेरे प्रतिपाल कहिये मैं रावरी चेरी॥ आदि अंत निज नाँव तेरो हीयामें फेरी। बेर बेर पुकार कहूं प्रभु आरति है तेरी॥ यौ संसार बिकार सागर बीच में घेरी। नाव फाटी

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मीरा को प्रभु साँची दासी बनाओ

18 जून 2022
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राग सहाना मीरा को प्रभु साँची दासी बनाओ। झूठे धंधों से मेरा फंदा छुड़ाओ॥ लूटे ही लेत विवेक का डेरा। बुधि बल यदपि करूं बहुतेरा॥ हाय!हाय! नहिं कछु बस मेरा। मरत हूं बिबस प्रभु धाओ सवेरा॥ धर्म उपदे

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सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी

18 जून 2022
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सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी। तुम (तो) पतित अनेक उधारे, भवसागर से तारे॥ मैं सबका तो नाम न जानूं, कोई कोई नाम उचारे। अम्बरीष सुदामा नामा, तुम पहुंचाये निज धामा॥ ध्रुव जो पांच वर्

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प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय

18 जून 2022
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राग आसाबरी प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय॥ जल बिन कमल, चंद बिन रजनी। ऐसे तुम देख्यां बिन सजनी॥ आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन, बिरह कलेजो खाय॥ दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न आवै

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अब तो निभायाँ सरेगी, बांह गहेकी लाज

18 जून 2022
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राग रामकली अब तो निभायाँ सरेगी, बांह गहेकी लाज। समरथ सरण तुम्हारी सइयां, सरब सुधारण काज॥ भवसागर संसार अपरबल, जामें तुम हो झयाज। निरधारां आधार जगत गुरु तुम बिन होय अकाज॥ जुग जुग भीर हरी भगतन की, द

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स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान

18 जून 2022
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राग सूहा स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान। स्थावर जंगम पावक पाणी धरती बीज समान॥ सब में महिमा थांरी देखी कुदरत के करबान। बिप्र सुदामा को दालद खोयो बाले की पहचान॥ दो मुट्ठी तंदुल कि चाबी दीन्

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राम मिलण रो घणो उमावो, नित उठ जोऊं बाटड़ियाँ

18 जून 2022
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राग प्रभाती राम मिलण रो घणो उमावो, नित उठ जोऊं बाटड़ियाँ। दरस बिना मोहि कछु न सुहावै, जक न पड़त है आँखड़ियाँ॥ तड़फत तड़फत बहु दिन बीते, पड़ी बिरह की फांसड़ियाँ। अब तो बेग दया कर प्यारा, मैं छूं थ

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गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय

18 जून 2022
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राग जैजैवंती गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय। ऊंची नीची राह लपटीली, पांव नहीं ठहराय। सोच सोच पग धरूं जतनसे, बार बार डिग जाय॥ ऊंचा नीचा महल पियाका म्हांसूं चढ़्‌यो न जाय। पिया दू

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नातो नामको जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय

18 जून 2022
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राग भांड नातो नामको जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय॥ पानां ज्यूं पीली पड़ी रे, लोग कहैं पिंड रोग। छाने लांघण म्हैं किया रे, राम मिलण के जोग॥ बाबल बैद बुलाइया रे, पकड़ दिखाई म्हांरी बांह। मूरख बैद

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माई म्हारी हरिजी न बूझी बात

18 जून 2022
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राग बिहाग माई म्हारी हरिजी न बूझी बात। पिंड मांसूं प्राण पापी निकस क्यूं नहीं जात॥ पट न खोल्या मुखां न बोल्या, सांझ भई परभात। अबोलणा जु बीतण लागो, तो काहे की कुशलात॥ सावण आवण होय रह्यो रे, नही

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दरस बिनु दूखण लागे नैन

18 जून 2022
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राग देश बिलंपत दरस बिनु दूखण लागे नैन। जबसे तुम बिछुड़े प्रभु मोरे, कबहुं न पायो चैन॥ सबद सुणत मेरी छतियां कांपे, मीठे लागे बैन। बिरह कथा कांसूं कहूं सजनी, बह गई करवत ऐन॥ कल न परत पल हरि मग जो

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सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी

18 जून 2022
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राग धानी सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी॥ थे छो म्हारा गुण रा सागर, औगण म्हारूं मति जाज्यो जी। लोकन धीजै (म्हारो) मन न पतीजै, मुखडारा सबद सुणाज्यो जी॥ मैं तो दासी जनम जनम की, म्हारे आंगणा रमता आज्

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प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय

18 जून 2022
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राग दरबारी प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय। छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेमकी बाती बलाय॥ बिरह समंद में छोड़ गया छो, नेहकी नाव चलाय। मीरा के प्रभु कब र मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय॥

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है मेरो मनमोहना, आयो नहीं सखी री

18 जून 2022
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राग सारंग है मेरो मनमोहना, आयो नहीं सखी री॥ कैं कहुं काज किया संतन का, कै कहुं गैल भुलावना॥ कहा करूं कित जाऊं मेरी सजनी, लाग्यो है बिरह सतावना॥ मीरा दासी दरसण प्यासी, हरिचरणां चित लावना॥

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मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली

18 जून 2022
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राग बागेश्री मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली॥ बिरहणी बैठी रंगमहल में, मोतियन की लड़ पोवै| इक बिहरणि हम ऐसी देखी, अंसुवन की माला पोवै॥ तारा गिण गिण रैण बिहानी , सुख की घड़ी कब आवै। मीर

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पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस

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राग दरबारी कान्हरा पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस॥ ऐसो है कोई पिवकूं मिलावै, तन मन करूं सब पेस। तेरे कारण बन बन डोलूं, कर जोगण को भेस॥ अवधि बदीती अजहूं न आए, पंडर हो गया केस। रा के प्रभु कब र मि

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साजन, सुध ज्यूं जाणो लीजै हो

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राग पूरिया कल्याण साजन, सुध ज्यूं जाणो लीजै हो। तुम बिन मोरे और न कोई, क्रिपा रावरी कीजै हो॥ दिन नहीं भूख रैण नहीं निंदरा, यूं तन पल पल छीजै हो। मीरा के प्रभु गिरधर नागर , मिल बिछड़न मत कीजै

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हरि बिन ना सरै री माई

18 जून 2022
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राग शुद्ध सारंग हरि बिन ना सरै री माई। मेरा प्राण निकस्या जात, हरी बिन ना सरै माई। मीन दादुर बसत जल में, जल से उपजाई॥ तनक जल से बाहर कीना तुरत मर जाई। कान लकरी बन परी काठ धुन खाई। ले अगन प्रभु

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आओ मनमोहना जी जोऊं थांरी बाट

18 जून 2022
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राग टोडी आओ मनमोहना जी जोऊं थांरी बाट। खान पान मोहि नैक न भावै नैणन लगे कपाट॥ तुम आयां बिन सुख नहिं मेरे दिल में बहोत उचाट। मीरा कहै मैं बई रावरी, छांड़ो नाहिं निराट॥

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राम मिलण के काज सखी, मेरे आरति उर में जागी री

18 जून 2022
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राग पीलू राम मिलण के काज सखी, मेरे आरति उर में जागी री॥ तड़फत तड़फत कल न परत है, बिरहबाण उर लागी री। निसदिन पंथ निहारूं पिव को, पलक न पल भरि लागी री॥ पीव पीव मैं रटूं रात दिन, दूजी सुध बुध

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गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा

18 जून 2022
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राग भीमपलासी गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा॥ चरण कंवल को हंस हंस देखूं, राखूं नैणां नेरा। निरखणकूं मोहि चाव घणेरो, कब देखूं मुख तेरा॥ व्याकुल प्राण धरत नहिं धीरज, मिल तूं मीत सबेरा। मीरा के प्रभु ग

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मैं हरि बिन क्यों जिऊं री माइ

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राग भैरवी मैं हरि बिन क्यों जिऊं री माइ॥ पिव कारण बौरी भई, ज्यूं काठहि घुन खाइ॥ ओखद मूल न संचरै, मोहि लाग्यो बौराइ॥ कमठ दादुर बसत जल में जलहि ते उपजाइ। मीन जल के बीछुरे तन तलफि करि मरि जाइ॥

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तुम्हरे कारण सब छोड्या, अब मोहि क्यूं तरसावौ हौ

18 जून 2022
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धुन लावनी तुम्हरे कारण सब छोड्या, अब मोहि क्यूं तरसावौ हौ। बिरह-बिथा लागी उर अंतर, सो तुम आय बुझावौ हो॥ अब छोड़त नहिं बड़ै प्रभुजी, हंसकर तुरत बुलावौ हौ। मीरा दासी जनम जनम की, अंग से अंग लगावौ

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करुणा सुणो स्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी

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राग पीलू करुणा सुणो स्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी॥ दरसण कारण भई बावरी बिरह-बिथा तन घेरी। तेरे कारण जोगण हूंगी, दूंगी नग्र बिच फेरी॥ कुंज बन हेरी-हेरी॥ अंग भभूत गले मृगछाला, यो तप भसम करूं

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पपइया रे, पिव की वाणि न बोल

18 जून 2022
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राग सावनी कल्याण पपइया रे, पिव की वाणि न बोल। सुणि पावेली बिरहुणी रे, थारी रालेली पांख मरोड़॥ चोंच कटाऊं पपइया रे, ऊपर कालोर लूण। पिव मेरा मैं पीव की रे, तू पिव कहै स कूण॥ थारा सबद सुहावणा रे, ज

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पिया मोहि दरसण दीजै हो

18 जून 2022
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राग देस पिया मोहि दरसण दीजै हो। बेर बेर मैं टेरहूं, या किरपा कीजै हो॥ जेठ महीने जल बिना पंछी दुख होई हो। मोर असाढ़ा कुरलहे घन चात्रा सोई हो॥ सावण में झड़ लागियो, सखि तीजां खेलै हो। भादरवै नदिय

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सखी, मेरी नींद नसानी हो

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राग आनंद भैरों सखी, मेरी नींद नसानी हो। पिवको पंथ निहारत सिगरी रैण बिहानी हो॥ सखिअन मिलकर सीख दई मन, एक न मानी हो। बिन देख्यां कल नाहिं पड़त जिय ऐसी ठानी हो॥ अंग अंग व्याकुल भई मुख पिय पिय बानी

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म्हारी सुध ज्यूं जानो त्यूं लीजो

18 जून 2022
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राग कोसी म्हारी सुध ज्यूं जानो त्यूं लीजो॥ पल पल ऊभी पंथ निहारूं, दरसण म्हाने दीजो। मैं तो हूं बहु औगुणवाली, औगण सब हर लीजो॥ मैं तो दासी थारे चरण कंवलकी, मिल बिछड़न मत कीजो। मीरा के प्रभु गिरधर न

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घर आंगण न सुहावै, पिया बिन मोहि न भावै

18 जून 2022
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राग काफी घर आंगण न सुहावै, पिया बिन मोहि न भावै॥ दीपक जोय कहा करूं सजनी, पिय परदेस रहावै। सूनी सेज जहर ज्यूं लागे, सिसक-सिसक जिय जावै॥ नैण निंदरा नहीं आवै॥ कदकी उभी मैं मग जोऊं, निस-दिन बिरह सता

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साजन घर आओनी मीठा बोला

18 जून 2022
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राग पीलू साजन घर आओनी मीठा बोला॥ कदकी ऊभी मैं पंथ निहारूं थारो, आयां होसी मेला॥ आओ निसंक, संक मत मानो, आयां ही सुक्ख रहेला॥ तन मन वार करूं न्यौछावर, दीज्यो स्याम मोय हेला॥ आतुर बहुत बिलम मत कीज्य

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म्हारे जनम-मरण साथी थांने नहीं बिसरूं दिनराती

18 जून 2022
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राग प्रभावती म्हारे जनम-मरण साथी थांने नहीं बिसरूं दिनराती॥ थां देख्या बिन कल न पड़त है, जाणत मेरी छाती। ऊंची चढ़-चढ़ पंथ निहारूं रोय रोय अंखियां राती॥ यो संसार सकल जग झूठो, झूठा कुलरा न्याती। द

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थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ

18 जून 2022
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राग प्रभाती थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ,मैं हाजिर-नाजिर कद की खड़ी॥ साजणियां दुसमण होय बैठ्या, सबने लगूं कड़ी। तुम बिन साजन कोई नहिं है, डिगी नाव मेरी समंद अड़ी॥ दिन नहिं चैन रैण नहीं निदरा, सूखूं ख

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तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी

18 जून 2022
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राग दरबारी-ताल तिताला तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी॥ भवसागर में बही जात हौं, काढ़ो तो थारी मरजी। इण संसार सगो नहिं कोई, सांचा सगा रघुबरजी॥ मात पिता औ कुटुम कबीलो सब मतलब के गरजी। मीरा की प्रभु अरजी

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स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो

18 जून 2022
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स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो। या भवसागर मंझधार में थे ही निभावण हो॥ म्हाने औगण घणा रहै प्रभुजी थे ही सहो तो सहो। मीरा के प्रभु हरि अबिनासी लाज बिरद की बहो॥

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मेरे नैना निपट बंकट छबि अटके

18 जून 2022
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(मेरे) नैना निपट बंकट छबि अटके॥ देखत रूप मदनमोहनको पियत पियूख न मटके। बारिज भवां अलक टेढ़ी मनौ अति सुगंधरस अटके॥ टेढ़ी कटि टेढ़ी कर मुरली टेढ़ी पाग लर लटके। मीरा प्रभु के रूप लुभानी गिरधर नागर नटक

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या मोहन के रूप लुभानी

18 जून 2022
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राग गूजरी या मोहन के रूप लुभानी। सुंदर बदन कमलदल लोचन, बांकी चितवन मंद मुसकानी॥ जमना के नीरे तीरे धेनु चरावै, बंसी में गावै मीठी बानी। तन मन धन गिरधर पर बारूं, चरणकंवल मीरा लपटानी॥

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बड़े घर ताली लागी रे, म्हारां मन री उणारथ भागी रे

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राग पीलू बरवा बड़े घर ताली लागी रे, म्हारां मन री उणारथ भागी रे॥ छालरिये म्हारो चित नहीं रे, डाबरिये कुण जाव। गंगा जमना सूं काम नहीं रे, मैंतो जाय मिलूं दरियाव॥ हाल्यां मोल्यांसूं काम नहीं रे,

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मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई

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मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई॥ जाके सिर है मोरपखा मेरो पति सोई। तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई॥ छांड़ि दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई॥ संतन ढिग बैठि बैठि लोकलाज खोई॥ चुनरीके किये टूक ओढ़ लीन्हीं लो

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सहेलियां साजन घर आया हो

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पिया मोहि दरसण दीजै हो। बेर बेर मैं टेरहूं, या किरपा कीजै हो॥ जेठ महीने जल बिना पंछी दुख होई हो। मोर असाढ़ा कुरलहे घन चात्रा सोई हो॥ सावण में झड़ लागियो, सखि तीजां खेलै हो। भादरवै नदियां वहै दूरी

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पियाजी म्हारे नैणां आगे रहज्यो जी

18 जून 2022
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पपइया रे, पिव की वाणि न बोल। सुणि पावेली बिरहुणी रे, थारी रालेली पांख मरोड़॥ चोंच कटाऊं पपइया रे, ऊपर कालोर लूण। पिव मेरा मैं पीव की रे, तू पिव कहै स कूण॥ थारा सबद सुहावणा रे, जो पिव मेंला आज। चो

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म्हारा ओलगिया घर आया जी

18 जून 2022
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म्हारा ओलगिया घर आया जी। तन की ताप मिटी सुख पाया, हिल मिल मंगल गाया जी॥ घन की धुनि सुनि मोर मगन भया, यूं मेरे आनंद छाया जी। मग्न भई मिल प्रभु अपणा सूं, भौका दरद मिटाया जी॥ चंद कूं निरखि कमोदणि फूल

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हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को

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राग ललित हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को। मोर मुकुट माथे तिलक बिराजे, कुंडल अलका कारी को॥ अधर मधुर पर बंसी बजावै रीझ रिझावै राधा प्यारी को। यह छवि देख मगन भई मीरा, मोहन गिरधर -धारी को॥

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म्हांरे घर होता जाज्यो राज

18 जून 2022
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राग सिंध भैरवी म्हांरे घर होता जाज्यो राज। अबके जिन टाला दे जाओ, सिर पर राखूं बिराज॥ म्हे तो जनम जनम की दासी, थे म्हांका सिरताज। पावणडा म्हांके भलां ही पधार्‌या, सब ही सुधारण काज॥ म्हे तो बुरी

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हरी मेरे जीवन प्रान अधार

18 जून 2022
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राग हमीर हरी मेरे जीवन प्रान अधार। और आसरो नाहीं तुम बिन तीनूं लोक मंझार॥ आप बिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार। मीरा कहै मैं दासि रावरी दीज्यो मती बिसार॥

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आओ सहेल्हां रली करां है पर घर गवण निवारि

18 जून 2022
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राग हमीर आओ सहेल्हां रली करां है पर घर गवण निवारि॥ झूठा माणिक मोतिया री झूठी जगमग जोति। झूठा आभूषण री, सांची पियाजी री प्रीति॥ झूठा पाट पटंबरा रे, झूठा दिखडणी चीर। सांची पियाजी री गूदड़ी, जामे

105

हरी मेरे जीवन प्रान अधार

18 जून 2022
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राग हमीर हरी मेरे जीवन प्रान अधार। और आसरो नाहीं तुम बिन तीनूं लोक मंझार॥ आप बिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार। मीरा कहै मैं दासि रावरी दीज्यो मती बिसार॥

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आली , सांवरे की दृष्टि मानो, प्रेम की कटारी है

18 जून 2022
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राग हंस नारायण आली , सांवरे की दृष्टि मानो, प्रेम की कटारी है॥ लागत बेहाल भई, तनकी सुध बुध गई , तन मन सब व्यापो प्रेम, मानो मतवारी है॥ सखियां मिल दोय चारी, बावरी सी भई न्यारी, हौं तो वाको नीके

107

छोड़ मत जाज्यो जी महाराज

18 जून 2022
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राग तिलक कामोद छोड़ मत जाज्यो जी महाराज॥ मैं अबला बल नायं गुसाईं, तुमही मेरे सिरताज। मैं गुणहीन गुण नांय गुसाईं, तुम समरथ महाराज॥ थांरी होयके किणरे जाऊं, तुमही हिबडारो साज। मीरा के प्रभु और न को

108

सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हांरो कांई कर लेसी

18 जून 2022
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राग पहाड़ी सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हांरो कांई कर लेसी। म्हे तो गुण गोविन्द का गास्यां हो माई॥ राणोजी रूठ्यो वांरो देस रखासी,हरि रूठ्या किठे जास्यां हो माई॥ लोक लाजकी काण न मानां,निरभै निसाण घुरास्

109

सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हांरो कांई कर लेसी

18 जून 2022
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राग पहाड़ी सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हांरो कांई कर लेसी। म्हे तो गुण गोविन्द का गास्यां हो माई॥ राणोजी रूठ्यो वांरो देस रखासी,हरि रूठ्या किठे जास्यां हो माई॥ लोक लाजकी काण न मानां,निरभै निसाण घुरास्

110

बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं

18 जून 2022
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राग कामोद बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं। सुणो री सखी तुम चेतन होयकै मनकी बात कहूं॥ साध संगति कर हरि सुख लेऊं जगसूं दूर रहूं। तन धन मेरो सबही जावो भल मेरो सीस लहूं॥ मन मेरो लागो सुमरण सेती सबका मै

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राणाजी, म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं

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राग पीलू राणाजी, म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं॥ राम नाम बिन नहीं आवड़े, हिबड़ो झोला खाय। भोजनिया नहीं भावे म्हांने, नींदडलीं नहिं आय॥ विष को प्यालो भेजियो जी, `जाओ मीरा पास,' कर चरणामृत

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राम नाम मेरे मन बसियो, रसियो राम रिझाऊं ए माय

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राग खंभावती राम नाम मेरे मन बसियो, रसियो राम रिझाऊं ए माय। मैं मंदभागण परम अभागण, कीरत कैसे गाऊं ए माय॥ बिरह पिंजरकी बाड़ सखी रीं,उठकर जी हुलसाऊं ए माय। मनकूं मार सजूं सतगुरसूं, दुरमत दूर गमाऊं

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राणाजी, थे क्यांने राखो म्हांसूं बैर

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राग अगना राणाजी, थे क्यांने राखो म्हांसूं बैर। थे तो राणाजी म्हांने इसड़ा लागो, ज्यूं बृच्छन में कैर। महल अटारी हम सब त्याग्या, त्याग्यो थारो बसनो सैर॥ काजल टीकी राणा हम सब त्याग्या, भगती-चादर पैर

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राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां

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राग पूरिया कल्यान राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां। चरणामृत को नेम हमारे, नित उठ दरसण जास्यां॥ हरि मंदर में निरत करास्यां, घूंघरियां धमकास्यां। राम नाम का झाझ चलास्यां भवसागर तर जास्यां॥ य

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आली, म्हांने लागे वृन्दावन नीको

18 जून 2022
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राग वृन्दावनी आली, म्हांने लागे वृन्दावन नीको। घर घर तुलसी ठाकुर पूजा दरसण गोविन्दजी को॥ निरमल नीर बहत जमुना में, भोजन दूध दही को। रतन सिंघासन आप बिराजैं, मुगट धर्‌यो तुलसी को॥ कुंजन कुंजन फिर

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या ब्रज में कछु देख्यो री टोना

18 जून 2022
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राग मधुमाध सारंग या ब्रज में कछु देख्यो री टोना॥ लै मटकी सिर चली गुजरिया, आगे मिले बाबा नंदजी के छोना। दधिको नाम बिसरि गयो प्यारी, लेलेहु री कोउ स्याम सलोना॥ बिंद्राबनकी कुंज गलिन में, आंख लगाय

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चालो मन गंगा जमुना तीर

18 जून 2022
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चालो मन गंगा जमुना तीर। गंगा जमुना निरमल पाणी सीतल होत सरीर। बंसी बजावत गावत कान्हो, संग लियो बलबीर॥ मोर मुगट पीताम्बर सोहे कुण्डल झलकत हीर। मीराके प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल पर सीर॥

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मैं गिरधर रंग-राती, सैयां मैं

18 जून 2022
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राग धानी मैं गिरधर रंग-राती, सैयां मैं॥ पचरंग चोला पहर सखी री, मैं झिरमिट रमवा जाती। झिरमिटमां मोहि मोहन मिलियो, खोल मिली तन गाती॥ कोईके पिया परदेस बसत हैं, लिख लिख भेजें पाती। मेरा पिया मेरे

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फागुन के दिन चार होली खेल मना रे

18 जून 2022
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राग होरी सिन्दूरा फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥ बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे। बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥ सील संतोखकी केसर घोली प्रेम प्रीत पिचकार रे। उड़त गुलाल लाल

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सखी री लाज बैरण भई

18 जून 2022
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राग जौनपुरी सखी री लाज बैरण भई। श्रीलाल गोपालके संग काहें नाहिं गई॥ कठिन क्रूर अक्रूर आयो साज रथ कहं नई। रथ चढ़ाय गोपाल ले गयो हाथ मींजत रही॥ कठिन छाती स्याम बिछड़त बिरहतें तन तई। दासि मीरा ल

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कुण बांचे पाती, बिना प्रभु कुण बांचे पाती

18 जून 2022
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राग गूजरी कुण बांचे पाती, बिना प्रभु कुण बांचे पाती। कागद ले ऊधोजी आयो, कहां रह्या साथी। आवत जावत पांव घिस्या रे (वाला) अंखिया भई राती॥ कागद ले राधा वांचण बैठी, (वाला) भर आई छाती। नैण नीरज में

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मीरा मगन भई हरि के गुण गाय

18 जून 2022
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राग खम्माच मीरा मगन भई हरि के गुण गाय॥ सांप पिटारा राणा भेज्या, मीरा हाथ दिया जाय। न्हाय धोय जब देखन लागी, सालिगराम गई पाय॥ जहरका प्याला राणा भेज्या, इम्रत दिया बनाय। न्हाय धोय जब पीवन लागी, ह

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भज ले रे मन, गोपाल-गुना

18 जून 2022
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राग झंझोटी भज ले रे मन, गोपाल-गुना॥ अधम तरे अधिकार भजनसूं, जोइ आये हरि-सरना। अबिसवास तो साखि बताऊं, अजामील गणिका सदना॥ जो कृपाल तन मन धन दीन्हौं, नैन नासिका मुख रसना। जाको रचत मास दस लागै, ताह

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चालो अगमके देस कास देखत डरै

18 जून 2022
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राग शुद्ध सारंग चालो अगमके देस कास देखत डरै। वहां भरा प्रेम का हौज हंस केल्यां करै॥ ओढ़ण लज्जा चीर धीरज कों घांघरो। छिमता कांकण हाथ सुमत को मूंदरो॥ दिल दुलड़ी दरियाव सांचको दोवडो। उबटण गुरुको

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नहिं एसो जनम बारंबार

18 जून 2022
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राग हमीर नहिं एसो जनम बारंबार॥ का जानूं कछु पुन्य प्रगटे मानुसा-अवतार। बढ़त छिन-छिन घटत पल-पल जात न लागे बार॥ बिरछके ज्यूं पात टूटे, लगें नहीं पुनि डार। भौसागर अति जोर कहिये अनंत ऊंड़ी धार॥ रा

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रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै

18 जून 2022
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राग बिहागरा रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै। कहो कुण धीर बंधावै॥ यो संसार कुबुधि को भांडो, साध संगत नहीं भावै। राम-नाम की निंद्या ठाणै, करम ही करम कुमावै॥ राम-नाम बिन मुकति न पावै, फिर चौरासी जावै।

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लेतां लेतां रामनाम रे, लोकड़ियां तो लाजो मरै छे

18 जून 2022
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राग बिलावल लेतां लेतां रामनाम रे, लोकड़ियां तो लाजो मरै छे। हरि मंदिर जातां पांवड़ियां रे दूखै, फिर आवै आखो गाम रे। झगड़ो धाय त्यां दौड़ीने जाय रे, मूकीने घर ना काम रे॥ भांड भवैया गणकात्रित करत

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लागी मोहिं नाम-खुमारी हो

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राग मलार लागी मोहिं नाम-खुमारी हो॥ रिमझिम बरसै मेहड़ा भीजै तन सारी हो। चहुंदिस दमकै दामणी गरजै घन भारी हो॥ सतगुर भेद बताया खोली भरम -किंवारी हो। सब घट दीसै आतमा सबहीसूं न्यारी हो॥ दीपग जोऊं ग

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मोहि लागी लगन गुरुचरणन की

18 जून 2022
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राग धानी मोहि लागी लगन गुरुचरणन की। चरण बिना कछुवै नाहिं भावै, जगमाया सब सपननकी॥ भौसागर सब सूख गयो है, फिकर नाहिं मोहि तरननकी। मीरा के प्रभु गिरधर नागर आस वही गुरू सरननकी॥

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देखत राम हंसे सुदामाकूं देखत राम हंसे

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राग पीलू देखत राम हंसे सुदामाकूं देखत राम हंसे॥ फाटी तो फूलडियां पांव उभाणे चरण घसे। बालपणेका मिंत सुदामां अब क्यूं दूर बसे॥ कहा भावजने भेंट पठाई तांदुल तीन पसे। कित गई प्रभु मोरी टूटी टपरिया

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सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार

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राग नीलांबरी सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार॥ लगनी लहंगो पहर सुहागण, बीतो जाय बहार। धन जोबन है पावणा रो, मिलै न दूजी बार॥ राम नाम को चुड़लो पहिरो, प्रेम को सुरमो सार। नकबेसर हरि

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सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार

18 जून 2022
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राग नीलांबरी सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार॥ लगनी लहंगो पहर सुहागण, बीतो जाय बहार। धन जोबन है पावणा रो, मिलै न दूजी बार॥ राम नाम को चुड़लो पहिरो, प्रेम को सुरमो सार। नकबेसर हरि

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मुखडानी माया लागी रे

18 जून 2022
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राग काफी-ताल द्रुत दीपचंदी मुखडानी माया लागी रे, मोहन प्यारा। मुघडुं में जियुं तारूं, सव जग थयुं खारूं, मन मारूं रह्युं न्यारूं रे। संसारीनुं सुख एबुं, झांझवानां नीर जेवुं, तेने तुच्छ करी फरीए र

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अब तौ हरी नाम लौ लागी

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अब तौ हरी नाम लौ लागी। सब जगको यह माखनचोरा, नाम धर्‌यो बैरागीं॥ कित छोड़ी वह मोहन मुरली, कित छोड़ी सब गोपी। मूड़ मुड़ाइ डोरि कटि बांधी, माथे मोहन टोपी॥ मात जसोमति माखन-कारन, बांधे जाके पांव। स्या

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घर आवो जी सजन मिठ बोला

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घर आवो जी सजन मिठ बोला। तेरे खातर सब कुछ छोड्या, काजर, तेल तमोला॥ जो नहिं आवै रैन बिहावै, छिन माशा छिन तोला। 'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, कर धर रही कपोला॥

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देखोरे देखो जसवदा मैय्या तेरा लालना

18 जून 2022
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देखोरे देखो जसवदा मैय्या तेरा लालना। तेरा लालना मैय्यां झुले पालना ॥ध्रु०॥ बाहार देखे तो बारारे बरसकु। भितर देखे मैय्यां झुले पालना॥१॥ जमुना जल राधा भरनेकू निकली। परकर जोबन मैय्यां तेरा लालना॥२॥ म

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जसवदा मैय्यां नित सतावे कनैय्यां

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जसवदा मैय्यां नित सतावे कनैय्यां। वाकु भुरकर क्या कहुं मैय्यां॥ध्रु०॥ बैल लावे भीतर बांधे। छोर देवता सब गैय्यां॥ जसवदा मैया०॥१॥ सोते बालक आन जगावे। ऐसा धीट कनैय्यां॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। हरि

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कालोकी रेन बिहारी

18 जून 2022
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कालोकी रेन बिहारी। महाराज कोण बिलमायो॥ध्रु०॥ काल गया ज्यां जाहो बिहारी। अही तोही कौन बुलायो॥१॥ कोनकी दासी काजल सार्यो। कोन तने रंग रमायो॥२॥ कंसकी दासी काजल सार्यो। उन मोहि रंग रमायो॥३॥ मीरा कहे प्

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सखी मेरा कानुंडो कलिजेकी कोर है

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सखी मेरा कानुंडो कलिजेकी कोर है॥ध्रु०॥ मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडलकी झकझोल॥स० १॥ सासु बुरी मेरी नणंद हटेली। छोटो देवर चोर॥स० २॥ ब्रिंदावनकी कुंजगलिनमें। नाचत नंद किशोर॥स० ३॥ मीरा कहे प्रभू गिरिध

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सांवरो रंग मिनोरे

18 जून 2022
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सांवरो रंग मिनोरे। सांवरो रंग मिनोरे॥ध्रु०॥ चांदनीमें उभा बिहारी महाराज॥१॥ काथो चुनो लविंग सोपारी। पानपें कछु दिनों॥सां० २॥ हमारो सुख अति दुःख लागे। कुबजाकूं सुख कीनो॥सां० ३॥ मेरे अंगन रुख कदमको।

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जल भरन कैशी जाऊंरे

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जल भरन कैशी जाऊंरे। जशोदा जल भरन॥ध्रु०॥ वाटेने घाटे पाणी मागे मारग मैं कैशी पाऊं॥ज० १॥ आलीकोर गंगा पलीकोर जमुना। बिचमें सरस्वतीमें नहावूं॥ज० २॥ ब्रिंदावनमें रास रच्चा है। नृत्य करत मन भावूं॥ज० ३॥

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कान्हो काहेकूं मारो मोकूं कांकरी

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कान्हो काहेकूं मारो मोकूं कांकरी। कांकरी कांकरी कांकरीरे॥ध्रु०॥ गायो भेसो तेरे अवि होई है। आगे रही घर बाकरीरे॥ कानो॥१॥ पाट पितांबर काना अबही पेहरत है। आगे न रही कारी घाबरीरे॥ का०॥२॥ मेडी मेहेलात ते

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ज्यानो मैं राजको बेहेवार उधवजी

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ज्यानो मैं राजको बेहेवार उधवजी। मैं जान्योही राजको बेहेवार। आंब काटावो लिंब लागावो। बाबलकी करो बाड॥जा०॥१॥ चोर बसावो सावकार दंडावो। नीती धरमरस बार॥ जा०॥२॥ मेरो कह्यो सत नही जाणयो। कुबजाके किरतार॥ जा

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मेरे तो आज साचे राखे हरी साचे

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मेरे तो आज साचे राखे हरी साचे। सुदामा अति सुख पायो दरिद्र दूर करी॥ मे०॥१॥ साचे लोधि कहे हरी हाथ बंधाये। मारखाधी ते खरी॥ मे०॥२॥ साच बिना प्रभु स्वप्नामें न आवे। मरो तप तपस्या करी॥ मे०॥३॥ मीरा कहे प

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कोईकी भोरी वोलो म‍इंडो मेरो लूंटे

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कोईकी भोरी वोलो म‍इंडो मेरो लूंटे॥ध्रु०॥ छोड कनैया ओढणी हमारी। माट महिकी काना मेरी फुटे॥ को०॥१॥ छोड कनैया मैयां हमारी। लड मानूकी काना मेरी तूटे॥ को०॥२॥ छोडदे कनैया चीर हमारो। कोर जरीकी काना मेरी छु

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कायकूं देह धरी भजन बिन कोयकु

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कायकूं देह धरी भजन बिन कोयकु देह गर्भवासकी त्रास देखाई धरी वाकी पीठ बुरी॥ भ०॥१॥ कोल बचन करी बाहेर आयो अब तूम भुल परि॥ भ०॥२॥ नोबत नगारा बाजे। बघत बघाई कुंटूंब सब देख ठरी॥ भ०॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर

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रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम

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रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम। तेरे कोडी लगे नही दाम॥ नरदेहीं स्मरणकूं दिनी। बिन सुमरे वे काम॥१॥ बालपणें हंस खेल गुमायो। तरुण भये बस काम॥२॥ पाव दिया तोये तिरथ करने। हाथ दिया कर दान॥३॥ नैन दिया तोये द

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कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे

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कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे॥ध्रु०॥ कारेको विश्वास न कीजे अतिसे भूल परे॥१॥ काली जात कुजात कहीजे। ताके संग उजरे॥२॥ श्याम रूप कियो भ्रमरो। फुलकी बास भरे॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। कारे संग बगर

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माई तेरी काना कोन गुनकारो

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माई तेरी काना कोन गुनकारो। जबही देखूं तबही द्वारहि ठारो॥ध्रु०॥ गोरी बावो नंद गोरी जशू मैया। गोरो बलिभद्र बंधु तिहारे॥ मा०॥१॥ कारो करो मतकर ग्वालनी। ये कारो सब ब्रजको उज्जारो॥ मा०॥२॥ जमुनाके नीरे ती

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आज मेरेओ भाग जागो साधु आये पावना

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आज मेरेओ भाग जागो साधु आये पावना॥ध्रु०॥ अंग अंग फूल गये तनकी तपत गये। सद्‌गुरु लागे रामा शब्द सोहामणा॥ आ०॥१॥ नित्य प्रत्यय नेणा निरखु आज अति मनमें हरखू। बाजत है ताल मृदंग मधुरसे गावणा॥ आ०॥२॥ मोर

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जो तुम तोडो पियो मैं नही तोडू

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जो तुम तोडो पियो मैं नही तोडू। तोरी प्रीत तोडी कृष्ण कोन संग जोडू  ॥ध्रु०॥ तुम भये तरुवर मैं भई पखिया। तुम भये सरोवर मैं तोरी मछिया॥ जो०॥१॥ तुम भये गिरिवर मैं भई चारा। तुम भये चंद्रा हम भये चकोरा॥ ज

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मन अटकी मेरे दिल अटकी

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मन अटकी मेरे दिल अटकी। हो मुगुटकी लटक मन अटकी॥ध्रु०॥ माथे मुकुट कोर चंदनकी। शोभा है पीरे पटकी॥ मन०॥१॥ शंख चक्र गदा पद्म बिराजे। गुंजमाल मेरे है अटकी॥ मन०॥२॥ अंतर ध्यान भये गोपीयनमें। सुध न रही जमून

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भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे

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भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे॥ध्रु०॥ शीतल चंदन बेल पतरवा मस्तक गंगा धरीरे॥१॥ अर्धांगी गौरी पुत्र गजानन चंद्रकी रेख धरीरे॥२॥ शिव शंकरके तीन नेत्र है अद्‌भूत रूप धरोरे॥३॥ आसन मार सिंहासन बैठे शा

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चालो मान गंगा जमुना तीर गंगा जमुना तीर

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चालो मान गंगा जमुना तीर गंगा जमुना तीर॥ध्रु०॥ गंगा जमुना निरमल पानी शीतल होत सरीस॥१॥ बन्सी बजावत गावत काना संग लीये बलवीर॥२॥ मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडल झलकत हीर॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चर

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नाथ तुम जानतहो सब घटकी

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नाथ तुम जानतहो सब घटकी। मीरा भक्ति करे प्रगटकी॥ध्रु०॥ ध्यान धरी प्रभु मीरा संभारे पूजा करे अट पटकी। शालिग्रामकूं चंदन चढत है भाल तिलक बिच बिंदकी॥१॥ राम मंदिरमें मीराबाई नाचे ताल बजावे चपटी। पाऊमें

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हरिनाम बिना नर ऐसा है

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हरिनाम बिना नर ऐसा है। दीपकबीन मंदिर जैसा है॥ध्रु०॥ जैसे बिना पुरुखकी नारी है। जैसे पुत्रबिना मातारी है। जलबिन सरोबर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥१॥ जैसे सशीविन रजनी सोई है। जैसे बिना लौकनी रसोई ह

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क्या करूं मैं बनमें गई घर होती

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क्या करूं मैं बनमें गई घर होती। तो शामकू मनाई लेती॥ध्रु०॥ गोरी गोरी ब‍ईया हरी हरी चुडियां। झाला देके बुलालेती॥१॥ अपने शाम संग चौपट रमती। पासा डालके जीता लेती॥२॥ बडी बडी अखिया झीणा झीणा सुरमा। जोतसे

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होरी खेलनकू आई राधा प्यारी हाथ लिये पिचकरी

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होरी खेलनकू आई राधा प्यारी हाथ लिये पिचकरी॥ध्रु०॥ कितना बरसे कुंवर कन्हैया कितना बरस राधे प्यारी॥ हाथ०॥१॥ सात बरसके कुंवर कन्हैया बारा बरसकी राधे प्यारी॥ हाथ०॥२॥ अंगली पकड मेरो पोचो पकड्यो बैयां पक

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मोहन आवनकी साई किजोरे

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मोहन आवनकी साई किजोरे। आवनकी मन भावनकी॥ कोई०॥ध्रु०॥ आप न आवे पतिया न भेजे | ए बात ललचावनकी॥को०॥१॥ बिन दरशन व्याकुल भई सजनी। जैशी बिजलीयां श्रावनकी॥ को०॥२॥ क्या करूं शक्ति जाऊं मोरी सजनी। पांख होवे

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मत डारो पिचकारी

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मत डारो पिचकारी। मैं सगरी भिजगई सारी॥ध्रु०॥ जीन डारे सो सनमुख रहायो। नहीं तो मैं देउंगी गारी॥ मत०॥१॥ भर पिचकरी मेरे मुखपर डारी। भीजगई तन सारी॥ मत०॥२॥ लाल गुलाल उडावन लागे। मैं तो मनमें बिचारी॥ मत०॥

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राधाजी को लागे बिंद्रावनमें नीको

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राधाजी को लागे बिंद्रावनमें नीको॥ध्रु०॥ ब्रिंदाबनमें तुलसीको वडलो जाको पानचरीको॥ रा०॥१॥ ब्रिंदावनमें धेनु बहोत है भोजन दूध दहींको॥ रा०॥२॥ ब्रिंदावनमें रास रची है दरशन कृष्णजीको॥ रा०॥३॥ मीरा कहे प्

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मेरी लाज तुम रख भैया

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मेरी लाज तुम रख भैया। नंदजीके कुंवर कनैया॥ध्रु०॥ बेस प्यारे काली नागनाथी। फेणपर नृत्य करैया॥ मे०॥१॥ जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे। मुखपर मुरली बजैया॥ मे०॥२॥ मोर मुगुट पीतांबर शोभे। कान कुंडल झलकैया॥ म

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मन मोहन दिलका प्यारा

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मन मोहन दिलका प्यारा॥ध्रु०॥ माता जसोदा पालना हलावे। हातमें लेकर दोरा॥१॥ कबसे अंगनमों खडी है राधा। देखे किसनका चेहरा॥२॥ मोर मुगुट पीतांबर शोभे। गळा मोतनका गजरा॥३॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरन कमल

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काना तोरी घोंगरीया पहरी होरी खेले

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काना तोरी घोंगरीया पहरी होरी खेले किसन गिरधारी॥१॥ जमुनाके नीर तीर धेनु चरावत खेलत राधा प्यारी॥२॥ आली कोरे जमुना बीचमों राधा प्यारी॥३॥ मोर मुगुट पीतांबर शोभे कुंडलकी छबी न्यारी॥४॥ मीराके प्रभु गिरि

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भीजो मोरी नवरंग चुनरी

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भीजो मोरी नवरंग चुनरी। काना लागो तैरे नाव॥ध्रु०॥ गोरस लेकर चली मधुरा। शिरपर घडा झोले खाव॥१॥ त्रिभंगी आसन गोवर्धन धरलीयो। छिनभर मुरली बजावे॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरन कमल चित लागो तोरे पाव॥३

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सुमन आयो बदरा

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सुमन आयो बदरा। श्यामबिना सुमन आयो बदरा॥ध्रु०॥ सोबत सपनमों देखत शामकू। भरायो नयन निकल गयो कचरा॥१॥ मथुरा नगरकी चतुरा मालन। शामकू हार हमकू गजरा॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। समय गयो पिछे मीट गया झगरा

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मैया मोकू खिजावत बलजोर

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मैया मोकू खिजावत बलजोर। मैया मोकु खिजावत॥ध्रु०॥ जशोदा माता मील ली जाबे। लायो जमुनाको तीर॥१॥ जशोदाही गोरी नंदही गोरा। तुम क्यौं भयो शाम सरीर॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। नयनमों बरखत नीर॥३॥

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फिर बाजे बरनै हरीकी मुरलीया सुनोरे

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फिर बाजे बरनै हरीकी मुरलीया सुनोरे। सखी मेरो मन हरलीनो॥१॥ गोकुल बाजी ब्रिंदाबन बाजी। ज्याय बजी वो तो मथुरा नगरीया॥२॥ तूं तो बेटो नंद बाबाको। मैं बृषभानकी पुरानी गुजरियां॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर ना

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फूल मंगाऊं हार बनाऊ

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फूल मंगाऊं हार बनाऊ। मालीन बनकर जाऊं॥१॥ कै गुन ले समजाऊं। राजधन कै गुन ले समाजाऊं॥२॥ गला सैली हात सुमरनी। जपत जपत घर जाऊं॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। बैठत हरिगुन गाऊं॥४॥

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जाके मथुरा कान्हांनें घागर फोरी

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जाके मथुरा कान्हांनें घागर फोरी। घागरिया फोरी दुलरी मोरी तोरी॥ध्रु०॥ ऐसी रीत तुज कौन सिकावे। किलन करत बलजोरी॥१॥ सास हठेली नंद चुगेली। दीर देवत मुजे गारी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल चितहार

171

शाम बतावरे मुरलीवाला

18 जून 2022
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शाम बतावरे मुरलीवाला॥ध्रु०॥ मोर मुगुट पीताबंर शोभे। भाल तिलक गले मोहनमाला॥१॥ एक बन धुंडे सब बन धुंडे। काहां न पायो नंदलाला॥२॥ जोगन होऊंगी बैरागन होऊंगी। गले बीच वाऊंगी मृगछाला॥३॥ मीराके प्रभु गिरि

172

आई ती ते भिस्ती जनी जगत देखके रोई

18 जून 2022
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आई ती ते भिस्ती जनी जगत देखके रोई। मातापिता भाईबंद सात नही कोई। मेरो मन रामनाम दुजा नही कोई॥ध्रु०॥ साधु संग बैठे लोक लाज खोई। अब तो बात फैल गई। जानत है सब कोई॥१॥ आवचन जल छीक छीक प्रेम बोल भई। अब

173

मन माने जब तार प्रभुजी

18 जून 2022
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मन माने जब तार प्रभुजी॥ध्रु०॥ नदिया गहेरी नाव पुराणी। कैशी उतरु पार॥१॥ पोथी पुरान सब कुच देखे। अंत न लागे पार॥२॥ मीर कहे प्रभु गिरिधर नागर। नाम निरंतर सार॥३॥

174

जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया

18 जून 2022
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जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया। बीच खडा तोरो लाल कन्हैया॥ध्रु०॥ ब्रिदाबनके मथुरा नगरी पाणी भरणा। कैशी जाऊं मोरे सैंया॥१॥ हातमों मोरे चूडा भरा है। कंगण लेहेरा देत मोरे सैया॥२॥ दधी मेरा खाया मटकी फोरी।

175

नामो की बलहारी गजगणिका तारी

18 जून 2022
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नामोकी बलहारी गजगणिका तारी॥ध्रु०॥ गणिका तारी अजामेळ उद्धरी। तारी गौतमकी नारी॥१॥ झुटे बेर भिल्लणीके खावे। कुबजा नार उद्धारी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलिहारी॥३॥

176

जोगी मेरो सांवळा कांहीं गवोरी

20 जून 2022
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जोगी मेरो सांवळा कांहीं गवोरी॥ध्रु०॥ न जानु हार गवो न जानु पार गवो। न जानुं जमुनामें डुब गवोरी॥१॥ ईत गोकुल उत मथुरानगरी। बीच जमुनामो बही गवोरी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल चित्त हार गवोरी॥

177

लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी

20 जून 2022
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लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी॥ध्रु०॥ रामलक्ष्मण दोनों भीतर। बीचमें सीता प्यारी॥१॥ चलत चलत मोहे छाली पड गये। तुम जीते मैं हारी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलिहारी॥३॥

178

प्रभु तुम कैसे दीनदयाळ

20 जून 2022
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प्रभु तुम कैसे दीनदयाळ॥ध्रु०॥ मथुरा नगरीमों राज करत है बैठे। नंदके लाल॥१॥ भक्तनके दुःख जानत नहीं। खेले गोपी गवाल॥२॥ मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। भक्तनके प्रतिपाल॥३॥

179

मोहन डार दीनो गले फांसी

20 जून 2022
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मोहन डार दीनो गले फांसी॥ध्रु०॥ ऐसा जो होता मेरे नयनमें। करवत ले जाऊं कासी॥१॥ आंबाके बनमें कोयल बोले बचन उदासी॥२॥ मीरा दासी प्रभु छबी नीरखत। तूं मेरा ठाकोर मैं हूं तोरी दासी॥३॥

180

कुंजबनमों गोपाल राधे

20 जून 2022
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कुंजबनमों गोपाल राधे॥ध्रु०॥ मोर मुकुट पीतांबर शोभे। नीरखत शाम तमाल॥१॥ ग्वालबाल रुचित चारु मंडला। वाजत बनसी रसाळ॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनपर मन चिरकाल॥३॥

181

ज्या संग मेरा न्याहा लगाया

20 जून 2022
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ज्या संग मेरा न्याहा लगाया। वाकू मैं धुंडने जाऊंगी॥ध्रु०॥ जोगन होके बनबन धुंडु। आंग बभूत रमायोरे॥१॥ गोकुल धुंडु मथुरा धुंडु। धुंडु फीरूं कुंज गलीयारे॥२॥ मीरा दासी शरण जो आई। शाम मीले ताहां जाऊंरे॥३

182

शाम बन्सीवाला कन्हैया

20 जून 2022
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शाम बन्सीवाला कन्हैया। मैं ना बोलूं तुजसेरे॥ध्रु०॥ घर मेरा दूर घगरी मोरी भारी। पतली कमर लचकायरे॥१॥ सास नंनदके लाजसे मरत हूं। हमसे करत बलजोरी॥२॥ मीरा तुमसो बिगरी। चरणकमलकी उपासीरे॥३॥

183

पतीया मैं कैशी लीखूं, लीखये न जातरे

20 जून 2022
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पतीया मैं कैशी लीखूं, लीखये न जातरे॥ध्रु०॥ कलम धरत मेरा कर कांपत। नयनमों रड छायो॥१॥ हमारी बीपत उद्धव देखी जात है। हरीसो कहूं वो जानत है॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल रहो छाये॥३॥

184

कीत गयो जादु करके नो पीया

20 जून 2022
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कीत गयो जादु करके नो पीया॥ध्रु०॥ नंदनंदन पीया कपट जो कीनो। नीकल गयो छल करके॥१॥ मोर मुगुट पितांबर शोभे। कबु ना मीले आंग भरके॥२॥ मीरा दासी शरण जो आई। चरणकमल चित्त धरके॥३॥

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हरी तुम कायकू प्रीत लगाई

20 जून 2022
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हरी तुम कायकू प्रीत लगाई॥ध्रु०॥ प्रीत लगाई परम दुःख दीनो। कैशी लाज न आई॥१॥ गोकुल छांड मथुरेकु जाये। वामें कोन बराई॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। तुमकू नंद दुवाई॥३॥

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ये ब्रिजराजकूं अर्ज मेरी

20 जून 2022
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ये ब्रिजराजकूं अर्ज मेरी। जैसी राम हमारी॥ध्रु०॥ मोर मुगुट श्रीछत्र बिराजे। कुंडलकी छब न्यारी॥१॥ हारी हारी पगया केशरी जामा। उपर फुल हाजारी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलिहारी॥३॥

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तैं मेरी गेंद चुराई

20 जून 2022
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तैं मेरी गेंद चुराई। ग्वालनारे ॥ध्रु०॥ आबहि आणपेरे तोरे आंगणा। आंगया बीच छुपाई॥१॥ ग्वाल बाल सब मिलकर जाये। जगरथ झोंका आई॥२॥ साच कन्हैया झूठ मत बोले। घट रही चतुराई॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चर

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कोई देखोरे मैया

20 जून 2022
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कोई देखोरे मैया। शामसुंदर मुरलीवाला॥ध्रु०॥ जमुनाके तीर धेनु चरावत। दधी घट चोर चुरैया॥१॥ ब्रिंदाजीबनके कुंजगलीनमों। हमकू देत झुकैया॥२॥ ईत गोकुल उत मथुरा नगरी। पकरत मोरी भय्या॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरि

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जल कैशी भरुं जमुना भयेरी

20 जून 2022
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जल कैशी भरुं जमुना भयेरी॥ध्रु०॥ खडी भरुं तो कृष्ण दिखत है। बैठ भरुं तो भीजे चुनडी॥१॥ मोर मुगुटअ पीतांबर शोभे। छुम छुम बाजत मुरली॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चणरकमलकी मैं जेरी॥३॥

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भज मन शंकर भोलानाथ भज मन

20 जून 2022
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भज मन शंकर भोलानाथ भज मन॥ध्रु०॥ अंग विभूत सबही शोभा। ऊपर फुलनकी बास॥१॥ एकहि लोटाभर जल चावल। चाहत ऊपर बेलकी पात॥२॥ मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। पूजा करले समजे आपहि आप॥३॥

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मदन गोपाल नंदजीको लाल प्रभुजी

20 जून 2022
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मदन गोपाल नंदजीको लाल प्रभुजी॥ध्रु०॥ बालपनकी प्रीत बिखायो। नवनीत धरियो नंदलाल॥१॥ कुब्जा हीनकी तुम पत राखो। हम ब्रीज नारी भई बेहाल॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हम जपे यही जपमाल॥३॥

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मनुवा बाबारे सुमरले मन सिताराम

20 जून 2022
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मनुवा बाबारे सुमरले मन सिताराम॥ध्रु०॥ बडे बडे भूपती सुलतान उनके। डेरे भय मैदान॥१॥ लंकाके रावण कालने खाया। तूं क्या है कंगाल॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर लाल। भज गोपाल त्यज जंजाल॥३॥

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मन केरो जेवो चंद्र छे

20 जून 2022
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मन केरो जेवो चंद्र छे। रास रमे नंद लालो रे॥ध्रु०॥ नटवर बेश धर्यो नंद लाले। सौ ओघाने चालोरे॥१॥ गानतान वाजिंत्र बाजे। नाचे जशोदानो काळोरे॥२॥ सोळा सहस्त्र अष्ट पटराणी। बच्चे रह्यो मारो बहालोरे॥३॥ मीर

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मथुराके कान मोही मोही मोही

20 जून 2022
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मथुराके कान मोही मोही मोही॥ध्रु०॥ खांदे कामरीया हातमों लकरीया। सीर पाग लाल लोई लोई॥१॥ पाउपें पैंजण आण वट बीचवे। चाल चलत ताता थै थै थै॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हृदय बसत प्रभू तुही तुही तुही तु

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मोरी लागी लटक गुरु चरणकी

20 जून 2022
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मोरी लागी लटक गुरु चरणकी॥ध्रु०॥ चरन बिना मुज कछु नही भावे। झूंठ माया सब सपनकी॥१॥ भवसागर सब सुख गयी है। फिकीर नही मुज तरुणोनकी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। उलट भयी मोरे नयननकी॥३॥

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राधे तोरे नयनमों जदुबीर

20 जून 2022
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राधे तोरे नयनमों जदुबीर॥ध्रु०॥ आदी आदी रातमों बाल चमके। झीरमीर बरसत नीर॥१॥ मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडल झलकत हीर॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल शीर॥३॥

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राधे देवो बांसरी मोरी

20 जून 2022
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राधे देवो बांसरी मोरी। मुरली हमारी॥ध्रु०॥ पान पात सब ब्रिंदावन धुंडयो। कुंजगलीनमों सब हेरी॥१॥ बांसरी बिन मोहे कल न परहे। पया लागत तोरी॥२॥ काहेसुं गावूं काहेंसुं बजाऊं। काहेसुं लाऊं गवा घहेरी॥३॥ मी

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रंगेलो राणो कई करसो मारो राज्य

20 जून 2022
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रंगेलो राणो कई करसो मारो राज्य। हूं तो छांडी छांडी कुलनी लाज॥ध्रु०॥ पग बांधीनें घुंगरा हातमों छीनी सतार। आपने ठाकूरजीके मंदिर नाचुं वो हरी जागे दिनानाथ  ॥ रंगेलो०॥१॥ बिखको प्यालो राणाजीने भेजो कैं

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बारी होके जाने बंदना

20 जून 2022
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बारी होके जाने बंदना। पठीयो कछु नारी है॥ध्रु०॥ बुटीसे बुडी भई साची तो भारी हो बिचारी रही। तुम घर जावो बदना मेरो प्यारा भारी हो॥१॥ नारी होके द्वारकामें बाजे बासुरी। बासु मुस वारी हो। वोही खूब लाला

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लेता लेता श्रीरामजीनुं नाम

20 जून 2022
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लेता लेता श्रीरामजीनुं नाम। लोकडिवा तो लाजे मरे छे॥ध्रु०॥ हरी मंदिर जाता पाव लिया दुखे। फरा आवे सारूं गाम॥१॥ झगडो थाय त्यां दोडीनें जाया। मुक्तीनें बरना काम॥२॥ भांड भवैया गुणका नृत्य करता। बेशी रहे

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