राग बिहागरा
रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै।
कहो कुण धीर बंधावै॥
यो संसार कुबुधि को भांडो, साध संगत नहीं भावै।
राम-नाम की निंद्या ठाणै, करम ही करम कुमावै॥
राम-नाम बिन मुकति न पावै, फिर चौरासी जावै।
साध संगत में कबहुं न जावै, मूरख जनम गुमावै॥
मीरा प्रभु गिरधर के सरणै, जीव परमपद पावै॥