राग बिलावल
लेतां लेतां रामनाम रे, लोकड़ियां तो लाजो मरै छे।
हरि मंदिर जातां पांवड़ियां रे दूखै, फिर आवै आखो गाम रे।
झगड़ो धाय त्यां दौड़ीने जाय रे, मूकीने घर ना काम रे॥
भांड भवैया गणकात्रित करतां वैसी रहे चारे जाम रे।
मीरा ना प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल चित हाय रे॥