ये तो रीत है सदा से इस जहां कि
मिट जाता है वो जो मिटाना चाहता है किसीको
क्या कभी देखा है तुमने किसी लाश को रोते हुये
रोता तो वो है जो जलाता है उसको
ये जीवन का एक कटू सत्य है
जो जानता है इसको वो अहंकार नहीं करता
औकात क्या है इंसान की तकदीर के सामने
देखा है डिगते यहां रावण का भी अहंकार
देव हो या दानव या हो कोई मानव
अहंकार नहीं टिकता संसार में किसीका
जलो मत किसी से कभी, रखो समभाव
जलना है तो जलो यहां दिप के समान
दूर करो धरा से अज्ञान का अंधकार......