लोग उन्हें नेताजी तुलसीदास कहते थे।
वे भी हमेशा प्राचीन और नूतन युग को एक साथ जीवंत करने की बात सोचा करते थे।
उन्होंने रामायण पढ़ी तो नहीं थी किन्तु वे उससे बहुत प्रभावित थे और उस के पात्रों से उन्हें गहरा लगाव था।
वे बताते थे कि जैसे राम को घर त्याग कर वन जाने का आदेश मिला था,वैसे ही उन्हें भी कभी कॉलेज से निष्कासन का आदेश मिला था।
लोग कहते थे कि जैसे रावण ने सीता पर बुरी नज़र डाली, ये तो उनका रोज़ का काम था।
अपनी लंका को साम दाम दण्ड भेद से सोने की बना लेने में वे जुटे ही थे।
केवट से प्रभावित होकर उन्होंने देशी विदेशी पुराने जहाज़ों को खरीदने बेचने का धंधा भी किया था।
हाल ही में उन्होंने शहर में एक शानदार होटल खोला तो उसका नाम रखा शबरी लंच होम !
उदघाटन के समय मीडिया ने उनसे पूछा कि शबरी के नाम पर इसका नामकरण करने की प्रेरणा आपको कैसे मिली?
वे बोले - शबरी ने राम को अपने जूठे बेर खिलाए थे,इस होटल में भी ग्राहकों को जूठा खाना ही परोसा जाएगा।
लोग चौंके, कई तो उठकर जाने लगे। पर उन्होंने लोगों को समझाया- देखिए, ये शहर का पॉश इलाका है, यहां अमीर लोग रहते हैं। उनके यहां घर में, पार्टियों में बहुत सा खाना बनता है जिसमें बहुत सा खाना बच कर बर्बाद होता है। हम वो खाना इकट्ठा करवाएंगे और सस्ते दामों में लोगों को परोसेंगे, गरीबों को मुफ्त भी देंगे।
लोगों ने आपत्ति जताई, कहा - लेकिन जूठा खाना कोई क्यों खाएगा?
वे क्रोध से उखड़ गए, बोले - अरे जब राम ने जूठा खाया तो आम लोगों को जूठा खाने में क्या परेशानी है।
लोग अब उनके सनकीपने के मज़े लेने लगे। एक लड़के ने कहा - राम ने तो अपनी पत्नी का त्याग कर दिया था।
वे भोलेपन से बोले- अब नए युग में कुछ अंतर तो आयेगा ही। वैसे मेरी पत्नी तो मुझे न जाने कब से छोड़ के जा चुकी है।