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दो बूँद पानी

Ashfaq Ahmad

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कुदरत ने हमें कम नियामतें नहीं दीं, हमीं ने उनकी कद्र न की.. ऐसी ही एक नियामत है पानी जो कुदरत ने हमें भरपूर बख्शा है लेकिन जिस हिसाब से हम अंधाधुंध इसका उपयोग और दुरुपयोग कर रहे हैं, भविष्य में हमें वह दिन भी देखना पड़ेगा जब हम एक एक बूंद को तरसेंगे। "दो बूँद पानी" इसी भविष्य की झलक दिखाती है। 

do bund paani

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पुस्तक के भाग

1

दो बूँद पानी

10 नवम्बर 2021
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<p dir="ltr">रास्ते में खड़े उन मवालियों को देख लक्ष्मी का कलेजा धक् से रह गया। उसने रास्ता बदलने के

2

नयी नस्ल का मजहब

22 नवम्बर 2021
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<p>आज वह फिर आया था, गाँव की गलियों में आवाजें लगाता। जैसे हमेशा आता था... बस 'नाक कान छिदवा लो' कि

3

सेव धर्म

22 नवम्बर 2021
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<p>मैं खामोशी से उसे देख रहा था... वह मेरे सामने था लेकिन पर्दे पर था। यह पर्दा मेरे ख्यालों का था,

4

दो चेहरे

22 नवम्बर 2021
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<p><u>सीन नंबर वन</u></p> <p> </p> <p>सबसे पहले रफीक ने देखा था उस लोथड़े को मांस के, जो साफ तौर

5

आधार वाली माता

22 नवम्बर 2021
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<p>जी हाँ, यहां जिक्र है वाइट वाली फोर व्हीलर का... गाय, गौमाता इज आउटडेटेड... यू नो। भई अब आधार बनन

6

वन्स अपान ए टाईम इन कश्मीर

22 नवम्बर 2021
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<p>अपनी ज़िन्दगी में इंसान अगर एक लम्बी उम्र जीता है

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