Ashfaq Ahmad
लेखक/ब्लाॅगर/प्रकाशक
केबीसी अल्टीमेट
हास्य का एक रूप यह भी है कि फिल्म या प्रोग्राम की पैरोडी बने जाये, जो अपने तौर पर मूल फिल्म या प्रोग्राम से अलग मनोरंजन करे... तो प्रस्तुत किताब इसी तरह की है जिसमे सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से कई अलग तरह के प्रसंग लिए गये हैं.. कृपया इसे मनोरंजन के
केबीसी अल्टीमेट
हास्य का एक रूप यह भी है कि फिल्म या प्रोग्राम की पैरोडी बने जाये, जो अपने तौर पर मूल फिल्म या प्रोग्राम से अलग मनोरंजन करे... तो प्रस्तुत किताब इसी तरह की है जिसमे सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से कई अलग तरह के प्रसंग लिए गये हैं.. कृपया इसे मनोरंजन के
छोले
किसी फिल्म की कहानी को आगे हास्य के रूप में परोसा जाये तो वों भी कम मनोरंजक नहीं होगी.. प्रस्तुत किताब एक ऐसी ही कल्पना है, जिसमे अलग-अलग कई हास्य-व्यंग्य लिए गये हैं...
छोले
किसी फिल्म की कहानी को आगे हास्य के रूप में परोसा जाये तो वों भी कम मनोरंजक नहीं होगी.. प्रस्तुत किताब एक ऐसी ही कल्पना है, जिसमे अलग-अलग कई हास्य-व्यंग्य लिए गये हैं...
Ashfaq Ahmad की डायरी
यह कोई किताब नहीं है, हाँ, इसे मेरे लेखों का संकलन कह सकते हैं जो मैं इधर-उधर लिखता रहता हूँ। बहुत से जानने वालों के लिये इसमें काफी सूचनायें हो सकती हैं।
Ashfaq Ahmad की डायरी
यह कोई किताब नहीं है, हाँ, इसे मेरे लेखों का संकलन कह सकते हैं जो मैं इधर-उधर लिखता रहता हूँ। बहुत से जानने वालों के लिये इसमें काफी सूचनायें हो सकती हैं।
अपराध बोध
सोशल मीडिया के सहारे दिमाग में भरते जहर का शिकार हो कर कैसे कोई गंदी सियासत का एक मोहरा बन कर अपनी जिंदगी खराब कर लेता है, यह उससे बेहतर कौन जान सकता था जिसने अपना सुनहरा भविष्य वक्ती जज्बात के हवाले हो कर खुद अपने हाथों से बर्बाद कर डाला था।
अपराध बोध
सोशल मीडिया के सहारे दिमाग में भरते जहर का शिकार हो कर कैसे कोई गंदी सियासत का एक मोहरा बन कर अपनी जिंदगी खराब कर लेता है, यह उससे बेहतर कौन जान सकता था जिसने अपना सुनहरा भविष्य वक्ती जज्बात के हवाले हो कर खुद अपने हाथों से बर्बाद कर डाला था।
इद्दत एक व्यथा
पुराने पड़ते धर्मों में तमाम ऐसी कुरीतियां और परंपरायें मौजूद हैं जिन्हें बदले या सुधारे जाने की जरूरत है लेकिन धार्मिक जड़ता आड़े आ जाती है, खास कर औरतों से सम्बंधित मसलों पर। जहां मर्द का हाथ फंस रहा हो, वहां कोई न कोई गुंजाइश निकाल ही ली जाती है ल
इद्दत एक व्यथा
पुराने पड़ते धर्मों में तमाम ऐसी कुरीतियां और परंपरायें मौजूद हैं जिन्हें बदले या सुधारे जाने की जरूरत है लेकिन धार्मिक जड़ता आड़े आ जाती है, खास कर औरतों से सम्बंधित मसलों पर। जहां मर्द का हाथ फंस रहा हो, वहां कोई न कोई गुंजाइश निकाल ही ली जाती है ल
दो बूँद पानी
कुदरत ने हमें कम नियामतें नहीं दीं, हमीं ने उनकी कद्र न की.. ऐसी ही एक नियामत है पानी जो कुदरत ने हमें भरपूर बख्शा है लेकिन जिस हिसाब से हम अंधाधुंध इसका उपयोग और दुरुपयोग कर रहे हैं, भविष्य में हमें वह दिन भी देखना पड़ेगा जब हम एक एक बूंद को तरसेंगे
दो बूँद पानी
कुदरत ने हमें कम नियामतें नहीं दीं, हमीं ने उनकी कद्र न की.. ऐसी ही एक नियामत है पानी जो कुदरत ने हमें भरपूर बख्शा है लेकिन जिस हिसाब से हम अंधाधुंध इसका उपयोग और दुरुपयोग कर रहे हैं, भविष्य में हमें वह दिन भी देखना पड़ेगा जब हम एक एक बूंद को तरसेंगे