मेरे जिंदगी के हर अनुभव को दैनिक विषय के आधार पर आपके समक्ष पेश कर रहा हूं । जिसमें जिंदगी के वास्तविक अनुभव में आपके साथ शेयर कर रहा हूं। हर तमन्ना है मेरे दिल में, मैं जाहिर कर रहा हूं। उम्मीद है आपसे यह पसंद आयेगी, मैं जिंदगी का अनुभव शेयर कर रहा
मेरे जिंदगी के हर अनुभव को दैनिक विषय के आधार पर आपके समक्ष पेश कर रहा हूं । जिसमें जिंदगी के वास्तविक अनुभव में आपके साथ शेयर कर रहा हूं। हर तमन्ना है मेरे दिल में, मैं जाहिर कर रहा हूं। उम्मीद है आपसे यह पसंद आयेगी, मैं जिंदगी का अनुभव शेयर कर रहा
यह किताब एक कविता संग्रह है। मैंने अपने अनुभवों को शब्दों में पिरोकर कविता का रुप दिया है।कहते हैं कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, तो समाज में होने वाली घटनाएँ तथा ज़िन्दगी के खट्टे मीठे अनुभव यहाँ कविता के रूप में प्रस्तुत हैं।अपनी व्यस्त दिनचर्या
यह किताब एक कविता संग्रह है। मैंने अपने अनुभवों को शब्दों में पिरोकर कविता का रुप दिया है।कहते हैं कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, तो समाज में होने वाली घटनाएँ तथा ज़िन्दगी के खट्टे मीठे अनुभव यहाँ कविता के रूप में प्रस्तुत हैं।अपनी व्यस्त दिनचर्या
लोकोक्ति अथवा कहावत किसी भी कथन को सारगर्भित और प्रभावपूर्ण ढंग से संक्षिप्त रूप में व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। हिन्दी और इसकी बोलियों में संदेशपूर्ण और प्रेरक कहावत कहने की सुदीर्घ परंपरा है। यह किसी भी देश के संस्कृति, चिंतन और मूल्यों को भ
लोकोक्ति अथवा कहावत किसी भी कथन को सारगर्भित और प्रभावपूर्ण ढंग से संक्षिप्त रूप में व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। हिन्दी और इसकी बोलियों में संदेशपूर्ण और प्रेरक कहावत कहने की सुदीर्घ परंपरा है। यह किसी भी देश के संस्कृति, चिंतन और मूल्यों को भ
शब्द.इन द्वारा दिये गये विषयों पर मेरे विचारों का संगम इस पुस्तक के माध्यम से रचित किया जायेगा जो समाज में घटित वर्तमान, भविष्य और अतीत की घटनाओं को संदर्भित करके किया जायेगा। आप मेरे विचारों को पढ़कर समीक्षा करें और मुझे भविष्य में प्रेरित करें।
शब्द.इन द्वारा दिये गये विषयों पर मेरे विचारों का संगम इस पुस्तक के माध्यम से रचित किया जायेगा जो समाज में घटित वर्तमान, भविष्य और अतीत की घटनाओं को संदर्भित करके किया जायेगा। आप मेरे विचारों को पढ़कर समीक्षा करें और मुझे भविष्य में प्रेरित करें।
"मुट्ठी भर रेत" काव्य संग्रह में इंद्रधनुषी रंगों से रंगी अनेकानेक रचनाएं हैं। कहीं मां के आंचल की सुगंध है,तो कहीं देश-भक्ति का रंग दिखाई देता है। कुछ रचनाएं समाज को ललकारती हैं, तो कुछ प्रेम से पुचकार कर उन्नति के पथ पर अग्रसर करती हैं।
"मुट्ठी भर रेत" काव्य संग्रह में इंद्रधनुषी रंगों से रंगी अनेकानेक रचनाएं हैं। कहीं मां के आंचल की सुगंध है,तो कहीं देश-भक्ति का रंग दिखाई देता है। कुछ रचनाएं समाज को ललकारती हैं, तो कुछ प्रेम से पुचकार कर उन्नति के पथ पर अग्रसर करती हैं।
घरेलू महिला कामगार कामकाजी या फिर नौकरीपेशा महिलाओं से अलग और अधिक जटिल चुनौतियों के बीच अपने जीवन यथार्थ से जूझती रहती है। स्त्री विमर्श ने घरेलू महिला कामगारों के समुदाय को अभी तक विषय नहीं बनाया है। एक ओर निजी परिवार और समाज की चुनौतियां झेलती हैं
घरेलू महिला कामगार कामकाजी या फिर नौकरीपेशा महिलाओं से अलग और अधिक जटिल चुनौतियों के बीच अपने जीवन यथार्थ से जूझती रहती है। स्त्री विमर्श ने घरेलू महिला कामगारों के समुदाय को अभी तक विषय नहीं बनाया है। एक ओर निजी परिवार और समाज की चुनौतियां झेलती हैं
स्वरचित कहानियां जो मनुष्य के जीवन के कुछ घटना क्रमों से सम्बंधित करके दिमागी विचारों से रची गई है। जिनका मुख्य उद्देश्य घटनाक्रमों से शिक्षा लेकर अपने जीवन में सुधार करके कुछ बदलाव करना इसके अतिरिक्त समाज में इस तरह के व्यवहारों को रोकना जो मानवता स
स्वरचित कहानियां जो मनुष्य के जीवन के कुछ घटना क्रमों से सम्बंधित करके दिमागी विचारों से रची गई है। जिनका मुख्य उद्देश्य घटनाक्रमों से शिक्षा लेकर अपने जीवन में सुधार करके कुछ बदलाव करना इसके अतिरिक्त समाज में इस तरह के व्यवहारों को रोकना जो मानवता स
इस पुस्तक में विभिन्न विषयों पर कविताएँ लिखीं हैं। कुछ प्रेरक प्रसंग है। कुछ शिक्षाप्रद कविताएँ हैं। * * * * काव्य के अंकुर को, शब्दों से सींचना है। कलम की धार से, किस्मत की लकीर खींचना है। होना है कामयाब, लेखन के
इस पुस्तक में विभिन्न विषयों पर कविताएँ लिखीं हैं। कुछ प्रेरक प्रसंग है। कुछ शिक्षाप्रद कविताएँ हैं। * * * * काव्य के अंकुर को, शब्दों से सींचना है। कलम की धार से, किस्मत की लकीर खींचना है। होना है कामयाब, लेखन के
"निर्मल काव्य-धारा" जीवन के विभिन्न पहलुओं के गहन अध्ययन एवं अनुभवों को शब्द रुपी मोतियों में पिरोकर पाठको के समक्ष प्रस्तुत की गयी,काव्य कला का एक अनूठा संगम है। जिसमें कहीं दुनिया के बदलते परिवेश, सच्चे प्रेम की कसक,एवं प्रकृति के सौंदर्य का निरुपम
"निर्मल काव्य-धारा" जीवन के विभिन्न पहलुओं के गहन अध्ययन एवं अनुभवों को शब्द रुपी मोतियों में पिरोकर पाठको के समक्ष प्रस्तुत की गयी,काव्य कला का एक अनूठा संगम है। जिसमें कहीं दुनिया के बदलते परिवेश, सच्चे प्रेम की कसक,एवं प्रकृति के सौंदर्य का निरुपम
अगर कुएँ में पत्थर फेंकने की ख़ुशी पानी है तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है—किसी मासूम बच्चे को ऐसे विचारों और सिद्धांतों तक पहुँचने में कितना दर्द और कितनी नफ़रत लगती है उसका आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। आहिल एक छोटे-से गाँव के एक
अगर कुएँ में पत्थर फेंकने की ख़ुशी पानी है तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है—किसी मासूम बच्चे को ऐसे विचारों और सिद्धांतों तक पहुँचने में कितना दर्द और कितनी नफ़रत लगती है उसका आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। आहिल एक छोटे-से गाँव के एक
मैं इस पुस्तक की लेखिका रश्मि गुप्ता, उम्र के हर स्वाद का रसपान कर चुकी हूँ और कहीं भी इसे मैंने नीरस नहीं पाया है। हर चीज यहां अपना एक विशेष स्थान रखती है। चाहे फूल ही या कांटा, दोनों की बराबर अहमियत है । लीक से हटकर अंधेरे, समस्या
मैं इस पुस्तक की लेखिका रश्मि गुप्ता, उम्र के हर स्वाद का रसपान कर चुकी हूँ और कहीं भी इसे मैंने नीरस नहीं पाया है। हर चीज यहां अपना एक विशेष स्थान रखती है। चाहे फूल ही या कांटा, दोनों की बराबर अहमियत है । लीक से हटकर अंधेरे, समस्या
नई बात कहने की तलाश में किसी भी कहानी के पहले एक लंबी गहरी चुप होती है। हम उसे सन्नाटा नहीं कह सकते हैं। कोरे पन्ने और भीतर पल रहे संसार के बीच संवादों का जमघट लगा होता है। बहुत देर से चली आ रही चुप में संघर्ष नई बात कहने के आश्चर्य का चल रहा होता है
नई बात कहने की तलाश में किसी भी कहानी के पहले एक लंबी गहरी चुप होती है। हम उसे सन्नाटा नहीं कह सकते हैं। कोरे पन्ने और भीतर पल रहे संसार के बीच संवादों का जमघट लगा होता है। बहुत देर से चली आ रही चुप में संघर्ष नई बात कहने के आश्चर्य का चल रहा होता है
यह पुस्तक प्रकृति और जीवन से सम्बन्धित कविताओं को प्रस्तुत करती है । प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को और जिंदगी के अनुभवों को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है ।अगर आप प्रकृति - प्रेमी हैं और जीवन के संघर्षों को काव्य के रूप में पढ़ना चाहते है तो यह
यह पुस्तक प्रकृति और जीवन से सम्बन्धित कविताओं को प्रस्तुत करती है । प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को और जिंदगी के अनुभवों को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है ।अगर आप प्रकृति - प्रेमी हैं और जीवन के संघर्षों को काव्य के रूप में पढ़ना चाहते है तो यह
इसमें कुल ७ सर्ग हैं, जिसमे कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया है। रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और वफादारी की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है। रश्मिरथी में दिनकर ने सारे स
इसमें कुल ७ सर्ग हैं, जिसमे कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया है। रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और वफादारी की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है। रश्मिरथी में दिनकर ने सारे स
बनारस के एक छोटे से मोहल्ले में बड़ा होता एक लड़का घर के माहौल से ऊब कर संतों की संगति में बैठने लगता है और दुनिया देखने का उसका नज़रिया बदलने लगता है। वो बड़ा होकर लेखक बनना चाहता है और इस सपने को जीते हुए वह बचपन की दोस्तियों और जवानी के प्यार से रूबरू
बनारस के एक छोटे से मोहल्ले में बड़ा होता एक लड़का घर के माहौल से ऊब कर संतों की संगति में बैठने लगता है और दुनिया देखने का उसका नज़रिया बदलने लगता है। वो बड़ा होकर लेखक बनना चाहता है और इस सपने को जीते हुए वह बचपन की दोस्तियों और जवानी के प्यार से रूबरू
यह कहानी है तिलिसमपूर की इतराँ की, जिसके बदन में चिट्ठियाँ बहती थीं। उसकी ज़िंदगी में अद्भुत शहर हैं, दिलकश लोग हैं, और इतनी मुहब्बत है जो जन्म-पार, कई आयामों तक उसका हाथ थामे चलती है। इतराँ को लगता है कि इश्क़ वो निर्णायक बिंदु है जिससे तय होता है क
यह कहानी है तिलिसमपूर की इतराँ की, जिसके बदन में चिट्ठियाँ बहती थीं। उसकी ज़िंदगी में अद्भुत शहर हैं, दिलकश लोग हैं, और इतनी मुहब्बत है जो जन्म-पार, कई आयामों तक उसका हाथ थामे चलती है। इतराँ को लगता है कि इश्क़ वो निर्णायक बिंदु है जिससे तय होता है क
बीते दिनों में हम सब, पहले से ज्यादा अकेले हुए हैं। कितने दोस्तों को दूसरा शहर नौकरी की जंजीरों में बाँधकर अपने साथ ले गया और कितने अजीज रिश्ते राजतीनिक बहसों में उलझकर टूट गए। सोशल मीडिया की फिजूल प्रायोजित बहसों में लड़ते हुए हम अपने आसपास के लो
बीते दिनों में हम सब, पहले से ज्यादा अकेले हुए हैं। कितने दोस्तों को दूसरा शहर नौकरी की जंजीरों में बाँधकर अपने साथ ले गया और कितने अजीज रिश्ते राजतीनिक बहसों में उलझकर टूट गए। सोशल मीडिया की फिजूल प्रायोजित बहसों में लड़ते हुए हम अपने आसपास के लो
आज हम सभी अपने विचारों और दायित्व के साथ मेहनत और लग्न करने की जरूरत नहीं करते और सोचते है आओ पढ़े...........
आज हम सभी अपने विचारों और दायित्व के साथ मेहनत और लग्न करने की जरूरत नहीं करते और सोचते है आओ पढ़े...........