भगवान श्री कृष्ण ने बाल लीलाओं में माध्यम से अपने दर्शन प्रतिपादित किया है | उसीका संक्षिप्त विवरण इस पुस्तक में दिया गया है|
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गोवर्धन धारण श्री कृष्ण ने वर्षा के देवता इंद्र की पूजा के स्थान पर गोवर्धन की पूजा प्रारंभ करवाई| तथा गोवर्धन की महिमा मंडन कर देवराज इंद्र को नाराज कर दिया | जिससे कुपितहोकर इंद्र ने अतिवृष्टि
बकासुर वध पूतना त्रनावार्त वृतासुर के वध हो जाने तथा कृष्ण की हत्या के मनसूबे से कंस ने बकासुर को भेजा |बकासुर दात्याकार बगुले का रूप धारण करने में सक्षम था | वह लम्बी चोंच तथा विकराल आखो से घूरते हु
वृतासुर वध श्री कृष्ण की हत्या करने के लिए कंस ने वृतासुर को भेजा | वृतासुर बछड़े का रूप धारण करने में दक्ष था | वह बछड़े के रूप में कृष्ण की गायों में शामिल हो गया |इस समय श्री कृष्ण ग्वाले के रूप म
त्रनावार्त वध कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए त्रनावार्त को भेजा | त्रनावार्त को तेज आंधी, बबंडर में बदलकर सब कुछा उड़ा लेने की शक्ति प्राप्त थी| उसने भयंकर बबंडर का रूप धारण कर लिया | समस्त दिश
पूतना वध कृष्ण ने जब पूतना का वध किया उस समय उनकी आयु बहुत ही कम थी |एक छोटे से बालक द्वारा इतना बड़ा साहस सामान्य बात नहीं थी |वास्तव में उस समय कंश के अधीन क्षेत्रो में कोई जनकल्याणकारी प्रशासन व्
-१- (बाल्यावस्था) १-कंश के लिए भय का वातावरण कंश के आतंक से सम्पूर्ण जनता बेहद दुखी हो चुकी थी |कंस के वध के लिए आवश्यक था की उसे सैनिक मानसिक तथा शारीरिक रूप से कमजोर किया जाये | यही कारण था की द