मेरे सजदो की इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न ,और सर कही गुप्तरत्न का झुकें न ए मालिक
आपके लिए
भावनायों के समन्दर में ,
ख़ामोशी की