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गीता शर्मा एक स्‍वतंत्र पत्रकार है, पिछले 20 साल से वो पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं, वो देश के कई हिंदी न्‍यूज चैनल में एकंर के रूप में काम कर चुकी हैं। उन्‍होंने दिल्‍ली, हरियाणा के प्रसिद्ध चैनल टोटल टीवी, नेशनल न्‍यूज चैनल जैन टीवी और सीएनबीसी में बतौर एंकर, पत्रकार काम किया है। हिंदी पत्रकारिता के साथ वो कहानी लेखन के क्षेत्र में काफी सक्रीय हैं। उनकी कई लघु कथाएं सोशल मीडिया के अलग-अलग प्‍लेटफॉर्म पर उपलब्‍ध हैं। पत्रकार और लेखिका होने के साथ ही वो एक सफल लाइव स्‍ट्रीमिंग कंपनी की सीएओ भी है। दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्‍होंने न्‍यू दिल्‍ली वाईएमसीए इंस्‍टीट्यूट ऑफ मीडिया स्‍टडीज़ एंड इंर्फोमेशन टेक्‍नोलॉजी से पत्रकारिता में डिप्‍लोमा किया। खबरों की भाग दौड़ के बीच सूकून के कुछ पल कहानियां लिखकर गुजारे जो धीरे-धीरे सोशल मीडिया के जरीये सब तक पहुंचे। पाठकों से मिले प्‍यार को और बढ़ाने के इरादे से उन्‍होंने अपनी कहानियों को प्रकाशित करने का फैसला किया। ‘वायरल आशिक’ उपन्‍यास के अलावा कहानी संग्रह ‘खुली आंखों वाले सपने, ‘एक कतरा जिंदगी का’ और ‘शर्त ये है कि जिदंगी मिल जाये’ उनकी चर्चित किताबें हैं।

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-04-10
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साप्ताहिक लेखन प्रतियोगिता2022-05-22
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-07-15
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-06-17

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वायरल आशिक

वायरल आशिक

हर बार कहती है क्यों नहीं? तुम इस बार भी क्यों नहीं? अंधेरे से जो बिखरे हैं रोशनी का निशान क्यों नहीं? रातों की खामोशी को सुनने की मजबूरी चिड़ियों की आवाजों की छन छन क्यों नही? वक्त ने बांधी है मेरे दिल की उड़ान भी इस वक्त से लड़ने की ताकत क्य

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15 common.articles
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ईबुक:

₹ 53/-

प्रिंट बुक:

163/-

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हर बार कहती है क्यों नहीं? तुम इस बार भी क्यों नहीं? अंधेरे से जो बिखरे हैं रोशनी का निशान क्यों नहीं? रातों की खामोशी को सुनने की मजबूरी चिड़ियों की आवाजों की छन छन क्यों नही? वक्त ने बांधी है मेरे दिल की उड़ान भी इस वक्त से लड़ने की ताकत क्य

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खुली आंखों वाले सपने

खुली आंखों वाले सपने

“खुली आंखों वाले सपने’ गीता शर्मा की चार कहानियों का संग्रह है। चारों कहानियां जिंदगी के अलग-अलग पहलुओं को छूती हुई जिदंगी जीने का नया अंदाज सिखाती हैं। कहीं प्रेम में समर्पण है तो कहीं सच्‍ची दोस्‍ती की पहचान कराते किस्‍से, कहीं रिश्‍तों की मासूमियत

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खुली आंखों वाले सपने

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“खुली आंखों वाले सपने’ गीता शर्मा की चार कहानियों का संग्रह है। चारों कहानियां जिंदगी के अलग-अलग पहलुओं को छूती हुई जिदंगी जीने का नया अंदाज सिखाती हैं। कहीं प्रेम में समर्पण है तो कहीं सच्‍ची दोस्‍ती की पहचान कराते किस्‍से, कहीं रिश्‍तों की मासूमियत

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तलाश में हूं खुद की

तलाश में हूं खुद की

अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़

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तलाश में हूं खुद की

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अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़

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शर्त ये है कि जिंदगी मिल जाये...

शर्त ये है कि जिंदगी मिल जाये...

सही और गलत सोच का फेर ही तो है जो दिल को सही लगे वही सही होता है क्‍योंकि उसे करने से पहले ज्‍यादा कुछ सोचना नहीं पड़ता पर जहां सोच गहरी हो जाये वहां कुछ सही तो क्‍या कुछ होने के चांस भी खत्‍म हो जाते हैं क्‍योंकि वक्‍त किसी के लिये नहीं रूकता और वक्

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शर्त ये है कि जिंदगी मिल जाये...

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सही और गलत सोच का फेर ही तो है जो दिल को सही लगे वही सही होता है क्‍योंकि उसे करने से पहले ज्‍यादा कुछ सोचना नहीं पड़ता पर जहां सोच गहरी हो जाये वहां कुछ सही तो क्‍या कुछ होने के चांस भी खत्‍म हो जाते हैं क्‍योंकि वक्‍त किसी के लिये नहीं रूकता और वक्

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एक कतरा जिंदगी का....

एक कतरा जिंदगी का....

उलझनें रिश्‍तों को कमजोर कर देती हैं लेकिन ये होती क्‍यों है इस पर गौर करें तो बात एक दूसरे को समझने और अपनी बात समझाने पर आकर रूक जाती है,,, अच्‍छे खासे रिश्‍ते एक छोटी सी गलतफहमी पर टूट जाते हैं टूटने और बिखरने का सफर इतना दर्दनाक होता है कि कई बार

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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