गजानन माधव मुक्तिबोध
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मुक्तिबोध का जन्म श्यौपुर, ग्वालियर में हुआ। नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. किया तथा आजीवन साहित्य-सृजन और पत्रकारिता से जुडे रहे। मुक्तिबोध अपनी लम्बी कविताओं के लिए प्रसिध्द हैं। इनकी कविता में जीवन के प्रति विषाद और आक्रोश है। मुख्य संग्रह हैं : 'चांद का मुंह टेढा है तथा 'भूरी-भूरी खाक धूल। ये काव्य में नए स्वर के प्रवर्तक तथा मौलिक चिंतक हैं। इन्होंने निबंध, कहानियां तथा समीक्षाएं भी लिखी हैं। समस्त रचनाएं 'मुक्तिबोध रचनावली (6 खण्ड) में प्रकाशित हैं।
सहर्ष स्वीकारा है / गजानन माधव मुक्तिबोध
13 अप्रैल 2023
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विचार आते हैं / गजानन माधव मुक्तिबोध
13 अप्रैल 2023
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लकड़ी का रावण / गजानन माधव मुक्तिबोध
13 अप्रैल 2023
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रात, चलते हैं अकेले ही सितारे / गजानन माधव मुक्तिबोध
13 अप्रैल 2023
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मृत्यु और कवि / गजानन माधव मुक्तिबोध
13 अप्रैल 2023
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मैं तुम लोगों से दूर हूँ / गजानन माधव मुक्तिबोध
13 अप्रैल 2023
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मैं उनका ही होता / गजानन माधव मुक्तिबोध
13 अप्रैल 2023
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मेरे जीवन की / गजानन माधव मुक्तिबोध
13 अप्रैल 2023
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मेरा असंग बबूलपन / गजानन माधव मुक्तिबोध
13 अप्रैल 2023
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मुझे पुकारती हुई पुकार / गजानन माधव मुक्तिबोध
13 अप्रैल 2023
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