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मेरे सजदो की इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न ,और सर कही गुप्तरत्न का झुकें न ए मालिक आपके लिए भावनायों के समन्दर में ,ख़ामोशी की गहराई में , ,मेरे सजदो की इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न ,और सर कही गुप्तरत्न का झुकें न ए मालिक आपके लिए भावनायों के समन्दर में ,ख़ामोशी की गहराई में , ,मेरे सजदो की इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न ,और सर कही गुप्तरत्न का झुकें न ए मालिक आपके लिए भावनायों के समन्दर में ,ख़ामोशी की गहराई में , ,मेरे सजदो की इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न ,और सर कही गुप्तरत्न का झुकें न ए मालिक आपके लिए भावनायों के समन्दर में ,ख़ामोशी की गहराई में ,

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गुप्तरत्न भावनाओं के समन्दर में हिंदी उर्दू की भावनाओं और संवेदनाओं को छूती हुए मुक्कत कविता ग़ज़ल ,शायरी का संग्रह है जिसे सभी विषयों से संबंधी लेख कविता पढ़ने को मिलेंगे

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<p>गुप्तरत्न भावनाओं के समन्दर में </p><p>हिंदी उर्दू की भावनाओं और संवेदनाओं को छूती हुए मुक्कत कविता ग़ज़ल ,शायरी का संग्रह है जिसे सभी विषयों से संबंधी लेख कविता पढ़ने को मिलेंगे </p><p><br></p>

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शिक्षा और संस्कृति

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