चंद्रमा का अन्वेषण हमारे आकाशीय शरीरों की समझ को न केवल बढ़ावा दिया है, बल्कि इसके सतह पर विभिन्न बिंदुओं के लिए मानकीकरण के नामों की आवश्यकता को भी प्रोत्साहित किया है। भारत की चंद्रयान-3 मिशन ने हाल ही में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक लैंडिंग की खबरें बनाई और उसके लैंडिंग स्थल को 'शिव शक्ति' के नाम से विशेष रूप में चिह्नित किया। चंद्रमा की सतह पर बिंदुओं के इस नामकरण प्रक्रिया की शुरुआत हांडिंग 'तिरंगा' के नाम से विख्यात तिरंगा वाले स्थान के नाम से हुई थी जहां चंद्रयान-2 का क्रैश लैंडिंग हुआ था।
चंद्रयान-3 मिशन ने 'शिव शक्ति' के नाम से पुनर्निर्धारित होने वाले उस स्थल का चुनाव किया है जहां यह उपग्रह पहुंचा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घोषणा के दौरान बंगलूरु के आईएसआरओ कमांड सेंटर में कहा, "यह भारत है, जो नवाचारी और अद्वितीय रूप से सोचता है। यह भारत है, जो अंधकारी क्षेत्रों में जाता है और प्रकाश को फैलाकर दुनिया को प्रकाशित करता है।"
यह 'शिव शक्ति' का स्थान मानवता और अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए अत्यधिक महत्व रखता है, क्योंकि यह पहली बार किसी देश द्वारा चंद्रमा के दूसरी ओर पहुंचा है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर द्वारा एकत्रित डेटा चंद्रमा की वायुमंडलीय संरचना, उसकी सतह और उसके पर्यावरण के अन्य विवरणों को समझने में महत्वपूर्ण होगा।
चंद्रयान-3 मिशन के महत्वपूर्ण उपलब्धियों के साथ-साथ यह आवश्यक है कि हम चंद्रमा की सतह पर बिंदुओं के नामकरण की प्रक्रिया को समझें। अंतर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ (आईएयू), जिसे 1919 में स्थापित किया गया था, आकाशीय वस्तुओं के नामकरण की मानकीकरण की जिम्मेदारी निभाता है। इस संगठन में विश्वभर के पेशेवर खगोलशास्त्री शामिल ह