कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान कृष्ण के जन्म का शुभ उत्सव, पूरे भारत में लाखों भक्तों के लिए भक्ति, प्रार्थना और उपवास का समय है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पवित्र त्योहार हिंदुओं के लिए बहुत महत्व रखता है। जैसे ही आप 6 और 7 सितंबर को व्रत रखने की तैयारी कर रहे हैं, यहां कुछ आवश्यक बातों को ध्यान में रखना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
करने योग्य:
1. संकल्प और जप: अपना व्रत शुरू करने से पहले, भगवान कृष्ण के प्रति अटूट भक्ति के साथ इसे करने का संकल्प लें। आध्यात्मिक रूप से जुड़े रहने के लिए पूरे दिन भगवान कृष्ण के नाम का जाप करते रहें।
2. प्री-फास्ट भोजन: आपके पाचन तंत्र को सहारा देने और दिन भर के लिए ऊर्जा प्रदान करने के लिए प्री-फास्ट भोजन के साथ अपना उपवास शुरू करें। अपने शरीर को पोषण देने के लिए फल या ताज़ा जूस चुनें।
3. दयालुता के कार्य: इस विशेष दिन पर जरूरतमंद लोगों को भोजन और कपड़े देकर दयालुता के कार्य करना पुण्य माना जाता है। भगवान कृष्ण की करुणा के नक्शेकदम पर चलना, जन्माष्टमी मनाने का एक सुंदर तरीका है।
4.सात्विक भोजन :जन्माष्टमी के दिन केवल सात्विक (शुद्ध) भोजन ही करें। लहसुन, प्याज, मांस और शराब से बचें, क्योंकि इन्हें तामसिक माना जाता है और इस पवित्र अवसर के लिए उपयुक्त नहीं हैं। व्रत के दौरान दूध, दही, ताजे फलों का शेक, लस्सी, छाछ या गुलाब का दूध चुनें।
5. घर का बना प्रसाद: कृष्ण जन्माष्टमी के दिन घर पर ही प्रसाद बनाएं। पारंपरिक प्रसाद जैसे पेड़ा, घीया की लौच, नारियल गजक और अन्य दूध आधारित व्यंजन आमतौर पर भक्तों द्वारा तैयार किए जाते हैं।
क्या न करें:
1. मांसाहारी वस्तुएं: अपने व्रत के दौरान किसी भी मांस या मांसाहारी वस्तुओं का सेवन करने से बचें। जन्माष्टमी व्रत शाकाहार और पवित्रता अपनाने का समय है।
2. चाय और कॉफी से बचें: उपवास के दौरान चाय और कॉफी से बचें, क्योंकि ये एसिडिटी बढ़ा सकते हैं और आपको असहज महसूस करा सकते हैं। हाइड्रेटेड रहने के लिए नारियल पानी या ताज़ा जूस का विकल्प चुनें।
3. सभी प्राणियों का सम्मान करें: भगवान कृष्ण सभी जीवित प्राणियों, विशेषकर गायों का बहुत सम्मान करते थे। जानवरों के प्रति सम्मान और करुणा दिखाएं और किसी भी प्राणी को नुकसान पहुंचाने से बचें। इस दिन जानवरों को खाना खिलाएं और पक्षियों के लिए पानी डालें।
4. तले हुए और तैलीय खाद्य पदार्थों को सीमित करें: तले हुए और तैलीय खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। फल, दूध और पौष्टिक तरल पदार्थ जैसे स्वास्थ्यवर्धक विकल्प चुनें।
5. बर्तनों की स्वच्छता: सुनिश्चित करें कि त्योहार के दौरान परोसने और खाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन साफ हों और शुद्धता बनाए रखने के लिए उनका उपयोग मांसाहारी भोजन के लिए नहीं किया गया हो।
6. सकारात्मक माहौल बनाए रखें: पूजा के दिन अपने घर में शांतिपूर्ण और आनंदमय माहौल बनाएं। बुज़ुर्गों का विशेष ध्यान रखें और उपवास के दौरान किसी भी तरह की अशिष्टता या आक्रामकता से बचें।
क्या करें और क्या न करें इन नियमों का पालन करते हुए और भक्तिपूर्वक जन्माष्टमी व्रत का पालन करने से आपको इस पवित्र त्योहार के आध्यात्मिक महत्व का अनुभव करने में मदद मिलेगी। जब आप उनके दिव्य जन्म का जश्न मना रहे हों तो भगवान कृष्ण का आशीर्वाद आप पर बरसता रहे।