कौन सा रिटर्न फॉर्म हैं आपके लिए, टैक्स ज्यादा कट गया तो रिटर्न के लिए कहां लगाएं गुहार और कई टैक्स भरने में कोई गलती तो नहीं हो रही है, इन तमाम मुद्दों पर लेंगे टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन की राय।
दिवंगत का टैक्स रिटर्नः-
किसी शख्स की मौत के बाद उसके कानूनी वारिस को टैक्स रिटर्न भरने का अधिकार होता है। जब तक वसीयत नाम पर है और जायदाद का बंटवारा नहीं होता तब तक रिटर्न भरना जरुरी है। और अगर वसीयत ना हो तो दिवंगत की इनकम कानूनी वारिस की इमकम में जुड़ेगी और दिवंगत की आय जुड़ने के बाद अलग से टैक्स रिटर्न भरने की जरुरत नहीं होगी।
दिवंगत का टैक्स रिटर्न भरने के लिए मृत्यू प्रमाण पत्र, मृत व्यक्ति का पैन, रिटर्न भरने वाले का पैन, कानूनी वारिस होने का प्रमाण पत्र या नोटरी के सामने किया एफिडेटिव जैसे दस्तावेज जरुरी है।
बीमा पॉलिसी और रिटर्नः-
सेक्शन 10(10डी) में नॉन-एक्डेंप्ट बीमा पॉलिसी पर 1 फीसदी टीडीएस की प्रावधान है। आपकी मैच्योरिटी की रकम टैक्सेबल होगी और इसलिए कंपनी ने टीडीएस काटा होगा। बीमा पॉलिसी की रकम आपकी इनकम में जुड़ेगी। अगर 1 से ज्यादा घर नहीं हो तो आईटीआर1 भर सकते हैं। और यदि 1 से ज्यादा घर है तो आईटीआर2 भर सकते हैं।
घर किराया और टैक्सः-
घर किराये से होने वाली इनकम टैक्सेबल होगी। कोई और इनकम ना हो तो घर से आय 2.10 लाख रुपए होगी। एक्जेंप्सन लिमिट से कम आय होने पर टैक्स रिटर्न भरने की जरुरत नहीं होगी। अगर इनकम का दूसरी सत्रोत हो तो घर किराए की कमाई पर टैक्स देना होगा।
कौन से फॉर्म में भरें रिटर्नः-
फॉर्म 15जी तभी भर सकते है जब कुल इनकम 2.5 लाख रु से कम हो। कटे हुए टैक्स रिफंड के लिए रिटर्न भरना होगा। अगर टयूशन इनकम को बिजनेस इनकम मानते है तो आईटीआर4 में रिटर्न भरना होगा। एनएससी में निवेश पर सेक्शन 80 सी के तहत छूट ले सकते हैं। एनएससी के कुल ब्याज को इंटरेस्ट इनकम में दिखा सकते हैं।