न्यायपालिका और एनडीए सरकार के बीच जारी खींचतान और तेज होने के आसार लग रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर के बयान पर अब दो केंद्रीय मंत्री आगे आए हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने सोमवार को एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि न्यायपालिका केवल तब हस्तक्षेप करती है जब कार्यपालिका अपने संवैधानिक दायित्व निभाने में विफल रहती है।
इस पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सब अगर संविधान के हिसाब से ही काम करें तो ये देश और लोगों के लिए अच्छा है। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में नाकामियां होती हैं मगर किसी दूसरे में किस हद तक दखल दिया जाए इस पर बहस हो सकती है।
गडकरी ने कहा कि देश चलाने की ज़िम्मेदारी संविधान के मुताबिक तय है। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों के कार्यक्षेत्र को विधिवत बांटा गया है। अगर चुनी हुई सरकार ठीक से काम नहीं करती तो जनता उन्हें पांच साल बाद बेदख़ल कर देती है। गडकरी ने सुझाव दिया कि मुख्य न्यायाधीश अगर चाहें तो विधायिका और कार्यपालिका के साथ बैठक कर सकते हैं।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने गडकरी की बात का समर्थन किया। उन्होंने ट्विटर पर कहा कि वो गडकरी की बात से सहमत हैं। हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी न्यायपालिका पर कार्यपालिका के काम में दखल देने का आरोप लगाया था।
गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने न्यायिक हस्तक्षेप के मोदी सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि न्यायपालिका तभी हस्तक्षेप करती है, जब कार्यपालिका अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो जाती है। उन्होंने कहा था, 'सरकार को आरोप मढ़ने के बजाय अपना काम करना चाहिए और लोग अदालतों में तभी आते हैं, जब वे कार्यपालिका से निराश हो जाते हैं।' प्रधान न्यायाधीश ने ईटीवी न्यूज नेटवर्क को दिए गए साक्षात्कार में कहा था, 'अदालतें केवल अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी अदा करती हैं और अगर सरकार अपना काम करेगी तो इसकी जरूरत नहीं होगी।'