- महान स्वतन्त्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को रत्नागिरी, महाराष्ट्र में, ब्राह्मण परिवार में हुआ था.
- बहुत ज्यादा लोकप्रिय होने के कारण इनके नाम के पहले “लोकमान्य” शब्द जुड़ गया. तब इनका पूरा नाम लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक हो गया.
- इन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है.
- ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता थे.
- तिलक ने हीं सबसे पहले पूर्ण स्वराज की माँग की थी.
- इनकी एक उक्ति “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा” बहुत प्रसिद्ध हुई थी.
- इनके पिता का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था.
- पिता की मृत्यु के 4 महीने के भीतर हीं तिलक ने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी.
- डेक्कन कॉलेज से उन्होंने सन 1876 में A. पास किया.
- 1879 में तिलक ने बंबई यूनिवर्सिटी से L.B. की परीक्षा पास की.
- तिलक अंग्रेजी शिक्षा के घोर आलोचक थे.
- तिलक ने दक्खन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की, ताकि शिक्षा का स्तर सुधरे.
- तिलक ने संकल्प लिया कि वे कभी सरकारी नौकरी नहीं करेंगे.
- तिलक ने मराठी में मराठा दर्पण और केसरी नाम के 2 दैनिक अख़बार प्रारम्भ किए. ये दोनों अख़बार लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुए.
- केसरी में छपने वाले लेखों की वजह से तिलक को कई बार जेल जाना पड़ा.
- तिलक कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन वे कांग्रेस के नरमपंथी रवैये के विरुद्ध बोलने लगे.
- 1907 में कांग्रेस, गरम दल और नरम दल में बंट गई.
- गरम दल में बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे. इन तीनों को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाने लगा.
- 1908 में तिलक ने प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसकी वजह से उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) स्थित मांडले की जेल भेज दिया गया.
- जेल से छूटने बाद वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गए.
- 1916 में एनी बेसेंट और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ तिलक ने अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की.
- तिलक ने प्लेग बीमारी फैलने पर लोगों की खूब सेवा की.
- तिलक बाल विवाह के विरोधी थे.
- तिलक ने हिन्दी को पूरे भारत की भाषा बनाने पर ज़ोर दिया था.
- महाराष्ट्र में उन्होंने हीं सार्वजनिक गणेशोत्सव की परम्परा शुरू की, ताकि लोगों तक आजादी का सन्देश पहुँचाने के लिए एक मंच उपलब्ध हो.
- 1 अगस्त,1920 को मुम्बई में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अंतिम साँस ली थी.
- उनके अंतिम संस्कार में लगभग 2 लाख लोग शामिल हुए थे.