लोकप्रिय क्विज़ शो "कौन बनेगा करोड़पति" (केबीसी) विभिन्न पृष्ठभूमि के व्यक्तियों के लिए अपने सपनों को साकार करने का एक मंच रहा है। अपने 15वें सीज़न में, शो ने अपनी पहली महिला करोड़पति, राहत तस्नीम को पेश किया, जिन्होंने खेल और दर्शकों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी।
राहत की सफलता की यात्रा:
अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किया जाने वाला केबीसी साल 2000 में शुरू हुआ था और 2010 में शो के चौथे सीजन में राहत तस्नीम एक करोड़ रुपये जीतने वाली पहली महिला प्रतियोगी बनी थीं। झारखंड के गिरिडीह की रहने वाली राहत एक आत्मविश्वासी महिला थीं, जिन्होंने न केवल मेजबान बल्कि दर्शकों को भी प्रभावित किया। उन्होंने प्रतिष्ठित एक करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने के लिए चार जीवनरेखाओं - "फोन अ फ्रेंड," "डबल डिप," "एक्सपर्ट एडवाइस," और "ऑडियंस पोल" का रणनीतिक रूप से उपयोग किया।
एक अटूट विश्वास:
राहत ने साझा किया कि उन्हें 3.20 लाख से 50 लाख रुपये तक के सवालों के जवाब पता थे और उन्हें उस सीमा के भीतर जीवनरेखाओं की सहायता की आवश्यकता नहीं थी। उनके आत्म-विश्वास और आत्मविश्वास ने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब अमिताभ बच्चन ने उनसे उनके आत्मविश्वास के स्रोत के बारे में पूछा, तो राहत ने जवाब दिया, "मुझे आत्मविश्वास से आत्मविश्वास मिला।" उनकी यात्रा के इस पहलू ने किसी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में आत्म-आश्वासन के महत्व पर प्रकाश डाला।
चुनौतियों पर काबू पाना:
राहत का केबीसी तक का सफर चुनौतियों से खाली नहीं था। जब उन्होंने भाग लेने का फैसला किया, तो उनके मोबाइल फोन पर केवल 3 रुपये का बैलेंस था। निडर होकर, उसने ऑडिशन के लिए संदेश भेजने का विकल्प चुना। उनका चयन उन्हें मुंबई ले गया, जहां उन्हें एक बैंक खाता खोलना था और पैन कार्ड के लिए आवेदन करना था, जो सभी प्रतियोगियों के लिए आवश्यक शर्तें थीं। उनके दृढ़ संकल्प और दृढ़ता ने उन्हें इन बाधाओं को पार करने और सफलता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रेरित किया।
प्रभाव और केबीसी के बाद का जीवन:
केबीसी में अपनी जीत के बाद राहत तस्नीम ने अपनी प्रेरणादायक कहानी दुनिया के साथ साझा की। उन्होंने उल्लेख किया कि उनका आत्मविश्वास आत्म-विश्वास और उनकी क्षमताओं पर विश्वास से उपजा है। आज वह गिरिडीह के एक मॉल में कपड़े का शोरूम चलाती हैं, जो उनकी उद्यमशीलता की भावना को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
राहत तस्नीम के फोन में केवल 3 रुपये होने से लेकर केबीसी पर पहली महिला करोड़पति बनने तक का सफर दृढ़ संकल्प, आत्म-विश्वास और बाधाओं को तोड़ने की कहानी है। उनकी सफलता ने न केवल उनके ज्ञान को बल्कि बाधाओं पर काबू पाने में उनके लचीलेपन को भी प्रदर्शित किया। राहत की कहानी व्यक्तियों को अपने सपनों का पीछा करने और आत्मविश्वास अपनाने के लिए प्रेरित करती रहती है।