बैंकों को रिस्क मैनेजमेंट बेहतर करना होगा. यह भी ध्यान रखना होगा कि नियमों का जाल इतना जटिल न हो जाए कि उपभोक्ता की परेशानी बढ़ जाए. क्या हम एक उपभोक्ता के तौर पर अपने अधिकारों को लेकर सजग हैं. मान लीजिए कि किसी ने हैक कर आपके खाते से दस लाख उड़ा लिये. जीवन भर की पूंजी साफ हो गई, तो आप कहां शिकायत करेंगे, आपके पास क्या कानूनी अधिकार हैं.