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चौदह वर्ष के वनवास में राम कहां-कहां रहे......?

29 नवम्बर 2021

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चौदह वर्ष के वनवास में राम कहां-कहां रहे......?

प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास हुआ। इस वनवास काल में श्रीराम ने कई ऋषि-मुनियों से शिक्षा और विद्या ग्रहण की, तपस्या की और भारत के आदिवासी, वनवासी और तमाम तरह के भारतीय समाज को संगठित कर उन्हें धर्म के मार्ग पर चलाया। संपूर्ण भारत को उन्होंने एक ही विचारधारा के सूत्र में बांधा, लेकिन इस दौरान उनके साथ कुछ ऐसा भी घटा जिसने उनके जीवन को बदल कर रख दिया।

रामायण में उल्लेखित और अनेक अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार जब भगवान राम को वनवास हुआ तब उन्होंने अपनी यात्रा अयोध्या से प्रारंभ करते हुए रामेश्वरम और उसके बाद श्रीलंका में समाप्त की। इस दौरान उनके साथ जहां भी जो घटा उनमें से 200 से अधिक घटना स्थलों की पहचान की गई है।

श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 200 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया गया है, जहां आज भी तत्संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके या रहे थे। वहां के स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों के समय-काल की जांच-पड़ताल वैज्ञानिक तरीकों से की गयी। कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में…

1.केवट प्रसंग :
राम को जब वनवास हुआ तो वाल्मीकि रामायण और शोधकर्ताओं के अनुसार वे सबसे पहले तमसा नदी पहुंचे, जो अयोध्या से 20 किमी दूर है। इसके बाद उन्होंने गोमती नदी पार की और प्रयागराज (इलाहाबाद) से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था।

‘सिंगरौर’ :
प्रयागराज से 22 मील (लगभग 35.2 किमी) उत्तर-पश्चिम की ओर स्थित ‘सिंगरौर’ नामक स्थान ही प्राचीन समय में श्रृंगवेरपुर नाम से परिज्ञात था। रामायण में इस नगर का उल्लेख आता है। यह नगर गंगा घाटी के तट पर स्थित था। महाभारत में इसे ‘तीर्थस्थल’ कहा गया है।

‘कुरई’ :
प्रयागराज में ही कुरई नामक एक स्थान है, जो सिंगरौर के निकट गंगा नदी के तट पर स्थित है। गंगा के उस पार सिंगरौर तो इस पार कुरई। सिंगरौर में गंगा पार करने के पश्चात श्रीराम इसी स्थान पर उतरे थे।

इस ग्राम में एक छोटा-सा मंदिर है, जो स्थानीय लोकश्रुति के अनुसार उसी स्थान पर है, जहां गंगा को पार करने के पश्चात राम, लक्ष्मण और सीताजी ने कुछ देर विश्राम किया था।

2.चित्रकूट के घाट पर :

कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। प्रयाग को वर्तमान में प्रयागराज कहा जाता है। यहां गंगा-जमुना का संगम स्थल है। हिन्दुओं का यह सबसे बड़ा तीर्थस्थान है। प्रभु श्रीराम ने संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। यहां स्थित स्मारकों में शामिल हैं, वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरतकूप इत्यादि।

चित्रकूट में श्रीराम के दुर्लभ प्रमाण,,चित्रकूट वह स्थान है, जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते हैं। तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका ले जाकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते हैं।

3.अत्रि ऋषि का आश्रम :
.चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था। महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहा करते थे। वहां श्रीराम ने कुछ वक्त बिताया। अत्रि ऋषि ऋग्वेद के पंचम मंडल के द्रष्टा हैं। अत्रि ऋषि की पत्नी का नाम है अनुसूइया, जो दक्ष प्रजापति की चौबीस कन्याओं में से एक थी।

अत्रि पत्नी अनुसूइया के तपोबल से ही भगीरथी गंगा की एक पवित्र धारा चित्रकूट में प्रविष्ट हुई और ‘मंदाकिनी’ नाम से प्रसिद्ध हुई। ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने अनसूइया के सतीत्व की परीक्षा ली थी, लेकिन तीनों को उन्होंने अपने तपोबल से बालक बना दिया था। तब तीनों देवियों की प्रार्थना के बाद ही तीनों देवता बाल रूप से मुक्त हो पाए थे। फिर तीनों देवताओं के वरदान से उन्हें एक पुत्र मिला, जो थे महायोगी ‘दत्तात्रेय’। अत्रि ऋषि के दूसरे पुत्र का नाम था ‘दुर्वासा’। दुर्वासा ऋषि को कौन नहीं जानता?

अत्रि के आश्रम के आस-पास राक्षसों का समूह रहता था। अत्रि, उनके भक्तगण व माता अनुसूइया उन राक्षसों से भयभीत रहते थे। भगवान श्रीराम ने उन राक्षसों का वध किया। वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में इसका वर्णन मिलता है।

प्रातःकाल जब राम आश्रम से विदा होने लगे तो अत्रि ऋषि उन्हें विदा करते हुए बोले, ‘हे राघव! इन वनों में भयंकर राक्षस तथा सर्प निवास करते हैं, जो मनुष्यों को नाना प्रकार के कष्ट देते हैं। इनके कारण अनेक तपस्वियों को असमय ही काल का ग्रास बनना पड़ा है। मैं चाहता हूं, तुम इनका विनाश करके तपस्वियों की रक्षा करो।’

राम ने महर्षि की आज्ञा को शिरोधार्य कर उपद्रवी राक्षसों तथा मनुष्य का प्राणांत करने वाले भयानक सर्पों को नष्ट करने का वचन देखर सीता तथा लक्ष्मण के साथ आगे के लिए प्रस्थान किया।

4. दंडकारण्य :
.अत्रि ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुकने के बाद श्रीराम ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को अपना आश्रय स्थल बनाया। यह जंगल क्षेत्र था दंडकारण्य। ‘अत्रि-आश्रम’ से ‘दंडकारण्य’ आरंभ हो जाता है। छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों पर राम के नाना और कुछ पर बाणासुर का राज्य था। यहां के नदियों, पहाड़ों, सरोवरों एवं गुफाओं में राम के रहने के सबूतों की भरमार है। यहीं पर राम ने अपना वनवास काटा था। यहां वे लगभग 10 वर्षों से भी अधिक समय तक रहे थे।

‘अत्रि-आश्रम’ से भगवान राम मध्यप्रदेश के सतना पहुंचे, जहां ‘रामवन’ हैं। मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ क्षेत्रों में नर्मदा व महानदी नदियों के किनारे 10 वर्षों तक उन्होंने कई ऋषि आश्रमों का भ्रमण किया। दंडकारण्य क्षेत्र तथा सतना के आगे वे विराध सरभंग एवं सुतीक्ष्ण मुनि आश्रमों में गए। बाद में सतीक्ष्ण आश्रम वापस आए। पन्ना, रायपुर, बस्तर और जगदलपुर में कई स्मारक विद्यमान हैं। उदाहरणत: मांडव्य आश्रम, श्रृंगी आश्रम, राम-लक्ष्मण मंदिर आदि।

राम वहां से आधुनिक जबलपुर, शहडोल (अमरकंटक) गए होंगे। शहडोल से पूर्वोत्तर की ओर सरगुजा क्षेत्र है। यहां एक पर्वत का नाम ‘रामगढ़’ है। 30 फीट की ऊंचाई से एक झरना जिस कुंड में गिरता है, उसे ‘सीता कुंड’ कहा जाता है। यहां वशिष्ठ गुफा है। दो गुफाओं के नाम ‘लक्ष्मण बोंगरा’ और ‘सीता बोंगरा’ हैं। शहडोल से दक्षिण-पूर्व की ओर बिलासपुर के आसपास छत्तीसगढ़ है।

वर्तमान में करीब 92,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस इलाके के पश्चिम में अबूझमाड़ पहाड़ियां तथा पूर्व में इसकी सीमा पर पूर्वी घाट शामिल हैं। दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्रप्रदेश राज्यों के हिस्से शामिल हैं। इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक करीब 320 किमी तथा पूर्व से पश्चिम तक लगभग 480 किलोमीटर है।

दंडक राक्षस के कारण इसका नाम दंडकारण्य पड़ा। यहां रामायण काल में रावण के सहयोगी बाणासुर का राज्य था। उसका इन्द्रावती, महानदी और पूर्व समुद्र तट, गोइंदारी (गोदावरी) तट तक तथा अलीपुर, पारंदुली, किरंदुली, राजमहेन्द्री, कोयापुर, कोयानार, छिन्दक कोया तक राज्य था। वर्तमान बस्तर की ‘बारसूर’ नामक समृद्ध नगर की नींव बाणासुर ने डाली, जो इन्द्रावती नदी के तट पर था। यहीं पर उसने ग्राम देवी कोयतर मां की बेटी माता माय (खेरमाय) की स्थापना की। बाणासुर द्वारा स्थापित देवी दांत तोना (दंतेवाड़िन) है। यह क्षेत्र आजकल दंतेवाड़ा के नाम से जाना जाता है। यहां वर्तमान में गोंड जाति निवास करती है तथा समूचा दंडकारण्य अब नक्सलवाद की चपेट में है।

इसी दंडकारण्य का ही हिस्सा है आंध्रप्रदेश का एक शहर भद्राचलम। गोदावरी नदी के तट पर बसा यह शहर सीता-रामचंद्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भद्रगिरि पर्वत पर है। कहा जाता है कि श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान कुछ दिन इस भद्रगिरि पर्वत पर ही बिताए थे।

स्थानीय मान्यता के मुताबिक दंडकारण्य के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था और जटायु के कुछ अंग दंडकारण्य में आ गिरे थे। ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में सिर्फ यहीं पर जटायु का एकमात्र मंदिर है।

दंडकारण्य क्षे‍त्र की चर्चा पुराणों में विस्तार से मिलती है। इस क्षेत्र की उत्पत्ति कथा महर्षि अगस्त्य मुनि से जुड़ी हुई है। यहीं पर उनका महाराष्ट्र के नासिक के अलावा एक आश्रम था।

5. पंचवटी में राम :
.दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद श्रीराम कई नदियों, तालाबों, पर्वतों और वनों को पार करने के पश्चात नासिक में अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। मुनि का आश्रम नासिक के पंचवटी क्षेत्र में था। त्रेतायुग में लक्ष्मण व सीता सहित श्रीरामजी ने वनवास का कुछ समय यहां बिताया।

उस काल में पंचवटी जनस्थान या दंडक वन के अंतर्गत आता था। पंचवटी या नासिक से गोदावरी का उद्गम स्थान त्र्यंम्बकेश्वर लगभग 20 मील (लगभग 32 किमी) दूर है। वर्तमान में पंचवटी भारत के महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी के किनारे स्थित विख्यात धार्मिक तीर्थस्थान है।

अगस्त्य मुनि ने श्रीराम को अग्निशाला में बनाए गए शस्त्र भेंट किए। नासिक में श्रीराम पंचवटी में रहे और गोदावरी के तट पर स्नान-ध्यान किया। नासिक में गोदावरी के तट पर पांच वृक्षों का स्थान पंचवटी कहा जाता है। ये पांच वृक्ष थे- पीपल, बरगद, आंवला, बेल तथा अशोक वट। यहीं पर सीता माता की गुफा के पास पांच प्राचीन वृक्ष हैं जिन्हें पंचवट के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इन वृक्षों को राम-सीमा और लक्ष्मण ने अपने हाथों से लगाया था।

यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी। राम-लक्ष्मण ने खर व दूषण के साथ युद्ध किया था। यहां पर मारीच वध स्थल का स्मारक भी अस्तित्व में है। नासिक क्षेत्र स्मारकों से भरा पड़ा है, जैसे कि सीता सरोवर, राम कुंड, त्र्यम्बकेश्वर आदि। यहां श्रीराम का बनाया हुआ एक मंदिर खंडहर रूप में विद्यमान है।

मरीच का वध पंचवटी के निकट ही मृगव्याधेश्वर में हुआ था। गिद्धराज जटायु से श्रीराम की मैत्री भी यहीं हुई थी। वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड में पंचवटी का मनोहर वर्णन मिलता है।

6. सीताहरण का स्थान ‘सर्वतीर्थ’ :
नासिक क्षेत्र में शूर्पणखा, मारीच और खर व दूषण के वध के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया और जटायु का भी वध किया जिसकी स्मृति नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में ‘सर्वतीर्थ’ नामक स्थान पर आज भी संरक्षित है।

जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई, जो नासिक जिले के इगतपुरी तहसील के ताकेड गांव में मौजूद है। इस स्थान को सर्वतीर्थ इसलिए कहा गया, क्योंकि यहीं पर मरणासन्न जटायु ने सीता माता के बारे में बताया। रामजी ने यहां जटायु का अंतिम संस्कार करके पिता और जटायु का श्राद्ध-तर्पण किया था। इसी तीर्थ पर लक्ष्मण रेखा थी।

पर्णशाला : 
.पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्माम जिले के भद्राचलम में स्थित है। रामालय से लगभग 1 घंटे की दूरी पर स्थित पर्णशाला को ‘पनशाला’ या ‘पनसाला’ भी कहते हैं। हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से यह एक है। पर्णशाला गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहां से सीताजी का हरण हुआ था। वैसे तो कुछ मानते हैं कि इस स्थान पर रावण ने अपना विमान उतारा था।

इस स्थल से ही रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बिठाया था यानी सीताजी ने धरती यहां छोड़ी थी। इसी से वास्तविक हरण का स्थल यह माना जाता है। यहां पर राम-सीता का प्राचीन मंदिर है।

7. सीता की खोज : 
.सर्वतीर्थ जहां जटायु का वध हुआ था, वह स्थान सीता की खोज का प्रथम स्थान था। उसके बाद श्रीराम-लक्ष्मण तुंगभद्रा तथा कावेरी नदियों के क्षेत्र में पहुंच गए। तुंगभद्रा एवं कावेरी नदी क्षेत्रों के अनेक स्थलों पर वे सीता की खोज में गए।

8. शबरी का आश्रम :
.तुंगभद्रा और कावेरी नदी को पार करते हुए राम और लक्ष्‍मण चले सीता की खोज में। जटायु और कबंध से मिलने के पश्‍चात वे ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे। रास्ते में वे पम्पा नदी के पास शबरी आश्रम भी गए, जो आजकल केरल में स्थित है।

पम्पा नदी भारत के केरल राज्य की तीसरी सबसे बड़ी नदी है। इसे ‘पम्बा’ नाम से भी जाना जाता है। ‘पम्पा’ तुंगभद्रा नदी का पुराना नाम है। श्रावणकौर रजवाड़े की सबसे लंबी नदी है। इसी नदी के किनारे पर हम्पी बसा हुआ है। यह स्थान बेर के वृक्षों के लिए आज भी प्रसिद्ध है। पौराणिक ग्रंथ ‘रामायण’ में भी हम्पी का उल्लेख वानर राज्य किष्किंधा की राजधानी के रूप में किया गया है।

9. हनुमान जी से भेंट :
.मलय पर्वत और चंदन वनों को पार करते हुए वे ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढ़े। यहां उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की, सीता के आभूषणों को देखा और श्रीराम ने बाली का वध किया।

ऋष्यमूक पर्वत वाल्मीकि रामायण में वर्णित वानरों की राजधानी किष्किंधा के निकट स्थित था। इसी पर्वत पर श्रीराम की हनुमान से भेंट हुई थी। बाद में हनुमान ने राम और सुग्रीव की भेंट करवाई, जो एक अटूट मित्रता बन गई। जब महाबली बाली अपने भाई सुग्रीव को मारकर किष्किंधा से भागा तो वह ऋष्यमूक पर्वत पर ही आकर छिपकर रहने लगा था।

ऋष्यमूक पर्वत तथा किष्किंधा नगर कर्नाटक के हम्पी, जिला बेल्लारी में स्थित है। विरुपाक्ष मंदिर के पास से ऋष्यमूक पर्वत तक के लिए मार्ग जाता है। यहां तुंगभद्रा नदी (पम्पा) धनुष के आकार में बहती है। तुंगभद्रा नदी में पौराणिक चक्रतीर्थ माना गया है। पास ही पहाड़ी के नीचे श्रीराम मंदिर है। पास की पहाड़ी को ‘मतंग पर्वत’ माना जाता है। इसी पर्वत पर मतंग ऋषि का आश्रम था।

10. कोडीकरई :
.हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद श्रीराम ने अपनी सेना का गठन किया और लंका की ओर चल पड़े। मलय पर्वत, चंदन वन, अनेक नदियों, झरनों तथा वन-वाटिकाओं को पार करके राम और उनकी सेना ने समुद्र की ओर प्रस्थान किया। श्रीराम ने पहले अपनी सेना को कोडीकरई में एकत्रित किया।

तमिलनाडु की एक लंबी तटरेखा है, जो लगभग 1,000 किमी तक विस्‍तारित है। कोडीकरई समुद्र तट वेलांकनी के दक्षिण में स्थित है, जो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में पाल्‍क स्‍ट्रेट से घिरा हुआ है।

लेकिन राम की सेना ने उस स्थान के सर्वेक्षण के बाद जाना कि यहां से समुद्र को पार नहीं किया जा सकता और यह स्थान पुल बनाने के लिए उचित भी नहीं है, तब श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया।

11.रामेश्‍वरम : 
रामेश्‍वरम समुद्र तट एक शांत समुद्र तट है और यहां का छिछला पानी तैरने और सन बेदिंग के लिए आदर्श है। रामेश्‍वरम प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ केंद्र है। महाकाव्‍य रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है।

12.धनुषकोडी :
वाल्मीकि के अनुसार तीन दिन की खोजबीन के बाद श्रीराम ने रामेश्वरम के आगे समुद्र में वह स्थान ढूंढ़ निकाला, जहां से आसानी से श्रीलंका पहुंचा जा सकता हो। उन्होंने नल और नील की मदद से उक्त स्थान से लंका तक का पुनर्निर्माण करने का फैसला लिया।

छेदुकराई तथा रामेश्वरम के इर्द-गिर्द इस घटना से संबंधित अनेक स्मृतिचिह्न अभी भी मौजूद हैं। नाविक रामेश्वरम में धनुषकोडी नामक स्थान से यात्रियों को रामसेतु के अवशेषों को दिखाने ले जाते हैं।

धनुषकोडी भारत के तमिलनाडु राज्‍य के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गांव है। धनुषकोडी पंबन के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। धनुषकोडी श्रीलंका में तलैमन्‍नार से करीब 18 मील पश्‍चिम में है।

इसका नाम धनुषकोडी इसलिए है कि यहां से श्रीलंका तक वानर सेना के माध्यम से नल और नील ने जो पुल (रामसेतु) बनाया था उसका आकार मार्ग धनुष के समान ही है। इन पूरे इलाकों को मन्नार समुद्री क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है। धनुषकोडी ही भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्‍थलीय सीमा है, जहां समुद्र नदी की गहराई जितना है जिसमें कहीं-कहीं भूमि नजर आती है।

दरअसल, यहां एक पुल डूबा पड़ा है। 1860 में इसकी स्पष्ट पहचान हुई और इसे हटाने के कई प्रयास किए गए। अंग्रेज इसे एडम ब्रिज कहने लगे तो स्थानीय लोगों में भी यह नाम प्रचलित हो गया। अंग्रेजों ने कभी इस पुल को क्षतिग्रस्त नहीं किया लेकिन आजाद भारत में पहले रेल ट्रैक निर्माण के चक्कर में बाद में बंदरगाह बनाने के चलते इस पुल को क्षतिग्रस्त किया गया।

30 मील लंबा और सवा मील चौड़ा यह रामसेतु 5 से 30 फुट तक पानी में डूबा है। श्रीलंका सरकार इस डूबे हुए पुल (पम्बन से मन्नार) के ऊपर भू-मार्ग का निर्माण कराना चाहती है जबकि भारत सरकार नौवहन हेतु उसे तोड़ना चाहती है। इस कार्य को भारत सरकार ने सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट का नाम दिया है। श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री श्रीजयसूर्या ने इस डूबे हुए रामसेतु पर भारत और श्रीलंका के बीच भू-मार्ग का निर्माण कराने का प्रस्ताव रखा था।

13. ‘नुवारा एलिया’ पर्वत श्रृंखला......
वाल्मीकिय-रामायण अनुसार श्रीलंका के मध्य में रावण का महल था। ‘नुवारा एलिया’ पहाड़ियों से लगभग 90 किलोमीटर दूर बांद्रवेला की तरफ मध्य लंका की ऊंची पहाड़ियों के बीचोबीच सुरंगों तथा गुफाओं के भंवरजाल मिलते हैं। यहां ऐसे कई पुरातात्विक अवशेष मिलते हैं जिनकी कार्बन डेटिंग से इनका काल निकाला गया है।

श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है। आजकल भी इन स्थानों की भौगोलिक विशेषताएं, जीव, वनस्पति तथा स्मारक आदि बिलकुल वैसे ही हैं जैसे कि रामायण में वर्णित किए गए हैं।

श्रीवाल्मीकि ने रामायण की संरचना श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद वर्ष 5075 ईपू के आसपास की होगी (1/4/1 -2)। श्रुति स्मृति की प्रथा के माध्यम से पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिचलित रहने के बाद वर्ष 1000 ईपू के आसपास इसको लिखित रूप दिया गया होगा। इस निष्कर्ष के बहुत से प्रमाण मिलते हैं।

रामायण की कहानी के संदर्भ निम्नलिखित रूप में उपलब्ध हैं-
कौटिल्य का अर्थशास्त्र (चौथी शताब्दी ईपू)
बौ‍द्ध साहित्य में दशरथ जातक (तीसरी शताब्दी ईपू)
कौशाम्बी में खुदाई में मिलीं टेराकोटा (पक्की मिट्‍टी) की मूर्तियां (दूसरी शताब्दी ईपू)
नागार्जुनकोंडा (आंध्रप्रदेश) में खुदाई में मिले स्टोन पैनल (तीसरी शताब्दी)
नचार खेड़ा (हरियाणा) में मिले टेराकोटा पैनल (चौथी शताब्दी)
श्रीलंका के प्रसिद्ध कवि कुमार दास की काव्य रचना ‘जानकी हरण’ ।।

             
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11 दिसम्बर 2021
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महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों के चक्के, छज्जे आदि बिखरे हुए थे और वायुमण्डल में पसरी हुई थी घोर उदासी .... ! &nbsp

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त्याग का रहस्य

11 दिसम्बर 2021
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एक बार महर्षि नारद ज्ञान का प्रचार करते हुए किसी सघन बन में जा पहुँचे। वहाँ उन्होंने एक बहुत बड़ा घनी छाया वाला सेमर का वृक्ष देखा और उसकी छाया में विश्राम करने के लिए ठहर गये।नारदजी को उसकी शीतल छाया

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हरि इच्छा बलवान है

11 दिसम्बर 2021
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हरि इच्छा बलवान हैएक बार भगवान विष्णु गरुड़जी पर सवार होकर कैलाश पर्वत पर जा रहे थे। रास्ते में गरुड़जी ने देखा कि एक ही दरवाजे पर दो बाराते ठहरी थी।मामला उनके समझ में नहीं आया। फिर क्या था, पूछ बैठे

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गुरु और भगवान में एक अंतर है।

11 दिसम्बर 2021
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गुरु और भगवान में एक अंतर है। एक आदमी के घर भगवान और गुरु दोनो पहुंच गये।वह बाहर आया और चरणों में गिरने लगा।वह भगवान के चरणों में गिरा तो भगवान बोले रुको रुको पहले गुरुके चरणों में जाओ।वह दौड़ कर

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मनुष्य जीवन परमात्मा का अनूठा उपहार

11 दिसम्बर 2021
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मनुष्य जीवन परमात्मा का अनूठा उपहारजीवन परमात्मा का एक बहुमूल्य उपहार है, और वह भी यदि मनुष्य योनि का है तो यह किसी खुशनसीबी से कम नहीं। मनुष्य योनि, जीव योनी अथवा वनस्पति योनि में सबसे श्रेष्ठ

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गुरु की महिमा

11 दिसम्बर 2021
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एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था। कथा के अंत में सबको कहता कि ‘राम कहे तो बंधन टूटे’। तभी पिंजरे में बंद तोता बोलता, ‘यूं मत कहो रे पंडित झूठे’। पंडित को क्रोध आता कि ये सब क्या सोचेंगे, रानी क्या

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कौन बनता है भूत प्रेत

11 दिसम्बर 2021
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जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है। अतीत में अटका आत्मा भूत बन जाता है। जीवन न अतीत है और न भविष्य वह सदा वर्तमान है। जो वर्तमान में रहता है वह मुक्ति की ओर कदम बढ़ाता है।आत्मा

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गुरुभक्त एकलव्य के सात रहस्य जानकर चौंक जाएंगे आप,

11 दिसम्बर 2021
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गुरुभक्त एकलव्य के सात रहस्य जानकर चौंक जाएंगे आप,प्राचीन भारत में हुए हजारों धनुर्धरों में सर्वश्रेष्ठ कौन था? यह तय करना मुश्‍किल है। उन्हीं धनुर्धरों में से एक एकलव्य थे। एकलव्य को कुछ लोग शिकारी क

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श्री हरि के वाहन गरुड़जी की रोचक कथा!

11 दिसम्बर 2021
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गरुड़ देव के ये रहस्य आपको आश्चर्यचकित कर देंगे! आखिरकार भगवान विष्णु के वाहन गरूढ़ का क्या रहस्य है? क्यों हिन्दू में उनको विशेष महत्व दिया जाता है,क्या है उनके जन्म का रहस्य और कैसे वह एक पक्षी से भ

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चौरासी लाख योनियों का रहस्य

11 दिसम्बर 2021
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हिन्दू धर्म में पुराणों में वर्णित 8400000 योनियों के बारे में आपने कभी ना कभी अवश्य सुना होगा।हम जिस मनुष्य योनि में जी रहे हैं वो भी उन चौरासी लाख योनियों में से एक है।अब समस्या ये है कि कई लो

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क्षीर सागर में भगवान बिष्णु शेष शैय्या पर विश्राम कर रहे हैं

11 दिसम्बर 2021
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क्षीर सागर में भगवान बिष्णु शेष शैय्या पर विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मीजी उनके पैर दबा रही हैं। बिष्णुजी के एक पैर का अंगूठा शैय्या के बाहर आ गया और लहरें उससे खिलवाड़ करने लगीं।क्षीरसागर के एक

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क्या भगवान श्रीकृष्ण को 64 कलाओं के ज्ञान थे?

11 दिसम्बर 2021
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क्या भगवान श्रीकृष्ण को 64 कलाओं के ज्ञान थे?<div><br></div><div>श्री कृष्ण अपनी शिक्षा ग्रहण करने आ

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मंदिर में जाने से पहले क्यों बजाते हैं घंटा या घंटी

11 दिसम्बर 2021
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मंदिर के द्वार पर और विशेष स्थानों पर घंटी या घंटे लगाने का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है। लेकिन इस घंटे या घंटी लगाने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है? कभी आपने सोचा कि यह किस कारण से लगाई जात

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सुंदरकांड में एक प्रसंग अवश्य पढ़ें ! मैं न होता, तो क्या होता?

11 दिसम्बर 2021
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“अशोक वाटिका" में जिस समय रावण क्रोध में भरकर, तलवार लेकर, सीता माँ को मारने के लिए दौड़ पड़ा, तब हनुमान जी को लगा, कि इसकी तलवार छीन कर, इसका सर काट लेना चाहिये!किन्तु, अगले ही क्षण, उन्हों ने देखा "म

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माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की एक कथा !

11 दिसम्बर 2021
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माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की एक कथा !<div><br></div><div> भगवान् विष्णुजी और सौभाग्य और धन क

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क्या सिखाता है भगवान कृष्ण का स्वरूप

11 दिसम्बर 2021
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कभी सोचा है भगवान कृष्ण का स्वरूप हमें क्या सिखाता है?क्यों भगवान जंगल में पेड़ के नीचे खड़े बांसुरी बजा रहे हैं, मोरमुकुट पहने, तन पर पीतांबरी, गले में वैजयंती की माला, साथ में राधा, पीछे गाय। कृष्ण

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रामचरितमानस में वर्णित राम-लक्ष्मण और परशुरामजी की कथा धनुष भंग के समय की

11 दिसम्बर 2021
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तेहिं अवसर सुनि सिवधनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा॥प्रभुश्रीराम द्वारा भगवान शंकर का धनुष टूटने का समाचार जब परसुराम जी को मिलता है,उसी समय भृगुकुल रूपी कमल के सूर्य परशुरामजी आए॥सांत बेषु करनी कठिन ब

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कौन है सात महान ‍ऋषि

11 दिसम्बर 2021
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ऋग्वेद में लगभग एक हजार सूक्त हैं, याने लगभग दस हजार मन्त्र हैं। चारों वेदों में करीब बीस हजार से ज्यादा मंत्र हैं और इन मन्त्रों के रचयिता कवियों को हम ऋषि कहते हैं। बाकी तीन वेदों के मन्त्रों की तरह

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राजा दशरथ के मुकुट का एक अनोखा राज, पहले कभी नही सुनी होगी यह कथा आपने

11 दिसम्बर 2021
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अयोध्या के राजा दशरथ एक बार भ्रमण करते हुए वन की ओर निकले वहां उनका समाना बाली से हो गया। राजा दशरथ की किसी बात से नाराज हो बाली ने उन्हें युद्ध के लिए चुनोती दी। राजा दशरथ की तीनो रानियों में से कैकय

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पांडवों की माता कुन्ती के जीवन का दर्शन

12 दिसम्बर 2021
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महाभारत युद्ध के बाद जब भगवान् श्री कृष्णजी द्वारिका जा रहे थे, तब भगवान् ने सभी को इच्छित वरदान दियें, जब माता कुन्ती से वर मांगने के लिये कहाँ गया तो माँ कुन्ती ने क्या मांगा? कुन्ती बोली- मैं

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शिवपुराण में वर्णित है मृत्यु के ये बारह संकेत

12 दिसम्बर 2021
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शिवपुराण में वर्णित है मृत्यु के ये बारह संकेत<div><br></div><div>धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को महाक

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हिंदू परम्पराओं के पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण अवश्य जाने

12 दिसम्बर 2021
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1. कान छिदवाने की परम्पराभारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है। वैज्ञानिक तर्क-दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी हो

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भगवान श्रीराम में 16 गुण थे, जिनके कारण वे कहे गए आदर्श पुरुष

12 दिसम्बर 2021
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भगवान श्रीराम में 16 गुण थे, जिनके कारण वे कहे गए आदर्श पुरुष भगवान के जितने भी अवतार हुए हैं। उनमें श्रीरामजी के अवतार को ही मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। कहा जाता है कि बेटा हो तो

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हनुमान चालीसा की रचना और इतिहास

12 दिसम्बर 2021
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ये बात उस समय की है जब भारत पर मुग़ल सम्राट अकबर का राज्य था। सुबह का समय था एक महिला ने पूजा से लौटते हुए तुलसीदास जी के पैर छुए। तुलसीदास जी ने नियमानुसार उसे सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद दिया।

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जिनमें यह 14 दुर्गुण है वह मृतक समान है,पढ़ें रावण-अंगद संवाद

12 दिसम्बर 2021
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जिनमें यह 14 दुर्गुण है वह मृतक समान है,पढ़ें रावण-अंगद संवाद<div><br></div><div>इस संवाद में अंगद न

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महर्षि अष्टावक्र

12 दिसम्बर 2021
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प्रकाण्ड विद्वान अष्टावक्रअष्टावक्र इतने प्रकाण्ड विद्वान थे कि माँ के गर्भ से ही अपने पिताजी "कहोड़"को अशुद्ध वेद पाठ करने के लिये टोंक दिए, जिससे क्रुद्ध होकर पिताजी ने आठ

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महाभारत की गान्धारी भी ममता रोग से ग्रसित

12 दिसम्बर 2021
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महाभारत की गान्धारी भी कैकेयीजी के समान ही परम पतिव्रता थीं । उनका विवाह अन्धे धृतराष्ट्र के साथ हुआ, लेकिन जब उन्होंने देखा कि मेरे पति के पास दृष्टि नहीं है तो उन्होंने भी अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ल

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राम नाम की महिमा

12 दिसम्बर 2021
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राम नाम की महिमाअजामिल ने बहुत पाप किये थे। अभी 12 वर्ष बाकि थे कि यमदूत लेने आ गए। मृत्युकाल समीप आ गया है, अजामिल घबराया। घबराहट में उसने अपने पुत्र के प्रति आसक्ति के कारण *नारायण-नारायण* असहा

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महात्मा विदुर के जन्म की कथा!

12 दिसम्बर 2021
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महात्मा विदुर के जन्म की कथा!<div>महाभारत के अनुसार माण्डव्य नाम के एक ऋषि थे। वे बड़े धैर्यवान्, धर्

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महाभारत चक्रव्यूह

12 दिसम्बर 2021
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विश्व का सबसे बड़ा युद्ध था महाभारत का कुरुक्षेत्र युद्ध। इतिहास में इतना भयंकर युद्ध केवल एक बार ही घटित हुआ था। अनुमान है कि महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में परमाणू हथियारों का उपयॊग भी किया गया था।

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तारा रानी की कथा

12 दिसम्बर 2021
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माता के जगराते में महारानी तारा देवी की कथा कहने व सुनने की परम्‍परा प्राचीन काल से चली आई है।बिना इस कथा के जागरण को सम्‍पूर्ण नहीं माना जाता है, यद्यपि पुराणों या ऐतिहासिक पुस्‍तकों में कोई उल्‍लेख

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Garud Puran: गरुड़ पुराण में 36 प्रकार के नर्क का वर्णन है, जानिए किसमें कैसे दी जाती है सजा

12 दिसम्बर 2021
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Garud Puran: गरुड़ पुराण में 36 प्रकार के नर्क का वर्णन है, जानिए किसमें कैसे दी जाती है सजा<div><br

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मरने के 47 दिन बाद आत्मा पहुंचती है यमलोक, ये होता है रास्ते में

12 दिसम्बर 2021
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मरने के 47 दिन बाद आत्मा पहुंचती है यमलोक, ये होता है रास्ते में<div><br></div><div>मृत्यु एक ऐसा सच

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बाबा रामदेव जी जन्म कथा

12 दिसम्बर 2021
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बाबा रामदेव जी का जन्म 1409 ई में हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक भादवे की बीज (भाद्रपद शुक्ल द्वित्या) के दिन रुणिचा के शासक अजमल जी के घर अवतार लिया था. इनकी माता का नाम मैणादे था. इनके एक बड़े भाई क

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चार-युग और उनकी विशेषताएं

12 दिसम्बर 2021
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युग' शब्द का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। जैसे सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग आदि । यहाँ हम चारों युगों का वर्णन करेंगें। युग वर्णन से तात्पर्य है कि उस युग में

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राजा मोरध्वज

12 दिसम्बर 2021
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महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद अर्जुन को वहम हो गया की वो श्रीकृष्ण के सर्वश्रेष्ठ भक्त है, अर्जुन सोचते की कन्हैया ने मेरा रथ चलाया, मेरे साथ रहे इसलिए में भगवान का सर्वश्रेष्ठ भक्त हूँ।अर्जुन को क

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शबरी के पैरों की धूल

12 दिसम्बर 2021
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शबरी एक आदिवासी भील की पुत्री थी। देखने में बहुत साधारण, पर दिल से बहुत कोमल थी। इनके पिता ने इनका विवाह निश्चित किया, लेकिन आदिवासियों की एक प्रथा थी की किसी भी अच्छे कार्य से पहले निर्दोष जानवर

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चौरासी लाख योनियों के चक्र का शास्त्रों में वर्णन

12 दिसम्बर 2021
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30 लाख बार वृक्ष योनि में जन्म होता है ।इस योनि में सर्वाधिक कष्ट होता है ।धूप ताप,आँधी, वर्षा आदि में बहुत शाखा तक टूट जाती हैं ।शीतकाल में पतझड में सारे पत्ता

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रामायण के अनुसार नारी गहने क्यों पहनती हैं?

12 दिसम्बर 2021
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रामायण के अनुसार नारी गहने क्यों पहनती हैं?<div><br></div><div>रामायण के अनुसार भगवान राम ने, जब सीत

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महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था

12 दिसम्बर 2021
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<br><div>महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था| महाराज युधिष्ठिर राजा बन चुके थे| अपने चारों

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स्त्रियाँ क्योँ लगाती हैँ माँग मेँ सिन्दूर और इसकी वैज्ञानिकता क्या?

13 दिसम्बर 2021
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(1)भारतीय वैदिक परंपरा खासतौर पर हिंदू समाज में शादी के बाद महिलाओं को मांग में सिंदूर भरना आवश्यक हो जाता है। आधुनिक दौर में अब सिंदूर की जगह कुंकु और अन्य चीजों ने ले ली है। सवाल यह उठता है कि आखिर

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गीता के 18 अध्यायो का संक्षेप में हिंदी सारांश

13 दिसम्बर 2021
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भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया और इसी उपदेश को सुनकर अर्जुन को ज्ञान की प्राप्ति हुई। गीता का उपदेश मात्र अर्जुन के लिए नहीं था बल्कि ये समस्त जगत के लिए था, अगर

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श्रीमद्भागवत सन्देश सार

14 दिसम्बर 2021
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गीता का उपदेश अत्यन्त पुरातन योग है। श्री भगवान् कहते हैं इसे मैंने सबसे पहले सूर्य से कहा था। सूर्य ज्ञान का प्रतीक है अतः श्री भगवान् के वचनों का तात्पर्य है कि पृथ्वी उत्पत्ति से पहले भी अनेक स्वरू

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काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े दस रहस्य

14 दिसम्बर 2021
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बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग काशी में है जिसे बाबा विश्वनाथ कहते हैं। काशी को बनारस और वाराणसी भी कहते हैं। शिव और काल भैरव की यह नगरी अद्भुत है जिसे सप्तपुरियों में शामिल किया गया है। द

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रामायण से जुड़े रोचक तथ्य (Ramayan se Jude rochak Tathay)

15 दिसम्बर 2021
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रामायण से जुड़े रोचक तथ्य (Ramayan se Jude rochak Tathay)रामायण को हिन्दू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ माना गया है। इसमें कई ऐसी कथाएं हैं जिन्हे आमतौर पर तो सब लोग जानते हैं। लेकिन कुछ ऐसी बातों का भी वर्ण

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जब हनुमान जी के कोप से बचने के लिए शनि देव को बनना पड़ा स्त्री

15 दिसम्बर 2021
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गुजरात में भावनगर के सारंगपुर में हनुमान जी का एक अति प्राचीन मंदिर स्तिथ है जो की कष्टभंजन हनुमानजी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है की इस मंदिर में हनुमान जी के पैरों में स्त्री रूप

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राधा जी का जिक्र भागवत में क्यों नहीं है

15 दिसम्बर 2021
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<div>राधा जी का जिक्र भागवत में क्यों नहीं है !भागवत में शुकदेवजी ने राधा जी का नाम नहीं लिया है पर

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भगवान शिव सर्पों को आभूषण के रूप में क्यों धारण करते हैं ?

15 दिसम्बर 2021
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भगवान शिव सर्पों को आभूषण के रूप में क्यों धारण करते हैं ?<div><br></div><div>संसार में जो कुछ भी अन

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हनुमान जी के चरित्र से हमें क्या सीख लेनी चाहिए।

15 दिसम्बर 2021
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प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥भावार्थ:-मैं पवनकुमार श्री हनुमान्‌जी को प्रणाम करता हूँ, जो दुष्ट रूपी वन को भस्म करने के लिए अग्निरूप हैं, जो ज्ञान की घनमूर्त

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श्री कृष्ण के बारे में कुछ रोचक जानकारीया

16 दिसम्बर 2021
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श्री कृष्ण के बारे में कुछ रोचक जानकारीया<div>कृष्ण को पूर्णावतार कहा गया है। कृष्ण के जीवन में वह स

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भगवान विष्णु के चरणों का महत्व

16 दिसम्बर 2021
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. <div>भगवान विष्णु के चरणों का महत्व</div><div><span style="font-size: 1em;">&nbs

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माता शबरी बोली- यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते?"

16 दिसम्बर 2021
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माता शबरी बोली- यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते?"राम गंभीर हुए। कहा, "भ्रम में न पड़ो अम्मा! राम क्या रावण का वध करने आया है? छी... अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से वाण

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भगवान श्री राम कैसे इस भूलोक को छोड़कर पुनः विष्णुलोक को प्रस्थान किए

16 दिसम्बर 2021
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भगवान_श्री_राम के मृत्यु वरण में सबसे बड़ी बाधा उनके प्रिय भक्त_हनुमान थे। क्योंकि हनुमान के होते हुए यम की इतनी हिम्मत नहीं थी की वो प्रभु श्री राम के पास पहुँच चुके। पर स्वयं श्री राम से इसका हल निका

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चंद्र ग्रहण की कथा

16 दिसम्बर 2021
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चंद्र ग्रहण की कथा<div><br></div><div>चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही होता है। चंद्र ग्रहण के दिन देव

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भगवान श्रीजगन्नाथ जी की विस्तृत कथा!

17 दिसम्बर 2021
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एक बार भगवान श्री कृष्ण सो रहे थे और निद्रावस्था में उनके मुख से राधा जी का नाम निकला। पटरानियों को लगा कि वह प्रभु की इतनी सेवा करती है परंतु प्रभु सबसे ज्यादा राधा जी का ही स्मरण रहता है।रुक्मिणी जी

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भानुमति की कथा

17 दिसम्बर 2021
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दुर्योधन की पत्नी का नाम भानुमति था। भानुमति के कारण ही यह मुहावरा बना है- कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा। भानुमति काम्बोज के राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री थी। राजा ने उसके विवाह के लिए

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सीताजी को किसके शाप के कारण श्रीराम का वियोग सहना पड़ा ?

18 दिसम्बर 2021
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प्राचीनकाल में मिथिला में सीरध्वज जनक नाम से प्रसिद्ध धर्मात्मा राजा राज्य करते थे । एक बार राजा जनक यज्ञ के लिए पृथ्वी जोत रहे थे । उस समय चौड़े मुंह वाली सीता (हल के धंसने से बनी गहरी रेखा) से एक कन

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माँ शबरी संवाद

18 दिसम्बर 2021
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सबरी को आश्रम सौंपकर महर्षी मतंग जब देवलोक जाने लगे तब सबरी भी साथ जाने की जिद करने लगी।सबरी की उम्र दस वर्ष थी। वो महर्षि मतंग का हाथ पकड़ रोने लगीमहर्षि सबरी को रोते देख व्याकुल हो उठे! सबरी को समझाय

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महादेव जी द्वारा राम नाम की महिमा

18 दिसम्बर 2021
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महादेव जी को एक बार बिना कारण के किसी को प्रणाम करते देखकर पार्वती जी ने पूछा आप किसको प्रणाम करते रहते हैं?शिव जी ने अपनी धर्मपत्नी पार्वती जी से कहते हैं की, हे देवी! जो व्यक्ति एक बार राम कहता है उ

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अनसुनी कथाएँ जब माता सीता बन गई चण्डी

18 दिसम्बर 2021
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एक समय की बात है कि भगवान् श्री राम राज सभा में विराज रहे थे उसी समय विभीषण वहाँ पहुंचे। वे बहुत भयभीत और हडबड़ी में लग रहे थे। सभा में प्रवेश करते ही वे कहने लगे – हे राम ! मुझे बचाइये, कुम्भकर्ण का ब

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भगवान शिव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

18 दिसम्बर 2021
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भगवान शिव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भगवान शिव का कोई माता-पिता नही है. उन्हें अनादि माना गया है. मतलब, जो हमेशा से था. जिसके जन्म की कोई तिथि नही.कथक, भरतनाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी ज

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प्रभुश्रीराम और केवट का संवाद

18 दिसम्बर 2021
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रामायण में वर्णित एक एक घटना अपने आप में मनुष्यों के लिए मार्गदर्शन स्थापित करता है। लेकिन कुछ घटनाये ऐसी हैं जिसे हम बार बार पढते हैं फिर भी संतुस्ट नहीं होते। उन्ही घटनाओं में से एक है भगवान राम और

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महाभारत युद्ध के 18 दिनों का रहस्य

19 दिसम्बर 2021
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महाभारत युद्ध के 18 दिनों का रहस्य<div><br></div><div>माना जाता है कि महाभारत युद्ध में</div><div>एक

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रावण-पुत्र ‘अक्षय कुमार’ का वध नहीं चाहते थे हनुमान, क्यों?

22 दिसम्बर 2021
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रावण-पुत्र ‘अक्षय कुमार’ का वध नहीं चाहते थे हनुमान, क्यों?<div><br></div><div>महर्षि वाल्मीकि द्वार

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सूर्य भगवान की उत्पत्ति, उनकी स्त्री संज्ञा और छाया की कथा

15 जनवरी 2022
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सूर्य भगवान की उत्पत्ति, उनकी स्त्री संज्ञा और छाया की कथासुमन्तु मुनि कहते हैं कि हे राजन् ! हम अब सप्तमी कल्प का वर्णन करते हैं। सप्तमी के दिन सूर्य भगवान ने जन्

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भगवान विष्णु ने मारा था शुक्राचार्य की माँ को, बदले की भावना में बने दैत्यगुरु!

15 जनवरी 2022
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भगवान विष्णु ने मारा था शुक्राचार्य की माँ को, बदले की भावना में बने दैत्यगुरु!शुक्राचार्य का नाम तो सबने सुना ही होगा, इतना सबको पता है की वो दैत्यों और राक्षसो के गुरु थे लेकिन ये कोई नही जानता होगा

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भीम के अंदर कैसे आया था 10 हजार हाथियों का बल? नहीं जानते होंगे महाभारत से जुड़ा ये रहस्य

15 जनवरी 2022
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महाभारत में ऐसे कई योद्धा थे, जो बेहद ही शक्तिशाली थे। उनका मुकाबला करना मतलब मौत को दावत देने के समान था। ऐसे ही एक योद्धा थे पांडु पुत्र भीम। कहा जाता है कि भीम के अंदर 10 हजार हाथियों का बल था। लेक

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भगवान शिव के उन्नीस अवतारों की संक्षिप्त कथायें :

15 जनवरी 2022
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भगवान शिव के उन्नीस अवतारों की संक्षिप्त कथायें :शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है, लेकिन बहुत ही कम लोग इन अवतारों के बारे में जानते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान

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महाभारत चक्रव्यूह

15 जनवरी 2022
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विश्व का सबसे बड़ा युद्ध था महाभारत का कुरुक्षेत्र युद्ध। इतिहास में इतना भयंकर युद्ध केवल एक बार ही घटित हुआ था। अनुमान है कि महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में परमाणू हथियारों का उपयॊग भी किया गया था।&

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मंदिर के गुम्बद (शिखर) का रहस्य

15 जनवरी 2022
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मंदिर के गुम्बद (शिखर) का रहस्यमंदिरों की छत सपाट क्यों नहीं होती, नुकीली क्यों बनाई जाती है...? मंदिरों की छतों पर एक विशेष प्रकार की आकृति बनाई जाती है। यह आकृति ऊपर की तरफ नुकीली हो जाती है। प

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रावण

15 जनवरी 2022
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1. रावण के दादाजी का नाम प्रजापति पुलत्स्य था जो ब्रह्मा जी के दस पुत्रों में से एक थे। इस तरह देखा जाए तो रावण ब्रह्मा जी का पडपौत्र हुआ जबकि उसने अपने पिताजी और दादाजी से हटकर धर्म का साथ न देकर अधर

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पंचकन्याओं का रहस्य

15 जनवरी 2022
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पंचकन्याओं का रहस्यपुराणानुसार ये पाँच स्त्रियाँ जो विवाहिता होने पर भी कन्याओं के समान ही पवित्र मानी गई है। अहल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा और मंदोदरीहिन्दू धर्म से जुड़ी पौराणिक कथाओं में ज्यादातर प्र

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क्यों बजाते हैं तालियां, जानकर आप भी हो जाएंगे शुरू?

16 जनवरी 2022
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क्यों बजाते हैं तालियां, जानकर आप भी हो जाएंगे शुरू? घर में, मंदिर में, देवालय में या कहीं भी भजन-कीर्तन व आरती होती है, सभी लोग मिलकर खूब तालियां बजाते हैं। हम से अधिकांश लोग बिना कुछ जाने-समझे

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श्री कृष्ण पर गुरु का आशीर्वाद

16 जनवरी 2022
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एक बार श्री कृष्ण जी के गुरु दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ कही जा रहे थे।रास्ते में किसी जंगल में रूककर उन्होंने आराम किया। उसी के पास ही द्वारका नगरी थी।दुर्वासा ऋषि ने अपने शिष्यों को भेजा कि श्र

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जब गुरु नानक जी ने कहा सभी उजड़ जा ओ

16 जनवरी 2022
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एक बार गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ एक ऐसे गांव में पहुंचे जहां के लोग साधू-सन्यासी लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे। गुरु नानक जी वहां गए तो उनसे भी वहां के लोगों ने ऐसा ही व्यवहार किया।

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गणित विद्या की 12 वी शताब्दी की महान आचार्या : लीलावती

16 जनवरी 2022
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गणित विद्या की 12 वी शताब्दी की महान आचार्या : लीलावतीमहान गणितज्ञ लीलावती के नाम से अधिकांश लोग परीचित नहीं हैं। आज विश्व के सैंकड़ो देश जिस गणित की महान पुस्तक से गणित को पढ़ा रहे हैं, उसकी रचयिता ग

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ॐ (OM) उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ : ॐ : ओउम् तीन अक्षरों से बना है।

16 जनवरी 2022
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ॐ (OM) उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ :ॐ : ओउम् तीन अक्षरों से बना है।अ उ म् ।"अ" का अर्थ है उत्पन्न होना,"उ" का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,"म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना

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श्रीरामभक्त हनुमान की लीला

16 जनवरी 2022
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एक दिन हनुमानजी जब सीता जी की शरण में आए, नैनों में जल भरा हुआ है बैठ गए शीश झुकाए,सीता जी ने पूछा उनसे कहो लाडले बात क्या है, किस कारण ये छाई उदासी, नैनों में क्यों नीर भरा है..हनुमान जी बोले मैया आप

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आत्मा की सात अवस्थाएं, जानिए

16 जनवरी 2022
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वेद अनुसार जन्म और मृत्यु के बीच और फिर मृत्यु से जन्म के बीच तीन अवस्थाएं ऐसी हैं जो अनवरत और निरंतर चलती रहती हैं। वह तीन अवस्थाएं हैं : जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति। उक्त तीन अवस्थाओं से बाहर निकलने क

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श्रीकृष्ण कोमल चरण

17 जनवरी 2022
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श्रीकृष्ण कोमल चरणएक बार श्रीकृष्ण के गुरु दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में किसी जंगल में रूककर उन्होंने आराम किया। समीप ही द्वारिका नगरी थी।दुर्वासा ऋषि ने अपने शिष्यों को

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हिंदू विवाह में सात फेरे और सात वचन

18 जनवरी 2022
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हिंदू विवाह में सात फेरे और सात वचनवैदिक संस्कृति के अनुसार सोलह संस्कारों को जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण संस्कार माने जाते हैं। विवाह संस्कार उन्हीं में से एक है जिसके बिना मानव जीवन पूर्ण नहीं हो सकता

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एक बुजुर्ग औरत मर गई, यमराज लेने आये

18 जनवरी 2022
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एक बुजुर्ग औरत मर गई, यमराज लेने आये।औरत ने यमराज से पूछा, आप मुझे स्वर्ग ले जायेगें या नरक।यमराज बोले दोनों में से कहीं नहीं।तुमनें इस जन्म में बहुत ही अच्छे कर्म किये हैं, इसलिये मैं तुम्हें सीधे प्

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छिपकलियां भी बताती है, ‘शरीर’ पर गिरने का रहस्य

18 जनवरी 2022
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परमात्मा ने हर प्राणी को किसी न किसी विशेष गुण से नवाज कर मृत्यु लोक में भेजा है। प्रत्येक के अन्दर कुछ अनोखी ही कला डाली है, फिर वो चाहे जानवर हो या इंसान अथवा कोई भी जीव-जन्तु। इन सभी जीवों में से ए

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राम भक्त ‘हनुमान’ जी से सीखें जीवन प्रबंधन के ये दस सूत्र

18 जनवरी 2022
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राम भक्त ‘हनुमान’ जी से सीखें जीवन प्रबंधन के ये दस सूत्र!!!!!!? हनुमान जी को कलियुग में सबसे प्रमुख ‘देवता’ माना जाता है। रामायण के सुन्दर कांड और तुलसीदास की हनुमान चालीसा में बजरंगबली क

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रामायण का यह एक ऐसा पात्र है जिसकी चर्चा बहुत कम होती है।

20 जनवरी 2022
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त्रिजटा - राक्षसी से साध्वी तकरामायण का यह एक ऐसा पात्र है जिसकी चर्चा बहुत कम होती है।त्रिजटा को सीताजी ने बड़े प्रेम से मां कहा था। यह सौभाग्य और किसी को कभी नहीं मिला! सीताजी ने त्रिजटा से न केवल अप

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महाभारत से ली गयी,पांडवों का स्वर्गारोहण की कथा

20 जनवरी 2022
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महाभारत से ली गयी,पांडवों का स्वर्गारोहण की कथाधर्मराज युधिष्ठिर के शासनकाल में हस्तिनापुर की प्रजा सुखी तथा समृद्ध थी। कहीं भी किसी प्रकार का शोक व भय आदि नहीं था। कुछ समय बाद श्रीकृष्ण से मिलने के ल

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33 करोड़ देवता हैं या कि 33 कोटि,जानिए दोनों ही मतों का विश्लेषण

20 जनवरी 2022
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33 करोड़ देवता हैं या कि 33 कोटि,जानिए दोनों ही मतों का विश्लेषण!क्या आप इस क्रम को मानते हैं:- जड़, वृक्ष, प्राणी, मानव, पितर, देवी-देवता, भगवान और ईश्वर। सबसे बड़ा ईश्वर, परमेश्वर या परमात्मा होता ह

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कैलाश पर्वत के नीचे बसी हैं अद्धभुत अदृश्य नगरिया ..

21 जनवरी 2022
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कैलाश पर्वत के नीचे बसी हैं अद्धभुत अदृश्य नगरिया ..शान्ग्रीला घाटी, ज्ञानगंज, सिद्धाश्रम स्तवन जैसी अदृश्य नगरियों के बीच स्थित दिव्य हिमालय की गोद में बैठा अद्धभुत कैलाश पर्वत अनेकों रहस्य अपने अन्द

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श्री कृष्ण के द्वारा राजा नृग का उद्धार

21 जनवरी 2022
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श्री कृष्ण के द्वारा राजा नृग का उद्धार 'श्रीमद्भागवत महापुराण' के अनुसार- श्रीशुकदेवजी कहते हैं- "प्रिय परीक्षित! एक दिन साम्ब, प्रद्युम्न, चारुभानु और गदा आदि यदुवंशी राजकुमार घूमने के लिये उपव

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समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्न कौन से थे

22 जनवरी 2022
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समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्न कौन से थेहिन्दू धर्म से संबंधित लगभग सभी लोग समुद्र मंथन की कथा को जानते हैं। यह कथा समुद्र से निकले अमृत के प्याले से जुड़ी है जिसे पीने के लिए देवताओं और असुरों में व

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क्या सचमुच 84 लाख योनियों में भटकना होता है?

22 जनवरी 2022
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क्या सचमुच 84 लाख योनियों में भटकना होता है?हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जीवात्मा 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य जन्म पाता है। अब सवाल कई उठते हैं। पहला यह कि ये योनियां क्या होती हैं? दूस

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जब भगवान विष्णु का मस्तक कटकर अदृश्य हो गया

22 जनवरी 2022
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धर्म धार्मिक कथा जब भगवान विष्णु का मस्तक कटकर अदृश्य हो गयाएक समय की बात है। हयग्रीव नाम का एक परम पराक्रमी दैत्य हुआ। उसने सरस्वती नदी के तट पर जाकर भगवती महामाया की प्रसन्नता के लिए बड़ी कठोर

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हजारों साल पहले ऋषियों के आविष्कार, पढ़कर रह जाएंगे हैरान

22 जनवरी 2022
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हजारों साल पहले ऋषियों के आविष्कार, पढ़कर रह जाएंगे हैरानभारत की धरती को ऋषि, मुनि, सिद्ध और देवताओं की भूमि पुकारा जाता है। यह कई तरह के विलक्षण ज्ञान व चमत्कारों से अटी पड़ी है। सनातन धर्म वेद को मा

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ऊंचे पहाड़ों पर ही क्यों बने है अधिकतर सिद्ध मंदिर, एक वैज्ञानिक रहस्य?

23 जनवरी 2022
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ऊंचे पहाड़ों पर ही क्यों बने है अधिकतर सिद्ध मंदिर, एक वैज्ञानिक रहस्य?क्या अपने सोचा है की हिन्दू धर्म में अधिकतर बड़े सिद्ध धर्मस्थल ऊँचे पहाडो पर ही क्यों बने हुए है ? आखिर क्या है इसका रहस्य, आखिर

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पौराणिक कथा- जब माता दुर्गा ने एक तिनके से तोड़ा देवताओं का घमंड

23 जनवरी 2022
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पौराणिक कथा- जब माता दुर्गा ने एक तिनके से तोड़ा देवताओं का घमंडएक बार देवताओं और दैत्यों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवता विजयी हुए जिससे उनके मन में अहंकर उत्पन्न हो गया। सभी देवता स्वयं

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आखिर गीता पर ही शपथ क्यों दिलाई जाती

23 जनवरी 2022
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आखिर गीता पर ही शपथ क्यों दिलाई जातीकथा कुछ इस प्रकार से है-भगवान श्रीहरि मूर दैत्य का नाश करने के बाद बैकुंठ लोक में शेष शय्या पर आंखें मूंदे लेटे मन ही मन मुस्कुरा रहे थे.देवी लक्ष्मी उनकी चरण सेवा

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तिलक लगाने के चमत्कारिक प्रभाव

23 जनवरी 2022
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तिलक लगाने के चमत्कारिक प्रभाव और लाभतिलक हमेशा मस्तिष्क केंद्र पर लगाते है क्योंकि लगाने की परंपरा कब से और कैसे शुरू हुई यह बताना थोड़ा कठिन है, लेकिन यह परंपरा भारत में प्राचीनकाल से ही चली आ

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ये लक्षण दिखें तो समझ जाएं, मृत्यु निकट है

24 जनवरी 2022
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ये लक्षण दिखें तो समझ जाएं, मृत्यु निकट हैकुछ लोग मौत को जीवन का सबसे बड़ा सत्य मानते हैं, लेकिन हिन्दू दर्शन अनुसार यह सबसे बड़ा झूठ या भ्रम है। मौत से सभी डरते हैं ऐसा मानना गलत है। दरअसल लोगों को य

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शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं भगवान शिव...

25 जनवरी 2022
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शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं भगवान शिव...हिंदू धर्म में शिवजी की बड़ी महिमा हैं। शिवजी का न आदि है ना ही अंत। शास्त्रों में शिवजी के स्वरूप के संबंध कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। इनका स्वरूप सभी दे

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दुनिया की सबसे बड़ी रसोई कहाँ है ?? जानिये भगवान जगन्नाथ मंदिर, पुरी की रसोई दुनिया में सबसे बड़ी है।

25 जनवरी 2022
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दुनिया की सबसे बड़ी रसोई कहाँ है ?? जानियेभगवान जगन्नाथ मंदिर, पुरी की रसोई दुनिया में सबसे बड़ी है।एक एकड़ में फैली 32 कमरों वाली इस विशाल रसोई में भगवान् को चढ़ाये जाने वाले महाप्रसाद को तैयार करने

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घर के प्रेत या पितर रुष्ट होने के लक्षण और उपाय : बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या?

26 जनवरी 2022
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घर के प्रेत या पितर रुष्ट होने के लक्षण और उपाय :बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या? पितृ-दोष शांति के सरल उपाय, पितृ या पितृ गण कौन हैं ?आपकी जिज्ञासा को शांत करती विस्तृत प्रस्तुति।प

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चंद्रमा की सुन्दरता व राजा दक्ष प्रजापति का चंद्रमा को श्राप

26 जनवरी 2022
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चंद्रमा की सुन्दरता व राजा दक्ष प्रजापति का चंद्रमा को श्रापचंद्रमा की सुंदरता पर राजा दक्ष की सत्ताइस पुत्रियां मोहित हो गईं. वे सभी चंद्रमा से विवाह करना चाहती थी दक्ष ने समझाया सगी बहनों का एक ही

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भगवान श्रीकृष्ण को शुकदेवजी के जन्म लेने से पहले गर्भ में ही उनको क्यों देनी पड़ी साक्षी (जमानत) ? शुकदेवजी मुनि कैसे बने

26 जनवरी 2022
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भगवान श्रीकृष्ण को शुकदेवजी के जन्म लेने से पहले गर्भ में ही उनको क्यों देनी पड़ी साक्षी (जमानत) ? शुकदेवजी मुनि कैसे बने ?महर्षि वेदव्यास और शुकदेवजी में हुआ बहुत ही ज्ञानवर्धक संवाद हुआ जो मोहग्रस्त

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16 सिद्धियां क्या हैं? आइए जानें...

26 जनवरी 2022
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16 सिद्धियां क्या हैं? आइए जानें...1. वाक सिद्धि : जो भी वचन बोले जाए वे व्यवहार में पूर्ण हो, वह वचन कभी व्यर्थ न जाये, प्रत्येक शब्द का महत्वपूर्ण अर्थ हो, वाक् सिद्धि युक्त व्यक्ति में श्राप/व

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रामायण क्या है..

26 जनवरी 2022
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रामायण क्या है..?? अगर कभी पढ़ो और समझो तो आंसुओ पर काबू रखना....... रामायण का एक छोटा सा वृतांत है, उसी से शायद कुछ समझा सकूँ... एक रात की बात है माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की

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सत्संग बड़ा है या तप

26 जनवरी 2022
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सत्संग बड़ा है या तपएक बार विश्वामित्र जी और वशिष्ठ जी में इस बात‌ पर बहस हो गई,कि सत्संग बड़ा है या तपविश्वामित्र जी ने कठोर तपस्या करके ऋध्दी-सिध्दियों को प्राप्त किया था,इसीलिए वे तप को बड़ा बता रहे

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तारामंडल के ध्रुव से जुड़ी धार्मिक कथा,

26 जनवरी 2022
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क्या है तारामंडल के ध्रुव से जुड़ी धार्मिक कथा,बात पुरानी है। राजा उत्तानपाद की दो पत्नियां थीं- सुनीति और सुरुचि। सुरुचि राजा को बहुत प्रिय थी। वह राज-काज में भी हाथ बंटाती थी। सुरुचि का एक पुत्र था

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जनक ने सीता स्वयंवर में अयोध्या नरेश दशरथ को आमंत्रण क्यों नहीं भेजा ?

26 जनवरी 2022
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जनक ने सीता स्वयंवर में अयोध्या नरेश दशरथ को आमंत्रण क्यों नहीं भेजा ?रामु अमित गुन सागर थाह कि पावइ कोइ।संतन्ह सन जस किछु सुनेउँ तुम्हहि सुनायउँ सोइ॥भावार्थ:-श्री रामजी अपार गुणों के समुद्र हैं, क्या

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अंगो के फड़कने का रहस्य

26 जनवरी 2022
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अंगो के फड़कने का रहस्यअन्य प्राणियों की तुलना में हमारा शरीर काफी संवेदनशील होता है। यही कारण है कि भविष्य में होने वाली घटना के प्रति हमारा शरीर पहले ही आशंका व्यक्त कर देता है। शरीर के विभिन्न अंगों

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कल्कि अवतार की सम्पूर्ण विस्तृत कथा,

26 जनवरी 2022
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कल्कि अवतार की सम्पूर्ण विस्तृत कथा,कल्कि को विष्णुका भावी अवतार माना गया है। पुराणकथाओं के अनुसार कलियुग में पाप की सीमा पार होने पर विश्व में दुष्टों के संहार के लिये कल्कि अवतार प्रकट होगा। युग परि

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एक बार नारद मुनि जी ने भगवान विष्णु जी से पुछा, हे भगवन आप का इस समय सब से प्रिय भगत कौन है

26 जनवरी 2022
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एक बार नारद मुनि जी ने भगवान विष्णु जी से पुछा, हे भगवन आप का इस समय सब से प्रिय भगत कौन है?, अब विष्णु तो भगवान है, सो झट से समझ गये अपने भगत नारद मुनि की बात, और मुस्कुरा कर वोले ! मेरा सब से प्रिय

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गरुड़ पुराण ज्ञान

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गरुड़ पुराण ज्ञानगरुण पुराण, वेदव्यास जी द्वारा रचित 18 पुराणो में से एक है। गरुड़ पुराण में 279 अध्याय तथा 18000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में मृत्यु पश्चात की घटनाओं, प्रेत लोक, यम लोक, नरक तथा 84 लाख य

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भगवान दत्तात्रेय एवं उनके 24 गुरुओ की एक ज्ञानवर्धक लेख दत्तात्रेय ब्रह्मा-विष्णु-महेश के अवतार माने जाते हैं।

26 जनवरी 2022
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भगवान दत्तात्रेय एवं उनके 24 गुरुओ की एक ज्ञानवर्धक लेखदत्तात्रेय ब्रह्मा-विष्णु-महेश के अवतार माने जाते हैं।भगवान शंकर का साक्षात रूप महाराज दत्तात्रेय में मिलता है और तीनो ईश्वरीय शक्तियों से समाहित

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वेदों के अनुसार पुत्र कितने प्रकार के होते हैं?

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वेदों के अनुसार पुत्र कितने प्रकार के होते हैं?हिन्दू परिवार में विवाहिता स्त्री से उत्पन्न नर सन्तान को पुत्र कहा जाता है। पुत्र को बेटा, लड़का, बालक आदि नामों से भी सम्बोधित किया जाता है।पुत्र का प्

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श्रीराम को "मर्यादा पुरूषोत्तम" बनने में माता कैकेयी का त्याग

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श्रीराम को "मर्यादा पुरूषोत्तम" बनने में माता कैकेयी का त्याग !!एक रात जब माता कैकेयी सोती हैं, तो उनके स्वप्न में विप्र, धेनु, सुर, संत सब एक साथ हाथ जोड़ के आते हैं और उनसे कहते हैं कि"हे माता कैकेय

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जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले... तो काल आया

26 जनवरी 2022
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जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले... तो काल आया !!और जैसे ही काल आया तो गिद्धराज जटायु ने मौत को ललकार कहा "खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना...मैं मृत्यु को स्वीकार तो करूँगा... लेक

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सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कथा

26 जनवरी 2022
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सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कथाराजा हरिश्चंद्र का नाम सच बोलने के लिए जगत में प्रसिद्ध है। उनकी प्रसिद्धि चारों तरफ फैली थी। इनका जन्म इक्ष्वाकु वंश में त्रिशंकु नामक राजा तथा उनकी पत्नी सत्यवती के पु

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हनुमानजी अजर अमर यानी चिरंजीवि कैसे हुए

26 जनवरी 2022
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हनुमानजी अजर अमर यानी चिरंजीवि कैसे हुएआठ महामानवों को पृथ्वी पर चिरंजीवि माना जाता है- अश्वत्थामा, बलि, व्यासजी, हनुमानजी, विभीषण, परशुरामजी, कृपाचार्य और महामृत्युंजय मंत्र के रचयिता मार्कंडेय जी। ह

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बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 11 रहस्य

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बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 11 रहस्य1. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है। दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती विराजमान हैं। दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप (सुंदर) रूप में विराजमान हैं

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महादेव ने क्यों चुनी नंदी की ही सवारी? जानें मंदिर के बाहर पहले क्यों होते हैं इनके दर्शन ।

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महादेव ने क्यों चुनी नंदी की ही सवारी? जानें मंदिर के बाहर पहले क्यों होते हैं इनके दर्शन ।नंदी को भक्ति और शक्ति के प्रतीक माना गया है. कहा जाता है कि जो भी भगवान भोले से मिलना चाहता है नंदी पहले उसक

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भगवान शिव के 35 रहस्य, शर्तिया चौंक जाएंगे

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भगवान शिव के 35 रहस्य, शर्तिया चौंक जाएंगे आप भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है, उनके बारे में यहां प्रस्तुत हैं 35 रहस्य। 1. आदिनाथ शिव सर

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शिवपार्वती विवाह की कथा!

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शिवपार्वती विवाह की कथा! भगवान बजरंगबली ने कभी बाली से युद्ध किया था? अगर हाँ, तो उस युद्ध का परिणाम क्या हुआ था?बाली देवराज इंद्र का धर्म पुत्र था जिनसे उसे ब्राह्मा जी द्वारा मंत्रित एक हार प्र

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नेपाल के पशु पति नाथ मंदिर की अनोखी महिमा

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नेपाल के पशु पति नाथ मंदिर की अनोखी महिमा?अगर आप कभी नेपाल घुमने जाते हैं तो आपको वहां जाकर इस बात का बिल्कुल भी एहसास नहीं होगा कि आप एक अलग देश में हैं। कुछ भारत जैसी संस्कृति और संस्कारों को देखकर

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श्रीमद्भागवतगीता एक संक्षिप्त परिचय

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श्रीमद्भागवतगीता एक संक्षिप्त परिचयहिन्दू धर्म में गीता को बेहद पवित्र ग्रंथ माना जाता है। महाभारत काल में रचे गए इस ग्रंथ को जीवन का सार समझा जाता है। गीता में कुल अठारह अध्याय तथा सात सौ से ज्यादा श

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श्रीमदभागवत पुराण की एक बहुचर्चित एवम शिक्षाप्रद अजामिल की विस्तृत कथा

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श्रीमदभागवत पुराण की एक बहुचर्चित एवम शिक्षाप्रद अजामिल की विस्तृत कथा शुकदेवजी महाराज राजा परीक्षित से कहते हैं,कि हे प्रिय परीक्षित्! यह कथा परम गोपनीय—अत्यन्त रहस्यमय है। मलय पर्वत पर विराजमान

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श्री हनुमान जी और बाली युद्ध की कथा

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भगवान बजरंगबली ने कभी बाली से युद्ध किया था? अगर हाँ, तो उस युद्ध का परिणाम क्या हुआ था?बाली देवराज इंद्र का धर्म पुत्र था जिनसे उसे ब्राह्मा जी द्वारा मंत्रित एक हार प्राप्त हुआ उसके कारण सामने वाले

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एक 'पाप' से सारे 'पुण्य' नष्ट हो जाते हैं

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एक 'पाप' से सारे 'पुण्य' नष्ट हो जाते हैंमहाभारत के युद्ध पश्चात जब "श्रीकृष्ण" लौटे तो रोष में भरी 'रुक्मणी' ने उनसे पूछा ?युद्ध में बाकी सब तो ठीक था... किंतु आपने "द्रोणाचार्य" और "भीष्म पितामह" जै

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स्त्रियों के 16 श्रृंगार एवं उसका महत्व

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स्त्रियों के 16 श्रृंगार एवं उसका महत्वहिन्दू महिलाओं के लिए 16 श्रृंगार का विशेष महत्व है। विवाह के बाद स्त्री इन सभी चीजों को अनिवार्य रूप से धारण करती है। हर एक चीज का अलग महत्व है। हर स्त्री चाहती

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क्या हुआ जब धरती में समा गईं सीता माता

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क्या हुआ जब धरती में समा गईं सीता माता?पहली बात तो यह कि माता सीता का धरती में समा जाने के प्रसंग पर मतभेद और विरोधाभाष है। पद्मपुराण की कथा में सीता धरती में नहीं समाई थीं बल्कि उन्होंने श्रीराम के स

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सुबह उठते ही 'कर (हथेली) दर्शन' का महत्त्व क्यों

27 जनवरी 2022
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सुबह उठते ही 'कर (हथेली) दर्शन' का महत्त्व क्यों?हमारी संस्कृति हमें धर्ममय जीवन जीना सिखाती है। हमारा जीवन सुखी, समृद्ध, आनंदमय बने इसके लिए संस्कार रचे गए और दिनचर्या तय की गई। दिनचर्या का आरंभ नींद

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सूपनखा की कथा

27 जनवरी 2022
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सूपनखा की कथा।सूपनखा रावन कै बहिनी। दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी॥पंचबटी सो गइ एक बारा। देखि बिकल भइ जुगल कुमारा ।।सूर्पणखा पूर्वजन्म में इन्द्र की प्रिय "नयनतारा" नामक अप्सरा थी। पृथ्वी पर एक 'वज्रा' नाम

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भगवान शिव ने नंदी तो मां पार्वती ने बाघ को अपना वाहन क्यों चुना, जानिए इसका रहस्य

27 जनवरी 2022
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भगवान शिव ने नंदी तो मां पार्वती ने बाघ को अपना वाहन क्यों चुना, जानिए इसका रहस्य मूषक : - हमारे प्रथम पूजनीय श्री गणेश जो तर्क वितर्क करने और समस्याओं की जड़ तक जाकर उनका समाधान करने में सबसे आग

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हिन्दू संस्कार पौराणिक कथा : पुत्र मोह कितना उचित

27 जनवरी 2022
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हिन्दू संस्कारपौराणिक कथा : पुत्र मोह कितना उचितमहाराजा चित्रकेतु पुत्र हीन थे । महर्षि अंगिरा का उनके यहाँ आना जाना होता था । जब भी आते राजा उनसे निवेदन करते, महर्षि पुत्र हीन हूँ , इतना राज्य कौन सम

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हनुमान जी की अतुलित शक्तियों का राज?

27 जनवरी 2022
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हनुमान जी की अतुलित शक्तियों का राज?रामभक्त हनुमान रामभक्त हनुमान को हम नाजाने कितने ही नामों से पूजते हैं। कोई उन्हें पवनपुत्र कहता है तो कोई महावीर, कोई अंजनीपुत्र बुलाता है तो कोई कपीश नाम से उनकी

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रूस का महाभारतकालीन " अग्नि " मंदिर

27 जनवरी 2022
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रूस का महाभारतकालीन " अग्नि " मंदि भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 3000 किलोमीटर एक देश है, जिसका नाम है अजरबैजान ।। यह देश पहले रूस का एक भाग हुआ करता था, लेकिन 1991 में रूस के टुकड़े टुकड़े

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गीता जी मे क्या कहते हैं कृष्ण, आइये जानें

27 जनवरी 2022
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गीता जी मे क्या कहते हैं कृष्ण, आइये जानें जब भूतकाल में किये गये किसी का पाप का प्रायश्चित करने के बाद मनुष्य को उस पाप का दंड मिलता है, तो मनुष्य को लगता है कि उस पाप का दंड मुझे अब क्यों

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भगवान श्रीगणेश जी के रहस्य

1 फरवरी 2022
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भगवान श्रीगणेश जी के रहस्यश्रीगणेश एक परिचय आदि देव गजानन को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं, यंत्र यत्र-तंत्र उनकी पूजा-अर्चना होती है। बुद्धि वे विद्या के दाता गणेश जी का परिचय देना सूर्य को दीप जलाने क

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भगवान गणेश-तुलसी और दूर्वा की कथा

1 फरवरी 2022
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भगवान गणेश-तुलसी और दूर्वा की कथा हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान गणेश को भगवान श्री कृष्ण का अवतार बताया गया है और भगवान श्री कृष्ण स्वयं भगवान विष्णु के अवतार है। लेकिन जो तुलसी भगवान विष्ण

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माता पार्वती का महल...लंका में कयू?

1 फरवरी 2022
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माता पार्वती का महल...लंका में कयू?एक बार की बात है, देवी पार्वती का मन खोह और कंदराओं में रहते हुए ऊब गया। दो नन्हें बच्चे और तरह तरह की असुविधाएँ। उन्होंने भगवान शंकर से अपना कष्ट बताया और अनुरोध कि

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श्रीमद् भगवत गीता एक संक्षिप्त चिंतन

1 फरवरी 2022
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श्रीमद् भगवत गीता एक संक्षिप्त चिंतनअर्जुन के रथ को भगवान श्री कृष्ण दोनों सेनाओं के मध्य ले जाकर खड़ा कर देते हैं, अर्जुन युद्ध नहीं करना चाहते हैं।भगवान ने तब गीता का उपदेश दिया।"जब युद्ध करने आये ह

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रामायण के सुन्दर-काण्ड में हनुमान जी के साहस और देवाधीन कर्म का वर्णन किया गया है

1 फरवरी 2022
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रामायण के सुन्दर-काण्ड में हनुमान जी के साहस और देवाधीन कर्म का वर्णन किया गया है हनुमानजी की भेंट रामजी से उनके वनवास के समय तब हुई जब रामजी अपने भ्राता लछ्मन के साथ अपनी पत्नी सीता की खोज कर रह

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पुराणों में भारतवर्ष की महिमा

1 फरवरी 2022
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पुराणों में भारतवर्ष की महिमा - ये पृथ्वी सप्तद्वीपा है । इनके नाम हैं - जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप, शाल्मलिद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, तथा पुष्करद्वीप । सातों द्वीपों के मध्य जम्बूद्वीप

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गुरुतत्व संधान

1 फरवरी 2022
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गुरुतत्व संधान ध्याम मूलं गुरुर मूर्ति, पूजा मूलं गुरु पदम्।मन्त्र मूलं गुरुर वाक्यं मोक्ष मूलं गुरु कृपा॥ किसी समस्या केलिए कोई साधक विधान बताए वो समस्या के निराकरण का मात्र विधान है

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जीते हुए चौदह मृत कौन हैं

1 फरवरी 2022
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जीते हुए चौदह मृत कौन हैं कौल कामबस कृपिन विमूढा । अति दरिद्र अजसि अतिबूढ़ा ।। सदारोग

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दान के विषय मे महत्त्वपूर्ण जानकारी

1 फरवरी 2022
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दान के विषय मे महत्त्वपूर्ण जानकारी दान एक ऐसा कर्म है, जो इस धरा पर सारे धर्म के लोग मानते है | विविध धर्मावलम्बी अपने अपने धर्म और मत अनुसार दान करते है, इसका नाम अलग अलग धर्म, जाती, भाषा में

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धन प्राप्ति से जुड़े गुप्त संकेत

1 फरवरी 2022
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धन प्राप्ति से जुड़े गुप्त संकेत1- अगर आपके शरीर के दाहिने भाग में या सीधे हाथ में लगातार खुजली हो, तो समझ लेना चाहिए कि आपको धन लाभ होने वाला है।2- यदि कोई सपने में देखे कि उस पर कानूनी मुकदमा चलाया ज

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प्याज और लहसुन ना खाए जाने के पीछे सबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा यह है

1 फरवरी 2022
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प्याज और लहसुन ना खाए जाने के पीछेसबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा यह हैकि समुद्रमंथन सेनिकले अमृत को, मोहिनी रूप धरे विष्णुभगवानजब देवताओं में बांट रहे थे तभी दो राक्षसराहू और केतूभी वहीं आकर बैठ गए। भगवान

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भगवान श्रीकृष्ण के माता-पिता वसुदेव व देवकी के कष्टों के कारण क्या थे?

3 फरवरी 2022
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भगवान श्रीकृष्ण के माता-पिता वसुदेव व देवकी के कष्टों के कारण क्या थे?श्रीमद्देवीभागवतमहापुराण की एक कथा के अनुसार एक बार राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सत्यवती पुत्र महर्षि व्यासजी से कई प्रश्न पूछ

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अग्नि की उत्पत्ति कथा तथा वेद एवं पुराणों में महात्म्य

3 फरवरी 2022
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अग्नि की उत्पत्ति कथा तथा वेद एवं पुराणों में महात्म्य एक समय पार्वती ने शिवजी से पूछा कि हे देव! आप जिस अग्नि देव की उपासना करते हैं उस देव के बारे में कुछ परिचय दीजिये। शिवजी ने उत्तर देना स्वी

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रोचक तथ्य

3 फरवरी 2022
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रोचक तथ्य सांप सीढ़ी का खेल तेरहवीं शताब्‍दी में कवि संत ज्ञान देव द्वारा तैयार किया गया था इसे मूल रूप से मोक्षपट कहते थे। इस खेल में सीढियां वरदानों का प्रतिनिधित्‍व करती थीं जबकि सांप अवग

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सोमतिती विद्या-लक्ष्मण रेखा....

3 फरवरी 2022
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सोमतिती विद्या-लक्ष्मण रेखा....महर्षि श्रृंगी कहते हैं कि एक वेदमन्त्र है--सोमंब्रही वृत्तं रत: स्वाहा वेतु सम्भव ब्रहे वाचम प्रवाणम अग्नं ब्रहे रेत: अवस्ति,,यह वेदमंत्र कोड है उस सोमना कृतिक यंत्र का

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क्यों की जाती है भगवान की परिक्रमा

3 फरवरी 2022
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क्यों की जाती है भगवान की परिक्रमा? हिन्दू धर्म में परिक्रमा का बड़ा महत्त्व है। परिक्रमा से अभिप्राय है कि सामान्य स्थान या किसी व्यक्ति के चारों ओर उसकी बाहिनी तरफ से घूमना। इसको 'प्रदक्

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दुर्योधन के एक भाई का वध करते समय भीम क्यों हुए थे दुखी?

3 फरवरी 2022
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दुर्योधन के एक भाई का वध करते समय भीम क्यों हुए थे दुखी?महाभारत का युद्ध, अहंकार का युद्ध था। 18 दिनों तक चलने वाले इस युद्ध ने सिर्फ़ विनाश किया। कौरवों और पांडवों के बीच हुए इस युद्ध में कई निर्दोष ल

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गुप्त नवरात्र क्या हैं

3 फरवरी 2022
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गुप्त नवरात्र क्या हैंश्री दुर्गा सप्तशती में कवच, अर्गला स्तोत्र और कीलक पढ़कर ही अध्याय का पाठ होता है। कीलकम् विशेष है। कीलकम् में कहा जाता है कि भगवान शंकर ने बहुत सी विद्याओं को गुप्त कर दिया। यह

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प्यास जो बुझ न सकी

3 फरवरी 2022
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प्यास जो बुझ न सकी .श्रीकृष्ण स्वयं भी महाभारत रोक न सके। इस बात पर महामुनि उत्तंक को बड़ा क्रोध आ रहा था। .दैवयोग से भगवान श्रीकृष्ण उसी दिन द्वारिका जाते हुए मुनि उत्तंक के आश्रम में

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कलियुग की पांच कड़वी सच्चाइयाँ....

3 फरवरी 2022
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कलियुग की पांच कड़वी सच्चाइयाँ.... एक बार पांचों पाण्डवों ने भगवान श्रीकृष्ण से कलियुग के बारे में चर्चा की और जानने की इच्छा जाहिर की, कि कलियुग में मनुष्य कैसा होगा,

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लोग प्रेम करना भी चाहते हैं और बचना भी चाहते हैं

3 फरवरी 2022
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लोग प्रेम करना भी चाहते हैं और बचना भी चाहते हैंनिश्चित ही मन के सभी रोग प्रेम की कमी से पैदा होते हैं। लेकिन इस सत्य को समझना पड़े। जीवन में तीन घटनाएं हैं, जो बहुमूल्य हैं: जन्म, मृत्यु और प्रेम

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हनुमानजी ने तोड़ दिया था अर्जुन का घमंड।

3 फरवरी 2022
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हनुमानजी ने तोड़ दिया था अर्जुन का घमंड। एक बार अर्जुन का हनुमानजी से मिलन हो जाता है। अर्जुन घमंड से हनुमानजी को कहता है कि मैं आपके समय होता तो पत्थर का रामसेतु बनवाने के बजाय अकेले ही अपने धनु

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पद्मपुराण में एक कथा है

3 फरवरी 2022
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पद्मपुराण में एक कथा हैएक बार एक शिकारी शिकार करने गया,शिकार नहीं मिला, थकान हुई और एक वृक्ष के नीचे आकर सो गया। पवन का वेग अधिक था, तो वृक्ष की छाया कभी कम-ज्यादा हो रही थी, डालियों के यहाँ-वहाँ हिलन

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महादेव के गणों मे एक हैं भृंगी। एक महान शिवभक्त के रुप में भृंगी का नाम अमर है। कहते हैं जहां शिव होंगे वहां गणेश, नंदी, श्रृंगी, भृंगी, वीरभद्र का वास स्वयं ही होगा। शिव-शिवा के साथ उनके ये गण अवश्य चलते हैं। इनमें से सभी प्रमुख गणों के बारे में तो कहानियां प्रचलित हैं।

3 फरवरी 2022
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महादेव के गणों मे एक हैं भृंगी। एक महान शिवभक्त के रुप में भृंगी का नाम अमर है। कहते हैं जहां शिव होंगे वहां गणेश, नंदी, श्रृंगी, भृंगी, वीरभद्र का वास स्वयं ही होगा। शिव-शिवा के साथ उनके ये गण अवश्य

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मृत्यु के क्षण में लोग तड़फते क्यों हैं

3 फरवरी 2022
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मृत्यु के क्षण में लोग तड़फते क्यों हैंतुमने किसी पक्षी को मरते देखा ? ऐसे सरल, ऐसे सहज, चुपचाप विदा हो जाता है! पंख भी नहीं फड़फड़ाता। शोरगुल भी नहीं मचाता। पक्षी तो इतने चुपचाप विदा हो जाते हैं, इतनी

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तपस्या का फल

3 फरवरी 2022
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तपस्या का फल भगवान शंकर को पति के रूप में पाने हेतु माता-पार्वती कठोर तपस्या कर रही थी। उनकी तपस्या पूर्णता की ओर थी। एक समय वह भगवान के चिंतन में ध्यान मग्न बैठी थी। उसी समय उन्हें एक बालक के डु

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गंगापुत्र भीष्म पितामह के सौलह रहस्य

4 फरवरी 2022
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गंगापुत्र भीष्म पितामह के सौलह रहस्यपुराणों के अनुसार ब्रह्माजी से अत्रि, अत्रि से चन्द्रमा, चन्द्रमा से बुध और बुध से इलानंदन पुरुरवा का जन्म हुआ। पुरुरवा से आयु, आयु से राजा नहुष और नहुष से ययाति उत

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महिलाओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है सोलह श्रृंगार

5 फरवरी 2022
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महिलाओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है सोलह श्रृंगारमांग में सिंदूर, माथे पर बिंदिया, हाथों में चूड़ी, पांव में पायल और बिछिया….ये प्रतीक हर सुहागिन महिला के जो सोलह श्रृंगार कर अपने सुहाग की लंबी उम्र की

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"क्यों मनाई जाती है वसंत पंचमी

5 फरवरी 2022
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*"क्यों मनाई जाती है वसंत पंचमी"*विशेष बसंत पंचमी की कथा इस पृथ्वी के आरंभ काल से जुड़ी हुई है। भगवान विष्णु के कहने पर ब्रह्मा ने इस सृष्टि की रचना की थी। तभी ब्रह्मा ने मनुष्य और समस्त तत्वों जैसे-

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वसन्त पंचमी का शौर्य

5 फरवरी 2022
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मत चूको चौहानवसन्त पंचमी का शौर्यचार बांस, चौबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण!ता उपर सुल्तान है, चूको मत चौहान!वसंत पंचमी का दिन हमें "हिन्दशिरोमणि पृथ्वीराज चौहान" की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी इस्ला

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शिव को प्रसन्न करना है तो पढ़ें स्कंद-पुराण की महाकाल कथा

6 फरवरी 2022
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शिव को प्रसन्न करना है तो पढ़ें स्कंद-पुराण की महाकाल कथामाटी नाम का एक बड़ा शिवभक्त था। उसने संतान प्राप्ति के लिए 100 साल तक शिवजी का कठोर तप किया था। शिवजी ने उसे संतान का वरदान दिया। समय आने पर उस

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प्याज और लहसुन ना खाए जाने के पीछे सबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा यह है

6 फरवरी 2022
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प्याज और लहसुन ना खाए जाने के पीछेसबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा यह हैकि समुद्रमंथन सेनिकले अमृत को, मोहिनी रूप धरे विष्णुभगवानजब देवताओं में बांट रहे थे तभी दो राक्षसराहू और केतूभी वहीं आकर बैठ गए। भगवान

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भोजन के प्रकार

6 फरवरी 2022
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भोजन के प्रकार भीष्म पितामह ने गीता में अर्जुन को 4 प्रकार से भोजन ना करने के लिए बताया था। 1 पहला भोजन- जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो वह भोजन की थाली नाले में पड़े कीचड़ के समान

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जीवन जीने के कुछ जरूरी नियम बनाये।

6 फरवरी 2022
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स्नान कब ओर केसे करे घर की समृद्धि बढाना हमारे हाथमे हैसुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है।1 मुनि स्नान।जो सुबह 4 से 5 के बिच किया जाता है।.2 देव स्नान।जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता ह

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काल (समय) के रहस्य

6 फरवरी 2022
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काल (समय) के रहस्य ...? भाग 1.लोकानामन्तकृत्कालः कालोन्यः कल्नात्मकः।स द्विधा स्थूल सुक्ष्मत्वान्मूर्त श्चामूर्त उच्यते।।अर्थात – एक प्रकार का काल संसार का नाश करता है और दूसरे प्रकार का कलानात्म

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भगवान सूर्यनारायण की महिमा !

7 फरवरी 2022
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भगवान सूर्यनारायण की महिमा !सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है। समस्त चराचर जगत की आत्मा सूर्य ही है। सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है, यह आज एक सर्वमान्य सत्य है। वैदिक काल में आर्य सूर्य को

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बालक ध्रुव कैसे बना धुव्र तारा"

7 फरवरी 2022
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"बालक ध्रुव कैसे बना धुव्र तारा"स्वयंभुव मनु और शतरुपा के दो पुत्र थे-प्रियवत और उत्तानपाद। उत्तानपाद की सुनीति और सुरुचि नामक दो पत्नियां थीं। राजा उत्तानपाद को सुनीति से ध्रुव और सुरुचि से उत्तम नाम

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यह तीनों प्रार्थनाएँ सभी ग्रंथों, वेदों तथा पुराणों का सार हैं

11 फरवरी 2022
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यह तीनों प्रार्थनाएँ सभी ग्रंथों, वेदों तथा पुराणों का सार हैंपहली प्रार्थनारात को सोते समय भगवान् से प्रार्थना कीजिए ‘‘हे मेरे गोविंद ! जब मेरी मौत आये और मेरे अंतिम सांस के साथ, जब आप मेरे तन स

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श्रीमद्भागवत कल्पवृक्ष की ही तरह है, यह हमें सत्य से परिचय कराता है, कलयुग में तो श्रीमद्भागवत कथा की अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि मृत्यु जैसे सत्य से हमें भागवत ही अवगत कराती है।

11 फरवरी 2022
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श्रीमद्भागवत कल्पवृक्ष की ही तरह है, यह हमें सत्य से परिचय कराता है, कलयुग में तो श्रीमद्भागवत कथा की अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि मृत्यु जैसे सत्य से हमें भागवत ही अवगत कराती है। राजा परीक्षित बह

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पराये धन की तृष्णा सब स्वाहा कर जाती है..

11 फरवरी 2022
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पराये धन की तृष्णा सब स्वाहा कर जाती है..एक नाई जंगल में होकर जा रहा था अचानक उसे आवाज सुनाई दी “सात घड़ा धन लोगे?” उसने चारों तरफ देखा किन्तु कुछ भी दिखाई नहीं दिया। उसे लालच हो गया और कहा “लूँगा”। त

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विश्व की सर्वाधिक ऊँची शिव प्रतिमा, नाथद्वारा

11 फरवरी 2022
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विश्व की सर्वाधिक ऊँची शिव प्रतिमा, नाथद्वाराराजस्थान की अरावली पहाड़ियों के बीच नाथद्वारा में विश्व की सर्वाधिक ऊँची शिव प्रतिमा स्थापित है, जिसकी ऊँचाई 351 फीट है.ध्यान मुद्रा में स्थापित भगवान शिव क

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सुंदर कांड की रोचक प्रश्नोत्तरी

11 फरवरी 2022
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सुंदर कांड की रोचक प्रश्नोत्तरी1 :- सुंदरकाण्ड का नाम सुंदरकाण्ड क्यों रखा गया?हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटांचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटांचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे।पह

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सब पर कर्जा हनुमान जी का,सब ऋणी हनुमानजी महराज के

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सब पर कर्जा हनुमान जी का,सब ऋणी हनुमानजी महराज के। रामजी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो,भगवान ने विभीषण जी,जामवंत जी,अंगद जी,सुग्रीव जी सब को अयोध्या से विदा किया। तो सब ने सोचा हनुमान जी को प्र

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देवाधिदेव भगवान शिव और जगदम्बा पार्वती का विवाहोत्सव!!

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देवाधिदेव भगवान शिव और जगदम्बा पार्वती का विवाहोत्सव!!नम: शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम्।नगेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्यां नमो नम: शंकरपार्वतीभ्याम्।। (उमामहेश्वरस्तोत्रम्)अर्थात्–नवीन य

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तिरूपति बालाजी भगवान की सम्पूर्ण कथा

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तिरूपति बालाजी भगवान की सम्पूर्ण कथाएक बार समस्त देवताओं ने मिलकर एक यज्ञ करने का निश्चय किया।यज्ञ की तैयारी पूर्ण हो गई।तभी वेद ने एक प्रश्न किया तो एक व्यवहारिक समस्या आ खड़ी हुई।ऋषि-मुनियों द्वारा

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ये हैं प्रमुख यज्ञ, राजा दशरथ को पुत्रेष्ठि यज्ञ से मिली थी संतान!!

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ये हैं प्रमुख यज्ञ, राजा दशरथ को पुत्रेष्ठि यज्ञ से मिली थी संतान!!हिंदू धर्म में यज्ञ की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। धर्म ग्रंथों में मनोकामना पूर्ति व किसी बुरी घटना को टालने के लिए यज्ञ करने

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देव मूर्ति की परिक्रमा का महत्व क्यों?

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देव मूर्ति की परिक्रमा का महत्व क्यों? परिक्रमा करना कोरा अंधविश्वास नहीं, बल्कि यह विज्ञान सम्मत है। जिस स्थान या मंदिर में विधि-विधानानुसार प्राण प्रतिष्ठित देवी-देवता की मूर्ति स्थापित की जाती

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अमरनाथ की अमरकथा शिव पार्वती संवाद

11 फरवरी 2022
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अमरनाथ की अमरकथा शिव पार्वती संवादस्वयं श्री सदाशिव इस कथा को कहने वाले हैं। यह प्राचीन धर्म ग्रंथों से ली गई है, जिनमें भृंगु संहिता, निलमत पुराण और लावनी-ब्रह्मज्ञान उल्लेखनीय हैं। यह लोक व परलोक का

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प्रभु के वक्षस्थल पर विप्र-चिह्न!जानिए आखिर क्यों भृगु ऋषि में मारी भगवान विष्णु के लात पौराणिक कथा!

11 फरवरी 2022
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प्रभु के वक्षस्थल पर विप्र-चिह्न!जानिए आखिर क्यों भृगु ऋषि में मारी भगवान विष्णु के लात पौराणिक कथा!दुर्वासा मुनि की बात छोड़ दी जाए तो यह कहना गलत नही होगा कि ऋषि-मुनि जल्दी नाराज नहीं होते थे। लेकिन

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मोरपंख का महत्त्व

11 फरवरी 2022
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मोरपंख का महत्त्वज्योतिष में मोरपंख को सभी नौ ग्रहों का प्रतिनिधि माना गया है, विशेष तौर पर मोरपंख के कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें किसी शुभ मुहूर्त में करने से सभी समस्याओं से तुरंत छुटकारा मिल जा

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विष्णु कौन है?

11 फरवरी 2022
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विष्णु कौन है? चित्र में विष्णु को एक इंसान के रूप बनाया गया था, या भारतीय प्राचीन ऋषियों द्वारा मानव जाति के लिए इस परम निरपेक्ष चेतना को समझने के लिए यह चित्र नियोजित किया गया था, । हम इस

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कभी भगवान विष्णु के किसी चित्र के बारे में सोचा है ।

11 फरवरी 2022
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कभी भगवान विष्णु के किसी चित्र के बारे में सोचा है ।बीच समुद्र में शेषनाग के ऊपर आराम से लेटे और लक्ष्मी उनके पैर दबा रही है ।कभी सोचा है भगवान विष्णु का यह रूप किस बात की ओर इशारा कर रहा है ।इसमें हम

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