भगवान के जितने भी अवतार हुए हैं। उनमें श्रीरामजी के अवतार को ही मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। कहा जाता है कि बेटा हो तो राम जैसा, राजा हो तो राम जैसा या चरित्र हो तो राम जैसा। दरअसल राम को हमारे धर्म ग्रथों में सबसे आदर्श पुरुष माना गया है। सांसारिक जीवन में आगे बढऩे, नाम कमाने यानी ख्याति, यश, कीर्ति के लिए सद्गुणों और अच्छे कामों की बड़ी भूमिका होती है, क्योंकि गुण ही किसी भी इंसान को असाधारण और विलक्षण प्रतिभा का स्वामी बना देते हैं।
इसलिए हर इंसान को अपने जीवन में सफल होने के लिए किन खास गुणों पर ध्यान देना चाहिए ये रामायण में रामजी के चरित्र के माध्यम से बताया गया है। विष्णु अवतार भगवान श्रीराम ने भी मानवीय रूप में जन-जन का भरोसा और विश्वास अपने आचरण और असाधारण गुणों से ही पाया। उनकी चरित्र की खास खूबियों से ही वह न केवल लोकनायक बने, बल्कि युगान्तर में भी भगवान के रूप में पूजित हुए। वाल्मीकि रामायण में भगवान श्रीराम की ऐसे ही सोलह गुण बताए गए हैं, जो आज भी नेतृत्व क्षमता बढ़ाने व किसी भी क्षेत्र में अगुवाई करने के अहम सूत्र हैं। जानें रामजी किन गुणों के धनी थे…।
भगवान श्रीराम के सोलह गुण --▪ गुणवान (ज्ञानी व हुनरमंद)
▪ किसी की निंदा न करने वाला (सकारात्मक)
▪ धर्मज्ञ (धर्म के साथ प्रेम, सेवा और मदद करने वाला)
▪ कृतज्ञ (विनम्रता और अपनत्व से भरा)
▪ सत्य (सच बोलने वाला, ईमानदार)
▪ दृढ़प्रतिज्ञ (मजबूत हौंसले वाला)
▪ सदाचारी (अच्छा व्यवहार, विचार)
▪ सभी प्राणियों का रक्षक (मददगार)
▪ विद्वान (बुद्धिमान और विवेक शील)
▪ सामथ्र्यशाली (सभी का भरोसा, समर्थन पाने वाला)
▪ प्रियदर्शन (खूबसूरत)
▪ मन पर अधिकार रखने वाला (धैर्यवान व व्यसन से मुक्त)
▪ क्रोध जीतने वाला (शांत और सहज)
▪ कांतिमान (अच्छा व्यक्तित्व)
▪ वीर्यवान (स्वस्थ्य, संयमी और हष्ट-पुष्ट)
▪ युद्ध में जिसके क्रोधित होने पर देवता भी डरें।