भक्त और भगवान कान्हा..... रहमत तेरी अगर लिखने लग जाऊँ,,,, तो लग जाएं साल हज़ार,,,, मेरी कलम छोटी है "कान्हा" तेरी महिमा अपरम्पार। हम सेवक हैं तेरे दर के तू दाता सबका पालनहार राधे कृष्णा
0.0(1)
अच्छी रचना है हो सके तो मेरी रचना पढ़े और अगर हो सके तो मेरी बुक पर रिव्यु दीजिये मेरी नयी रचना का नाम है वीराना https://hindi.shabd.in/books/10086417
63 फ़ॉलोअर्स
18 किताबें
कान्हा तुम आ जाओ ना..!बीत गयी हैं कितनी सदियाँ,बाट जोह रही धुँधली अंखियाँ,यमुना तट पर उसी विटप पर,धुन मुरली की सुनाओ ना... जनमन का मधुबन सूना है,ब्रज की गलियाँ तुम्हे पुकार रहीं,कालियनाग हैं कदम-
हे मन-मोहनबताओ कहाँ मिलेगा श्याम।चरण पादुका लेकरसब से पूछ रहे रसखान॥वो नन्ना सा बालक है,सांवली सी सूरत है,बाल घुंघराले उसके,पहनता मोर मुकुट है।नयन उसके कजरारे,हाथ नन्हे से प्यारे,बांदे पैजन्यियाँ पग म
तेरा प्रेम और चिन्तन प्रभु जी अच्छा लगता है इक दिन तुझको पा जाऊँगा ऐसा लगता है संगी साथी जब तक तू प्रभु जीवन है अनमोल दो दिन का है जीवन फिर भी सच्चा लगता है इक दिन तुझको पा जाऊँगा
तूने मुरली काहे बजाई कि निंदिया टूट गई,<div>तूने ऐसी तान सुनाई कि मटकी छूट गई,</div><div>तूने मुरली
मेरे गोविन्द...<div><br></div><div>काजल भगवत प्रेम का ,</div><div>
अरे ओ प्राणीहरिनाम स्मरण कर ले बंदे, जीवन का कोई ठिकाना नहीं।उस पिता से जोड़ ले नाता, वह अपना है बेगाना नहींये भवसागर है काल का चक्र, बचने का कोई ठिकाना नहीं।*माया मोह की नाव में बैठकर, तू इसमें डूब ज
जबसे लागी लगन,<div>हर घडी रहता है मन मगन,</div><div>तुझको देखे बिना चैन पाए ना मेरे नयन,</div><div>त
ऐ श्याम..तेरा नाम लेकर ही शुरू होती हैमेरी हर सुबह...!फिर ये कैसे कह दूँ,कि मेरा दिन खराब है..!! इनसान अपना वो चेहरा तो खूब&nbs
<div><span style="font-size: 1em;">श्री गंगा जी का तट हो</span><br></div><div>यमुना का वंशीवट हो</di
<br><div>हे कान्हा मेरा अन्त समय जब आये....... </div><div>कदम की छाँव हो... यमुना का तट हो....<
<div> *<span style="color: rgb(0, 0, 0); font-size: 1em;">मनवा श्याम नाम रस पी ले *</span></div
बांके बिहारी तेरी याद सताए,<div>याद सताये मेरे नैना भर आये,</div><div>बांके बिहारी तेरी याद सताए।</d
<div> रे मन</div><div> हरि सुमिरन कर लीजै </div><div>&n
तेरे कारण महिमा ब्रज की<div>तूने बढ़ाया इसका मान</div><div>तेरे जन्म से हुई ये पावन</div><div>वैकुंठ
*तारणहारा हरि का नाम' ................<div><br></div><div>एक संत जो एक शहर के बस स्टैंड के पास एक वृ
हरि नाम की औषधि, खरी रीति सौं खाय... <div>अंग पीड़ा उपजै नहीं, महारोग मिटि जाय... </div><di
<div> भक्ति मे उसकी तू हो मगन</div><div> उसे पाने की तू लगा लगन</div><div> तेरे पाप सब धुल जाऐगे </div><div> &nbs
<div> हे गिरिधर...*</div><div><br></div><div>हर साँस में हो सुमिरन तेरा,</div><div>यूँ बीत जाये जीवन मेरा...</div><div>तेरी पूजा करते बीते साँझ सवेरा</div><div>यूँ बीत जाये जीवन मेरा...</div><div
<div>मेरे गोविन्द</div><div><span style="font-size: 1em;">मैं दिल हूँ </span><br></div><div>मेरी धड़कन आप हो।</div><div>मैं जान हूँ </div><div>मेरी जिंदगी आप हो।</div><div>मैं सागर हूँ
मेरे गोविन्द<div><br></div><div>तेरी खूबसूरती ही तेरी मुस्कान है.. </div><div>तेरी मुस्कान में ही बसी मेरी जान है...</div><div>तेरी इसी मुस्कान पर फिदा मेरे प्राण है </di
<div> <span style="font-size: 1em;">मेरे श्याम</span></div><div> तुम्हारे दर्शन बिना श्याम</div><div><br></div><div> मुझे नही चैन पड़ती है</div><div>
मेरे प्यारे श्याम सुनो...<div>आपके पास आता हूँ</div><div>सांसे भीग जाती है, </div><div>मोहब्बत इतनी मिलती है </div><div>आखें भीग जाती हैं </div><div>तबस्सुम इत्र जैसा है </di
दुनिया का बनकर देख लिया,श्यामा का बनकर देख जरा lराधा नाम में कितनी शक्ति हैइस राह पे चलकर देख जरादुनिया के चक्कर में पड़करजन्म यूंही बरबाद किए,अब शरण में आकर श्यामा कीनाम सुमिर कर देख जरा lराधा नाम मे
*है श्याम हमें ये वर दो, निश दिन तेरा गुण गायें।**हर सांझ सबेरे बाबा, तेरे नाम का दीप जलायें।।**छोटा सा एक मन्दिर हो, घर के आंगण में तेरा,**प्यारी सी एक मूरत हो, जिसमें हो तेरा बसेरा,**परिवार का बच्चा
हमको तेरा सहारातेरे सिवा दयालु कोई नहीं हमारा।।ढूँढा है सारे जग में कोई ना तुझसा पाया,दिल को मिली तसल्ली जब से शरण में आया,मुझ पर कृपा ये रखना छुटे ना दर तुम्हारा।।मैं तो भटक रहा था नही राह दिख रही थी
*करुणा निधान साँवरा, रखता मेरी खबर**हर पल सहारा श्याम का, मैं क्यों करूँ फिकर।।**क्या क्या ये दे रहा मुझे, कैसे बताऊँ मैं,**बिगड़े बनाये काम जो, कितने गिनाऊँ मैं,**जब भी पुकारूँ दौड़ के, आता ये मेरे घर।
*आसरा ऐक तेरा, एक तेरा सहारा**सुनले फरियाद मेरी, आ मुझे दे किनारा**आसरा ऐक तेरा, एक तेरा सहारा**जख्मी जग ने किया है, घाव किसको दिखाऊ**कोई अपना नही है, हाल किसको सुनाऊ**एक तुझपे ही बाबा, जोर चलता
*नन्दलाल प्यारे, यशुदा-दुलारे, नैनों के तारे, करूँ तिहारी मनुहार।**प्रेम-पिपासा लेकर आई, सुघड़ सलोनी छवि मन में समाई।**ना तप जानूँ, ना जप जानूँ, ना पहिचानूँ, केवल आस तिहार।**आशा का बंधन टूट न जाये, लग
नाथ मोहे अबकी बेर उबारोपतित अधम हूँ पर हूँ तिहारोमोहे ना श्याम बिसारोनाथ मोहे .......अवगुण की मैं खान हूँ नाथाहाथ पकर मोहे कीजो सनाथामेरी बिगरी आन सवारोनाथ मोहे........भव बन्धन काटो मेरे मोहनचरणन सेवा
वह दिन मत दिखाना कान्हाकि हमें खुद पर गुरुर हो जाएरखना अपने दिल में इस तरहकि जीवन सफल हो जाए!!जो कृष्ण का दास हो जाता है , वह अपने आराध्य से ऐसे दिन ना दिखाने की कामना करता है जिससे उसमें कभी गुरुर आ
प्रीत का एक मोहक मुस्कान लिखूं, प्रेम की अनमोल सौगात लिखूं,लीलाधारी कृष्ण तुम पर क्या लिखूं..!! बांके बिहारी तेरी सूरत पर लिखूं, नटखट नादानियों की कह
प्राथना कर जोड़ के लीला अपनी छोड़ के आओ न प्रभू सभ अधीर है रहे सारे स
भक्त और भगवान का संबंधएक बार की बात है -एक संत जग्गनाथ पूरी से मथुरा की ओर आ रहे थे, उनके पास बड़े सुंदर ठाकुर जी थे । वे संत उन ठाकुर जी को हमेशा साथ ही लिए रहते थे और बड़े प्रेम से उनक
हे करूणामयी राधे , राधे किशोरी , कृष्ण प्रिया , हम सबकी प्यारी राधा महारानी ,  
मैं कभी किसी का दिल न दुखाऊँ मुझे ऐसी समझ देना कृष्णामैं किसी की भावनायें समझ सकूँ ऐसा दिल देना मेरे गोविन्द मैं किसी का बुरा ना सोचूँ और करूँ ऐसी बुद्धि देना कृष्णा मैं सभी के काम आ स
मेरे *कान्हा* जीतमन्ना पुरी कर दे मेरी,कर दे एक एहसान।जिन्दगी बीते तेरी भक्ति मे,जुबां पर हो बस तेरा नाम ।तेरे चरणो मे बस जगह हो मेरी,ना देना कभी अभिमान।प्राण निकले हँसते हँसतेबस कहते हुए जय श्री राधे
इतनी "ऊँचाई' न देना प्रभु कि,धरती "पराई" लगने लगे.!इनती "खुशियाँ" भी न देना कि"दुःख" पर किसी के हंसी आने लगे.!नहीं चाहिए ऐसी "शक्ति" जिसकानिर्बल" पर प्रयोग करूँ.!नहीं चाहिए ऐसा "भाव" कि,किसी को देख "ज
हे प्रभू अपनी कृपा की छाव मे ले लीजिए कर दूर खोटी बुद्धी सबको नेक नीयत दीजिये करते रहे
रोती आँखें रोने दे श्याम चरण को धोने दे गम आँसू में ढल जाये शायद श्याम पिंघल जाये ये माना हम बच्चे हैं &nbs
*हे जीव.... *हरि बोल, हरि बोल,हरि हरि बोलकेशव माधव गोविन्द बोल॥नाम प्रभु का है सुखकारी,पाप काटेंगे क्षण में भारी।नाम का प्याला अमृत घोलकेशव माधव गोविन्द बोल॥हरि बोल, हरि बोल,हरि हरि बोलकेशव माधव गोविन
*मेरे कान्हा जी.....**मेरा हाथ पकङना.......**जब चारों और अंधेरा हो,**जब दिखता न कहीं सवेरा हो,**जब बोल न मैं कुछ पाऊँ**और मन ही मन घबराऊँ,**तब,मेरा हाथ पकङना......**जब कोई अपना छूट जाये,**जब कोई
मनड़ो म्हारो घबरावे,धीरज भी छुट्यो जावे, दीज्यो सहारो महाने श्यामआँखड़लिया भर भर आवे,जद भी तू देर लगावेनीले चढ़ आज्यो म्हारा श्यामदीज्यो सहारो महाने श्यामथारी किरपा से बाबा जीवन गुजारा जीविपदा जद आवे
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥राधाने श्याम कहा, मीरा ने गिरधर।कृष्णा ने कृष्ण कहा, कुब्जा ने नटवर॥ग्वालो ने तुझको पुकारा गोपाला।मैं तौ कहुँ साँवरिया बाँसुरिया वाला॥घन
बसा ले मुझे अपनी अलकों मेंतो मैं "अलका" बन जाऊँगालगा ले अपने ललाट परमैं "बिंदिया" बन जाऊँगाबसा ले मुझको नैनों मेंमैं "काजल" नाम धराऊँगामुझे पहनोगे कानों मेंमैं "श्रुति" बन जाऊँगामुझे लगा ले अधरों सेतो
ऐसी मधुर मधुर धुनछेड़ रहें हैं जमुना तट पर गिरधारी झूमे गोकुल नगरी सारीकान्हा ऐसी तान सुनाये सुध बुध सबकी हरता जाये झनक रही राधा की पायल पिया मिलन की प्यास जगाये ऐसी मधुर
हे श्याम सुंदर .." तुझे देखकर श्याम हमारा " " मन वश में क्यूँ कर होगा "" तेरी प्रतिमा इतनी सुन्दर " " तु कितना सुन्दर होगा ".......हे मेरे श्याम............." तुझ
बस, इतनी तमन्ना है श्याम तुम्हे देखूँ, घनश्याम तुम्हे देखूँ...शर मुकुट सुहाना हो, माथे तिलक निराला हो गल मोतियन माला हो...श्याम तुम्हे देखूँ, घनश्याम तुम्हे देखूँ...कानो मैं ह
हे कान्हा...मेरी अभिलाषा.मन में है बसी, बस चाह यही, कि नाम तुम्हारा उच्चारा करूँ,...बिठला के तुम्हें मन मंदिर में,मनमोहनी रूप निहारा करूँ....भर के दृग पात्र में प्रेम का
सुनते है तेरी रहमत दिन रात बरसती है एक बूंद जो मिल जाऐ मन की कली खिल जाऐ राधे तेरे चरणो की &n
हे प्रभु अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जानेन पाए यह मन ना जाने क्या क्या कराए क
हे मेरे श्याम सुंदर ........" तुझे देखकर श्याम हमारा " " मन वश में क्यूँ कर होगा "" तेरी प्रतिमा इतनी सुन्दर " " तु कितना सुन्दर होगा ".......हे मेरे श्याम.......
मेरी इच्छा कभी पूर्ण न हो सदैव आपकी ही इच्छा पूर्ण हो क्योंकि... मेरे लिए क्या सही है ये मुझसे बेहतर आप जानते हो..हे मेरे गोविंद...&nb
हे मेरे गोविंद.........जब याद तुम्हारी आती हैजी मेरा भर जाता है,हर पल तुम्हे निहारुँमन को बस यही भाता है,बस्ता है मनमोहनतेरी ही छबि इन नैनों मैं सदादेखकर ही तुझेहृदय को मेरे चैन आता है,मैं पल-पल तुम्ह
ऐसो भाव और ऐसो प्रेम मैं,नाथ कहाँ से पाऊँ,तेरी कृपा मिल जाये प्रभु तो,भव-सागर तर जाऊँ…ऐसी लौ लगा दो मेरे प्रभु जी,बस एक तुझे ही ध्याऊँ,हर पल तेरी बाट निहारूँ मैं,नैनन नीर बहाऊँ…बन भौंरा तेरे चरणकमल का