कुरुकेशरा (2000) के बन थान चली बोलो के गीत मदन पाल द्वारा लिखे गए हैं, यह सुखविंदर सिंह द्वारा रचित है और सुनीधि चौहान और सुखविंदर सिंह ने गाया है।
कुरुक्षेत्र (Kurukshetra )
बन ठन चलि बोलो की लिरिक्स (Lyrics Of Ban Than Chali Bolo )
बन ठन चलि बोलो ऐ जाती रे जाती रे बन ठन चलि बोलो ऐ जाती रे बन ठन चलि बोलो ऐ जाती रे जाती रे बन ठन चलि बोलो ऐ जाती रे
पैरों में तेरे घुँघरू की बिजुरिया छन छन छन छन छनकती रे बन ठन चलि बोलो ऐ जाती रे जाती रे बन ठन चलि बोलो ऐ जाती रे
जो होना है आज हो जाए अरे घुँघरू चाहे टूट ही जाए आंधी आये
यह मन गज़ब की है तेरी जवानी संभल हो न जाए कहीं पानी पानी यह मन गज़ब की है तेरी जवानी संभल हो न जाए कहीं पानी पानी क्यूँ भरता है ाहें ा लड़ा ले न
नशीली नशीली हैं तेरी अदाएं जो देखे वह अपनी डगर भूल जाए नशीली नशीली हैं तेरी अदाएं जो देखे वह अपनी डगर भूल जाए मुझे आज छू कर बना ले मुकद्द