अग्निपथ से गन गन गुना गीत: इस गीत को सुनें जो सुनिधि चौहान और उदित नारायण की शानदार आवाज़ में है। इस गीत का संगीत अजय-अतुल और गन गन गुना गीत द्वारा रचित है अमिताभ भट्टाचार्य द्वारा लिखे गए हैं।
अग्निपथ (Agneepath )
हो म्यूसिओं के चोंगे उतार के फेंक दे न सारे कैंडल ये शाम का फूँक रात का केक काट प्यारे सीखा न तूने यार हमने मगर सिखया रे दमदार नुस्खा यार हमने जो आज़माया रे
गुण गुण गुण रे
हैं सर पे तेरे उलझनो के जो यह टोकरे ल हुमको देदे हलका होजा रे तू छोकरे जो तेरी नींदें अपने नाखून से नोच ले वह दर्द सारे जलते चूल्हे में तू झोंक रे ज़िन्दगी के रा
गुण गुण गुण रे
तू मुंह फुला दे तो यह सूरज भी ढलने लगे अरे तू मुस्कुरा दे चाँद का बल्ब जलने लगे तू चुप रहे तो मानो बेहरी लगे ज़िन्दगी तू बोल दे तो परदे कानों के खुलने लगे एक बन
गुण गुण गुण रे
बिंदास होके हर गम को यार खूँटी पे टांग दूंगा थोड़ा उधर इत्मिनान मैं तुमसे ही मांग लूंगा है सीखा है मैंने यार जो तुमने सिखाया रे दमदार नुस्खा यार मैंने भी आजमाया
गुण गुण गुण रे