इश्क मिलान की रावत से इश्क दा रोग लागा गीत: आनंद और मिलिंद द्वारा अच्छी तरह से तैयार संगीत के साथ अनुराधा पादुवाल द्वारा यह एक बहुत अच्छा गायन गीत है। इश्क दा रोग लागा के गीत खूबसूरती से समीर द्वारा लिखे गए हैं।
आई मिलन की रात (Aayi Milan Ki Raat )
तू इसकी जान बचा ले रब्बा इश्क दा रोग लगा
कभी हो दर्द यहाँ ओए होए कभी हो दर्द वहां ओए होए क्ष (२)
जवानी कैसी पीर बेदर्दी दर्द हो यहाँ वहाँ
कभी ऐसा भी हो जायेगा कोई इतना मुझे तड़पाएगा
नहीं था मुझको पता ओए होए करूँ क्या तू ही बता ओए होए नहीं था मुझको पता ओए होए करूँ क्या तू ही बता ओए होए मैं बन गयी उसकी प्रेम दीवानी करूँ क्या तुहि बता
इश्क दा रोग लगा ओए होए जोबन को जोग लगा ओए होए तू इसकी जान बचा ले रब्बा इश्क दा रोग लगा
मुझे कुछ न किसी से कहना था सच कहती हूँ चुप रहना था की कंगना बोल गया भेद सब खोल गया यह कंगना बोल गया भेद सब खोल गया छुपाया लाख मगर हरजाई कंगना बोल
इश्क दा रोग लगा ओए होए जोबन को जोग लगा ओए होए तू इसकी जान बचा ले रब्बा इश्क दा रोग लगा
हो सखि पूछ ज़रा क्या बात हुई कब कैसे कहाँ मुलाकात हुई मैं अंगना बीच कड़ी ओए होए किसी से आँख लड़ी ओए होए मैं अंगना बीच कड़ी ओए होए किसी से आँख लड़ी ोये