फिल्म औरंगजेब की बारबाडी गीत के मोहन द्वारा गाया जाता है, इसका संगीत अमर्त्य रहात द्वारा रचित है और गीत पुनीत शर्मा द्वारा लिखे गए हैं।
औरंगज़ेब (Aurangzeb )
देखो सारे धागे टूट इन जागी रातों में बर्बादी मीठी सी लगे यह आज़ादी बर्बादी मीठी सी लागे ये आज़ादी बर्बादी आसमान मिले तो मीठी सी लगे बर्बादी
कभी कभी जो तुझको छू लूं चुभती है तू कभी तू जो मुझको छीले नीला नीला सा कर दे जागे होठों पे हैं बातें बागी चुप है ज़िन्दगी मुझे खोल दे
ज़रा ज़रा सा तुझमें जी के मरता हूँ मैं तेरी शाखों पर हैं मेरे सूखे सूखे से सपने टूटे हैं आँखों से प्यासे होकर छूने को यह ज़मीन उन्हें जाने दो