भोस के शेर मीन गीत ऑफ़ गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012): यह जयदीप अहलावत, तिग्मांशु धुलीया, मनोज बाजपेई और पियुष मिश्रा अभिनीत गैंग्स ऑफ वासेपुर से एक प्यारा गीत है। यह मनीष जे टीपू और भूपेश सिंह द्वारा गाया जाता है और स्नेहा खानवालाकर द्वारा रचित किया जाता है।
गैंग्स ऑफ़ वासेपुर (Gangs Of Wasseypur )
भूस के ढेर में की लिरिक्स (Lyrics Of Bhoos Ke Dher Mein )
भूस भूस के ढेर में राई का दाना रंग बिरंगा बैल सायना
भूस के ढेर में राई का दाना रंग बिरंगा बैल सायना
भूस के ढेर में राई का दाना रंग बिरंगा बैल सायना
अरे भूस के ढेर में राई का दाना रंग बिरंगा बैल सायना
भूस के ढेर में राई का दाना रंग बिरंगा बैल सायना
दूजे पहर में टूट-ता तारा पानी पे तैरता फिरता पारा
न मिलिहें न मिलिहें न मिलिहें न न मिलिहें न मिलिहें न मिलिहें न न मिलिहें न मिलिहें न मिलिहें न न मिलिहें न मिलिहें न मिलिहें न
न सोच न खोज उड जइहें जग है टॉप न सोच न खोज उड जइहें जग है टॉप
न सोच न खोज उड जइहें जग है टॉप न सोच न खोज उड जइहें जग है टॉप
अरे टॉप टॉप टॉप टॉप उड़ जइहें जग है टॉप
टॉप टॉप टॉप टॉप उड़ जइहें जग है टॉप
अरे कोहरा सब राख हाथ ताने
न मिलिहें न मिलिहें न मिलिहें न न मिलिहें न मिलिहें न मिलिहें न न मिलिहें न मिलिहें न मिलिहें न न मिलिहें न मिलिहें न मिलिहें न
बतियाती हाथों की लकीरें महल दुवारे
घात लगा ले रात जगा ले सूरज का सब घोडा भगा ले वह वह घात लगा ले रात जगा ले सूरज का सब घोडा भगा ले धर ले चाहे भूत की धोती प् ले अश्वथामा का मोती
पानी में पानी में
बतियाती हाथों की लकीर महल दुवारे
भरी दुपहरी नाचे मयूर नाचे रे
बतियाती हाथों की लकीर महल दुवारे
भरी दुपहरी नाचे मयूर यम से चतुर है
न मिलिहें न मिलिहें न मिलिहें न क्ष (१२)