Darr @ द मॉल से Chaahatein गीत शंकर एहसान लॉय की एक अद्भुत रचना है। अमिताभ भट्टाचार्य ने अपने गीत लिखे हैं और शर्मिस्त चटर्जी ने इसे गाया है।
डर @ थे मॉल (Darr @ The Mall )
चाहतें की लिरिक्स (Lyrics Of Chaahatein )
चाहतें... चाहतें कैसी सुलगते खवाबों जैसी चाहतें कैसी...
चाहतें कैसी जलते अँधेरों जैसी बरसों से आहें मेरी तुझको भुलाये न.. आँसु को थामे हुए कोरे नैना
तेरे बिना पलकों पे यह सुबह कभी आए न बिन बादल बद्र जैसे घिरे पर गिरे न..
राहों को ताके नज़रें रात कभी डूबे न यादों में लिपटी साँसें रुके पर टूटे न भीगा मन भाये न चैन मुझे आये न छू लो अंधेरों को तुम गैल तो लगाओ न सुना सो
जिस्मों से रूह की यह डोर कभी छूटे न दिलों के यह खालीपन में बिखरे पल खुले न इंतज़ार ख़त्म न हो साबरा कभी टूटे न जन्नतें जहन्नुम हो गयीं रहनुमा मिले भी न
जिया भी यूं जाए न चैन मुझे आये न भटकूं मैं चाहे जितना कहीं छोर पाऊँ न थम जाए साँसें मेरी मौत कभी आए न कैसी मेरी तन्हाई खोने दे न