Dekh Sakta Hoon Lyrics of Majboor (1974) is penned by Anand Bakshi, it is composed by Laxmikant and Pyarelal and sung by Lata Mangeshkar and Kishore Kumar.
मजबूर (Majboor )
देख सकता हूँ (Dekh Sakta Hoon ) की लिरिक्स (Lyrics Of Dekh Sakta Hoon )
देखा फूलों को काँटों पे सोते हुए देखा तूफ़ान को क्षति डुबोते हुए
देख सकता हूँ मैं कुछ भी होते हुए नहीं मैं नहीं देख सकता तुझे रोते हुए नहीं मैं नहीं देख सकता तुझे रोते हुए
देख सकता हूँ मैं कुछ भी होते हुए देख सकता हूँ मैं कुछ भी होते हुए नहीं मैं नहीं देख सकता तुझे रोते हुए नहीं मैं नहीं देख सकता तुझे रोते हुए
एक दिन बिगड़ी किस्मत संवर जायेगी यह खुशी हमसे बचकर किधर जायेगी ग़म न कर ज़िन्दगी यूँ गुज़र जायेगी रात जैसे गुज़र गयी सोते हुए नहीं मैं नहीं देख सकता तुझे
तू भी सुन ले जो मैंने सुना एक दिन तू भी सुन ले जो मैंने सुना एक दिन बाग में सैर को मैं गया एक दिन एक मालन ने मुझसे कहा एक दिन खेल काटों से कलियां पिरोते हुए नहीं माँ
आँख भर आयी फिर क्यों किसी बात पर आँख भर आयी फिर क्यों किसी बात पर कर भरोसा बहिन भाई की बात पर बाँध रोकर न राखि मेरे हाथ पर मुस्कुरा दे ज़रा यूँ ही रेत
देख सकता हूँ मैं कुछ भी होते हुए देख सकता हूँ मैं कुछ भी होते हुए नहीं मैं नहीं देख सकता तुझे रोते हुए नहीं मैं नहीं देख सकता तुझे रोते हुए