दोवती ना राहे कोई गीत (1 9 7 9) के गीत: यह धर्मेंद्र, रेखा, विनोद मेहरा और उत्पल दत्त अभिनीत करवत्य का एक सुंदर गीत है। यह लता मंगेशकर द्वारा गाया जाता है और लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल द्वारा रचित है।
कर्त्तव्य (Kartavya )
दूरी न रहे कोई की लिरिक्स (Lyrics Of Doori Na Rahe Koi )
दूरी
साँसों की हरारत से तन्हाई पिघल जाए जलते हुए होंठों का अरमान निकल जाए साँसों की हरारत से तन्हाई पिघल जाए जलते हुए होंठों का अरमान निकल जाए अरमान निकल
यह बात न थी अब से पहले कभी जीने में यह बात न थी अब से पहले कभी जीने में दिल बनके धड़कते हो तुम ही मेरे सीने में कभी साथ न छोडोगे तुम मेरी कसम खाओ म
दूरी न रहे कोई आज इतने करीब आओ मैं तुम में समां जाऊं तुम मुझ में समा जाओ मैं तुम में समां जाऊं तुम मुझ में समा जाओ