बाघी (1 99 0) के हर कसम से बडी है गीत समीर द्वारा लिखे गए हैं, यह आनंद और मिलिंद द्वारा रचित है और कविता कृष्णमूर्ति और अभिजीत द्वारा गाया गया है।
बाघी (Baaghi )
हर कसम से बड़ी है कसम प्यार की मर के भी इस कसम को न तोड़ेंगे हम छोड़ देंगे ज़माने की सारी ख़ुशी छोड़ देंगे ज़माने की सारी ख़ुशी साथ तेरा कभी भी न छोड़ेंगे हु
साँसों में है सरगम तेरी धड़कन में तेरे नग़मे सनम साँसों में है सरगम तेरी धड़कन में तेरे नग़मे सनम यह ज़िन्दगी कुछ भी नहीं तेरे लिए फिर लेंगे जनम दिल क
आँखें मिलीं