जबु जब अपना मेल हुआ माहुआ (1 9 6 9) का गीत कमर जलालाबाद द्वारा लिखा गया है, यह सोनिक ओमी द्वारा रचित है और मोहम्मद रफी और सुलाक्षना पंडित द्वारा गाया गया है।
महुआ (Mahua )
जब जब अपना मेल हुआ (Jab Jab Apna Mel Hua ) की लिरिक्स (Lyrics Of Jab Jab Apna Mel Hua )
जब जब अपना मेल हुआ तो दिल यह ही पुकारा जब जब अपना मेल हुआ तो दिल यह ही पुकारा जनम जनम तक टूट सके न कभी साथ हमारा जब जब अपना मेल हुआ तो दिल यह ही पुकारा
तेरे ग़म को गले लगा के हो अपनी खुशियाँ मैं तुझपे लुटा दूँ गर थोड़ा सा तू मुस्कुरा दे हो तो वीराने में कलियाँ खिला दूं हो शर्माता है कलियों को भी यह बैरी रूप तू
छेड़ के अपने प्यार का नगमा हो तेरे दिल में तराने जगा दूँ तेरी आँख के आँसू ले के हो नए चाँद-सितारे बना दूँ हो नीले गगन पर दीप जले हैं ज़रा देखो नज़ारा जब
लाख जनम के अरमानों का हो कोई रंगीन फ़साना बना दूँ लेकर आग तेरे गालों की हो गोर गोर कँवल मैं खिला दूं हो दिल कहता है आज मिलेगा नदिया से किनारा जब जब अपना मेल