कहिन दरवाजा जब दीन धाल जाये गीत आनंद (1 9 70): यह राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, सीमा देव और सुमित्रा सान्याल अभिनीत आनंद से एक सुंदर गीत है। यह मुकेश द्वारा गाया जाता है और सलील चौधरी द्वारा रचित किया जाता है।
आनंद (Anand )
मेरे ख्यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाये
कभी यूं ही जब हुयीं बोझल साँसें भर आयीं बैठे-बैठे जब यूँ ही आँखें कभी यूं ही जब हुयीं बोझल साँसें भर आयीं बैठे-बैठे जब यूँ ही आँखें तभी म
कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते कहीं से निकल आयें जन्मों के नाते कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते कहीं से निकल आयें जन्मों के नाते ठानी थी उलझन
दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे खो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे खो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे यह मेरे सपने
कहीं दूर जब दिन ढल जाए सांझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये