फिल्म सावन को आने दो की गीत काज की बाती गीत सुलक्षाना पंडित और यसुदास द्वारा गाया जाता है, इसका संगीत राजकाल द्वारा रचित है और गीत माया गोविंद द्वारा लिखे गए हैं।
सावन को आने दो (Sawan Ko Aane Do )
कजरे की बाटी (Kajre Ki Baati ) की लिरिक्स (Lyrics Of Kajre Ki Baati )
साजन यह मत जानियो तुम बिछुरे मोहे चैन जैसे बान की लाकड़ी सुलगत हूं दिन रैन
कजरे की बाटी अँसुअन के तेल में ाली मैं हार गयी अँखियाँ के खेल में कजरे की बाटी अँसुअन के तेल में ाली मैं हार गयी अँखियाँ के खेल में कजरे की बाटी
चंचल से नैनों में काजल को ांज कर बिखरी इन अलकों में रजनी को बाँध कर सिन्दूरी आँचल में तारों को टाँक कर अधरों के प्यालों में चुम्बन को ढाल कर अलका कर स
तन की सुराही में यौवन की हाला चिवँ में मदहोशी अंगों में ज्वाला छल छल छल छलके ज्यूँ मद्र का प्याला गोरी तू लागे है पूरी मधुशाला नशा ही नशा है इस ान