Kandhon Se Milte Hain Kandhe Lyrics from Lakshya: This is a very well sung song by Shankar Mahadevan, Sonu Nigam, Hariharan, Vijay Prakash, Kunal Ganjawala and Roop Kumar Rathod with nicely composed music by Shankar Ehsaan Loy. Lyrics of Kandhon Se Milte Hain Kandhe are beautifully penned by Javed Akhtar.
लक्ष्य (Lakshya )
कन्धों से मिलते हैं कंधे की लिरिक्स (Lyrics Of Kandhon Se Milte Hain Kandhe )
कन्धों से मिलते हैं कंधे क़दमों से कदम मिलते हैं हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं क्ष (२)
अब तो हमें आगे बढ़ते है रेहना अब तो हमें साथी है बस इतना ही कहना क्ष (२)
अब जो भी हो शोला बनके पत्थर है पिघलना अब जो भी हो बादल बनके पर्बत पर है चना
कन्धों से मिलते हैं कंधे क़दमों से कदम मिलते हैं हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं क्ष (२)
निकले हैं मैदान में हम जान हथेली पर लेकर अब देखो दम लेंगे हम जाके अपनी मंज़िल पर
खतरों से हस्स के खेलने इतनी तो हम में हिम्मत है मोडें कलाई मौत की इतनी तो हम में ताकत है हम सरहदों के वास्ते लोहे की एक दीवार हैं हम दुश्मनो के वास्ते होशियार
अब जो भी हो शोला बनके पत्थर है पिघलना अब जो भी हो बादल बनके पर्बत पर है चना कन्धों से मिलते हैं कंधे क़दमों से कदम मिलते हैं हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल
जोश दिल में जगाते चलो जीत के गीत गाते चलो क्ष (२)
जीत की जो तस्वीर बनाने हम निकले हैं अपने लहू से हमको उसमें रंग भरना है साथी मैंने अपने दिल में अब यह ठान लिया है या तो अब करना है
चाहे अंगहरे बरसें के बिजली गिरे तू अकेला नहीं होगा यारा मेरे कोई मुश्किल हो या हो कोई मोर्चा साथ हर मोड़ पर होंगे साथी तेरे
अब जो भी हो शोला बनके पत्थर है पिघलना अब जो भी हो बादल बनके पर्बत पर है चना कन्धों से मिलते हैं कंधे क़दमों से कदम मिलते हैं हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल
एक चेहरा अक्सर मुझे याद आता है इस दिल को चुपके-चुपके वह तड़पता है जब घर से कोई भी खत आया है काग़ज़ को मैंने भीगा भीगा पाया है हो पलकों पे यादो के कुछ
अब जो भी हो शोला बनके पत्थर है पिघलना अब जो भी हो बादल बनके पर्बत पर है चना कन्धों से मिलते हैं कंधे क़दमों से कदम मिलते हैं हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल
चलता है जो यह कारवां गुंजी सी हैं यह वादियां हैं यह ज़मीन
कन्धों से मिलते हैं कंधे क़दमों से कदम मिलते हैं हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं क्ष (४)