वीर (2010) के कान्हा (थुमरी) गीत गुलजार द्वारा लिखे गए हैं, यह साजिद-वाजिद द्वारा रचित है और रेखा भारद्वाज, शदाब सबरी, शरीब और तोची रैना द्वारा गाया गया है।
वीर (Veer )
कान्हा (ठुमरी) (Kanha (Thumri) ) सांगकी लिरिक्स (Lyrics Of Kanha (Thumri) )
पवन उड़ावे बतियाँ
कान्हा... बैरन हुई बांसुरी हो कान्हा... तेरे अधर क्यूँ लगी अंग से लगें तो बोल सुना गए भाये न मोह लगे कंहा दिन तो कटा
पवन उड़ावे बतियाँ
रोको कोई रोको दिन का डोला रोको कोई डूबे कोई तोह बचावे रे माथे लिखे महारे
कान्हा... तेरे ही रंग में रंगी हो कान्हा... सांझ की छब साँवरी साँझ समय जब साँझ लिपटावे लज्जा करें बाँवरी कुछ न कहे अपने आप से आपि करें बतियाँ
गिण के राह ये हे… ले गया सूरज