Khamakha Lyrics of Matru Ki Bijlee Ka Mandola (2013) is penned by Gulzar, it's composed by Vishal Bhardwaj and sung by Vishal Bhardwaj and Prem Dehati.
मटरू की बिजली का मंडोला (Matru Ki Bijlee Ka Mandola )
खामखा (Khamakha ) की लिरिक्स (Lyrics Of Khamakha )
हलकी हलकी आहें भरना तकिये में सर दे के धीमे धीमे सरगोशी में बातें करना पागलपन है ऐसे तुम पे मरना उबला उबला क्यों लगता है यह बदन
ये खलिश जो है वह खामखा नहीं हाँ तपिश तो है पर खामखा नहीं क्ष (२)
जो नहीं किया
साड़ी साड़ी रात का जागना खिड़की पे सर रख के रोते रहना उम्मीदों का जलना बुझना पागलपन है ऐसे तुम पे मरना खाली खाली दो आँखों में यह नमक
फिक्र रहती है जो खामखा नहीं ज़िक्र रहता है जो खामखा नहीं अश्क आँखों में भर के देखने आइना कभी दर के देखना यह बेवजह
सदा भवानी ताहि जय हो प्यारा गौरी पुत्र गणेश पांच देव रक्षा करें हो प्यारा ब्रह्मा विष्णु महेश
कसम यो देश मेरा से हरया भार्या हरयाणा सीधे साधे लोग अड़े के दूध दही का खाना बोलो राम राम राम राम राम राम राम - ३