खटा टू जब हो दिल का काय कसूर (1 99 2) के गीत अनवर सागर द्वारा लिखे गए हैं, यह नादेम श्रवण द्वारा रचित है और अल्का याज्ञिक और कुमार सानू द्वारा गाया गया है।
दिल का क्या कसूर (Dil Ka Kya Kasoor )
खता तो जब हो की लिरिक्स (Lyrics Of Khata To Jab Ho )
खता तो जब हो के हम हाल-इ-दिल किसी से कहें
खता तो जब हो के हम हाल-इ-दिल किसी से कहें खता तो जब हो के हम हाल-इ-दिल किसी से कहें किसी को चाहते रहना कोई खता तो नहीं किसी को चाहते रहना कोई खता तो नहीं
खता तो जब हो के हम हाल-इ-दिल किसी से कहें किसी को चाहते रहना कोई खता तो नहीं किसी को चाहते रहना कोई खता तो नहीं
अमीर तू है अमीर तू हैं तो इतना ज़रा बता दे मुझे गरीब मै हूँ मगर यह मेरी खता हो नहीं गरीब मै हूँ मगर यह मेरी खता हो नहीं किसी को चाहते रहना कोई खता तो
तुझे भी प्यार है तुझे भी प्यार है मुझसे मैं जानती हूँ सनम यह बात और है मुझसे कभी कहा तो नहीं यह बात और है मुझसे कभी कहा तो नहीं किसी को चाहते रहना कोई
हर एक पल मैं हर एक पल मैं तुझे याद किया करता हूँ तुझे भुला के मैं पल भर कभी जिया तो नहीं तुझे भुला के मैं पल भर कभी जिया तो नहीं किसी को चाहते रहना कोय
खता तो जब हो के हम हाल-इ-दिल किसी से कहें किसी को चाहते रहना कोई खता तो नहीं
किसी को चाहते रहना कोई खता तो नहीं क्ष (३)