बैराग (1 9 76) के मुख्य बैरागी नाचून गून गीत आनंद बक्षी द्वारा लिखे गए हैं, यह कल्याणजी और आनंदजी द्वारा रचित है और मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर द्वारा गाया गया है।
बैराग (Bairaag )
अरे सुनो रे सुनो एक बात सुनाऊँ अरे सुनो रे सुनो एक बात सुनाऊँ झूठ है या सच है यह तुम जानो झूठ है या सच है यह तुम जानो मैं बैरागन
ओ देखो इन बेदर्दों को छोड़ के लाज के पर्दों को देखो हम बेदर्दों को छोड़ के लाज के पर्दों को गली-गली में औरतें छेड़ती फिरती हैं हम मर्दों को आपने सच फरमाया है
हो लिखने वाला लिखता है इक ऐसा चश्मा बिकता है लिखने वाला लिखता है इक ऐसा चश्मा बिकता है जिस चश्मे के अंदर से भाई अंधों को भी दीखता है अंधों को भी दीखता है
हो रात को जब दिन ढलता है प्रेम का जादू चलता है रात को जब दिन ढलता है प्रेम का जादू चलता है तू बैरागी क्या जाने काहे को पतन्गा जलता है काहे को पतन्गा जलता ह