मोरी अटारीया पे कागा बोले अंकन के गीत (1 9 50): यह नलिनी जयवंत, यशोधरा काटजू, कोकू और भारत भूषण अभिनीत अंकन से एक प्यारा गीत है। यह मीना कपूर द्वारा गाया जाता है और मदन मोहन द्वारा रचित है
ऑंखें (Ankhen )
मोरे मन में उठी है उमन्ग रे हो मोरा फड़के है बायां अंग रे मोरे मन में उठी है उमन्ग रे हो मोरा फड़के है बायां अंग रे मोरे मन की मुरलिया पे हौले-हौले सुर खोले-खो
आज बगिया में आई बहार रे हो मेरे जीवन में सोलह सिंगार रे हो मेरे जीवन में सोलह सिंगार रे मोरे कान में गन-गन बोले-बोले रस घोले-घोले कोई गा रहा है मोरी अटरिया
मोरे माथे पे कुमकुम की बिंदिया आज लूंगी न पल भर में निंदिया मोरे माथे पे कुमकुम की बिंदिया आज लूंगी न पल भर में निंदिया ठंडी! ठंडी हवाओं के झोले घूंघट