राम गोपाल वर्मा की एक्शन-अपराध फिल्म सत्य 2 से पाल्कन से गीत 2. ऋषि सिंह और श्वेता पंडित ने इस खूबसूरत रोमांटिक गीत को गाया है। पाल्कन से चंद काट के गीत मोइद इलाहाम द्वारा योगदान दिया जाता है और संगीत नितिन रायकर से है।
सत्य २ (Satya 2 )
पलकों से (Palkon Se ) सांग बय ऋषि सिंहकी लिरिक्स (Lyrics Of Palkon Se )
पलकों से
ये जो मैं कहती हूँ वो मैं न कहती हूँ जाने ये क्या हो गया..
पलकों से चाँद काट के पहरों में रात कहता हूँ.. दिल उछल के रुकता है.. मैं लपक के थाम लेता हूँ
ये जो मैं कहता हूँ वो मैं न कहता हूँ जाने ये क्या हो गया..
पलकों से चाँद काट के पहरों में रात कहता हूँ..
ए.. हे..
हाँ.. बादलों को नोच के तेरा अक्स बुनती रहती हूँ पानियों के हाथों पे तेरा नाम चुनती रहती हूँ
ो.. ो.. ो.. बादलों को नोच के तेरा अक्स बूंटी रहता हूँ पानियों के हाथों पे तेरा नाम चुनती रहता हूँ
छाप तेरे पैरों की नज़रों पे उकेरना ज़ुल्फ़ों की इममिलत उँगलियों से पूर्ण
ये जो मैं कहती हूँ वो मैं न कहती हूँ जाने ये क्या हो गया..
पलकों से चाँद काट के पहरों में रात कहती हूँ..
हाँ.. दिन उत्तर के आँखों से मेरा रेट पे टिक्क जाता है तू फिसल के बाहों से जो... नज़र न आता है
ो.. दिन उत्तर के आँखों से मेरा रेट पे टिक्क जाता है तू फिसल के बाहों से मेरी जो... नज़र न आता है
साँसों पे रुके-रुके ऐतबार रखती हूँ [क्या..] खिडकियों पे बाँध के तेरा इंतज़ार रखती हूँ
आहट पे मुड़ता हूँ धड़कन से जुड़ता हूं जाने ये क्या हो गया
पलकों से.. चाँद काट के पहरों में.. रात कहता हूँ.. दिल उछल के रुकता है.. मैं लपक के.. थाम लेता हूँ
ये जो मैं कहता हूँ वो मैं न कहती हूँ जाने ये क्या हो गया..
पलकों से चाँद काट के पहरों में रात कहता हूँ.. दिल उछल के रुकता है.. मैं लपक के थाम लेता हूँ