रास के भरे तोरे नैन सावन्वरिया सत्याग्रह से गीत। इस शास्त्रीय गीत को अर्फिता चक्रवर्ती के पृष्ठभूमि स्वरों के साथ शाफकत अमानत अली द्वारा गाया जाता है। इस गीत का संगीत परम है। गीत रस के भरे तोरे नैन प्रसाद जोशी द्वारा लिखे गए हैं।
सत्याग्रह (Satyagraha )
रस के भरे तोरे नैन सांवरिए (Ras Ke Bhare Tore Nain Saanwaria ) की लिरिक्स (Lyrics Of Ras Ke Bhare Tore Nain Saanwaria )
सांवरिए.. सांवरिए.. सांवरिए..
रस के भरे तोरे नैन सांवरिए रस के भरे तोरे नैन रस के भरे तोरे नैन सांवरिए रस के भरे तोरे नैन
तड़पत हूँ दिन रेन सांवरिए तड़पत हूं दिन रैन तड़पत हूँ दिन रेन सांवरिए.. तड़पत हूं दिन रैन बिन देखे नहीं चैन सांवरिए.. बिन देखे नहीं चैन ो... रस के भरे टी
तिरकिट ढ ढ ढ... तिरकिट ध
दर्द जिया का का से कहूँ मैं दर्द जिया का का से कहूँ मैं तीस मैं कैसे बोलूं पिया बिना मैं जोगण जोगन पिया बिना मैं जोगण जोगन बन के बांवरिया डोलूँ और न कर बेच
आ.... आ... आ...
तोहरे खातिर सेज सजाई तोहरे खातिर सेज सजाई खुशबु फुलवा फुलवा.. अंग अंग मोरे गंध तिहारी बहियाँ झूला झुलवा
तोहरे खातिर सेज सजाई खुशबु फुलवा फुलवा.. अंग अंग मोरे गंध तिहारी.. अंग अंग मोरे गंध तिहारी बहियाँ झूला झुलवा हुई सुहागन रेन सांवरिए.. हुई सुहागन रेन ो...
रस के भरे तोरे नैन सांवरिए... सांवरिए...