लता मंगेशकर द्वारा रिम झिम गियर सावन फिल्म मंजिल (1 9 7 9) से हैं। इस दुखद गीत का संगीत आरडी बर्मन द्वारा रचित है और गीत योगेश द्वारा लिखे गए हैं
मंज़िल (Manzil )
रिम झिम गिरे सावन (Rim Jhim Gire Sawan ) लता मंगेशकरकी लिरिक्स (Lyrics Of Rim Jhim Gire Sawan )
रिम झिम गिरे सावन सुलग सुलग जाए मन भीगे आज इस मौसम में लगी कैसी यह ागन..
रिम झिम गिरे सावन सुलग सुलग जाए मन भीगे आज इस मौसम में लगी कैसी यह ागन ला ला ला ला ला ला ला..
पहले भी यूँ तो बरसे थे बादल पहले भी यूँ तो भीगा था आँचल ला ला ला.. ला ला ला ला.. ला ला ला..
पहले भी यूँ तो बरसे थे बादल पहले भी यूँ तो भीगा था आँचल अब के क्यूँ साजन सुलग सुलग जाए मन भीगे आज इस मौसम में लगी कैसी यह ागन ला ला ला ला ला ला ला..
इस बार सावन देहका हुआ है इस बार मौसम बहका हुआ है ला ला ला.. ला ला ला ला.. ला ला ला..
इस बार सावन देहका हुआ है इस बार मौसम बहका हुआ है.. जाने पी के चलि क्या पवन सुलग सुलग जाए मन भीगे आज इस मौसम में लगी कैसी यह ागन
रिम झिम गिरे सावन सुलग सुलग जाए मन भीगे आज इस मौसम में लगी कैसी यह ागन.. रिम झिम गिरे सावन ला ला ला ला ला ला ला.. रिम झिम गिरे सावन