बहू बेटी (1 9 65) के सब मी शमी हो मगर गीत: यह जॉय मुखर्जी, माला सिन्हा, अशोक कुमार और मेहमूद अभिनीत बहू बेटी का एक प्यारा गीत है। इसे मोहम्मद रफी द्वारा गाया जाता है और रवि द्वारा रचित किया जाता है।
बहु बेटी (Bahu Beti )
आँख उठती है न झुकती है किसी की खातिर आँख उठती है न झुकती है किसी की खातिर साँस चढ़ती है न रूकती है किसी की खातिर जो किसी दर पे न ठहरे वह हवा लगती हो
ज़ुल्फ़ लेहरायए तो आँचल में छुपा लेती हो ज़ुल्फ़ लेहरायए तो आँचल में छुपा लेती हो होंठ थर्राये तो दांतों में दबा लेती हो जो कभी खुल के न बरसे वह घाटा लगती हो सिर्फ
जाएगी-जागी नज़र आती हो न सोई-सोई जाएगी-जागी नज़र आती हो न सोई-सोई तुम जो हो अपने ख़यालात में खोयी-खोयी किसी मायूस मुसव्वविर की दुआ लगती हो सिर्फ हमसे नहीं खुद स