बदसूरत से सूरज है कहान गीत के गीत संगीतकार जीवी प्रकाश कुमार की एक अद्भुत रचना है। सूरज है कहान गीत पढ़ें जो गौरव सोलंकी द्वारा अच्छी तरह से लिखे गए हैं।
अग्ली (Ugly )
सूरज है कहाँ (Sooraj Hai Kahaan ) : ग. व्. प्रकाश कुमारकी लिरिक्स (Lyrics Of Sooraj Hai Kahaan )
सूरज है कहाँ
यह मेरी बन्दूक देखो यह मेरा सन्दूक है घास जंगल
तेरी मिट्टी से मेरी मिटटी तक आ रही है धुप साड़ी रैनों से रंग से तेरे रिवाज़ों से तेरी बोली से
मेरा चंदा तरीका
मैं बताऊँगा तुझे तू जीन्स पहने है कितनी तंग कौन सी बिल्डिंग में तू रह सकती है कब किसके संग रात के कितने बजे कैसे चले किस से मिले कब पलट कर मार दे कब चुप
हमने उनको खूब धोया जो रुई से लोग थे बन गए उनके गुब्बारे जो सूली से लोग थे जिसकी चादर हमसे छोटी उसकी चादर छीन ली जिस भी छत पे चढ़ गए हम उसकी सीढ़ी टी
पर रही थी एक बच्ची सड़क पर भीड़ थी सबका न तू डर था ज़रूरी सबने मरती छोड़ दी