फिल्म अपनपन से आम मुसाफिर है गीत। इस सुंदर गीत के गीत आदम मुसाफिर है, आनंद बक्षी द्वारा अच्छी तरह से लिखे गए हैं जबकि लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल का संगीत बहुत अच्छा है।
अपनापन (Apnapan )
झोंका हवा का पानी का रेला झोंका हवा का पानी का रेला मेले में रह जाए जो अकेला मेले में रह जाए जो अकेला फिर वह अकेला ही रह जाता है आदमी मुसाफ़िर है
कब छोड़ता है यह रोग जी को कब छोड़ता है यह रोग जी को दिल भूल जाता है जब किसी को दिल भूल जाता है जब किसी को वह भूल कर भी याद आता है आदमी मुसाफ़िर है क्ष २
क्या साथ लाये
जब डोलती है जीवन की नैया जब डोलती है जीवन की नैया कोई तो बन जाता है खिवैया कोई तो बन जाता है खिवैया कोई किनारे पे ही डूब जाता है आदमी मुसाफ़िर है