मद्रास कैफे से जैस माइल अजनाबी गीत गीतकार अली हाया ने लिखा है। यह धीमा रोमांटिक गीत ज़ेब द्वारा गाया जाता है जिसने अच्छी नौकरी की है। जैस माइलिन अजनाबी संगीतकार शांतनु मोइत्र की एक अद्भुत रचना है।
मद्रास कैफ़े (Madras Cafe )
जैसे मिले अजनबी (Jaise Mile Ajnabee ) सांग की लिरिक्स (Lyrics Of Jaise Mile Ajnabee )
तारा त तारा.. तारा त तारा.. तारा त तारा रा रा.. तारा ता रा..
जैसे मिले अजनबी है मेरी दुआ के जब हम मिलें तू देखे मुझे मेरे दोस्त एक बार यूँ ही जैसे मिले अजनबी
हम फिर से चलें तू फिर से हांसे मैं फिर से उडून ाऊँ नयी खुशी जैसे मिले अजनबी
तो क्या हुआ गर फ़ासले दरमियान अब बढ़ गए इसका क्या ग़म.. थाम लूँ पीछे से गर मैं तुझे तू मुद के मिले फिर एक हों हम
तारा त तारा.. तारा त तारा.. तारा त तारा रा रा.. तारा ता रा.. जैसे मिले अजनबी
जाने क्यों जुदा रास्ते हुए.. जाने कब मिले हम तुम थे सूरज के साहिल से किरणों की नाव पे निकली थी मैं ढूँढ़ने खो गयी अब तो मिलो अजनबी
तारा त तारा.. तारा त तारा.. तारा त तारा रा रा.. तारा ता रा.. जैसे मिले अजनबी
देखो तो चली है हवा नयी दिल में थे जो लो वह दिया कहीं ख़्वाबों के जंगल में पेड़ों की शाखें से पत्ते समेटे मैं हूँ कड़ी अब तो मिलो अजनबी
है मेरी दुआ के जब हम मिलें तू देखे मुझे मेरे दोस्त एक बार यूँ ही जैसे मिले अजनबी
हम फिर से चलें तू फिर से हांसे मैं फिर से उडून ाऊँ नयी खुशी जैसे मिले अजनबी
जैसे मिले अजनबी
जैसे मिले अजनबी