रंग दे बसंती से लुका चुपपी गीत: यह लता मंगेशकर और एआर रहमान द्वारा एआर रहमान द्वारा अच्छी तरह से तैयार संगीत के साथ एक बहुत अच्छा गाया गया गीत है। लुका चुप्पी के गीत खूबसूरती से जावेद अख्तर द्वारा लिखे गए हैं।
रंग दे बसंती (Rang De Basanti )
लुका चुप्पी (Luka Chuppi ) (२००६)की लिरिक्स (Lyrics Of Luka Chuppi )
लुका चुप्पी बहुत हुई सामने आ जा न.. कहाँ कहाँ ढूँढा तुझे थक गई है अब तेरी माँ आजा साँझ हुई मुझे तेरी फिकर धुंधला गई देख मेरी नज़र आ जा न.. आजा साँझ ः
क्या बताऊँ माँ कहाँ हूँ मैं.. यहां उड़ने को मेरे खुला आसमान है तेरे क़िस्सों जैसे भोला सलोना जहाँ है यहां सपनों वाला मेरी पतंग हो बेफिक्र उड़ रही है माँ डोर
तेरी राह टेक आंखियां जाने कैसा कैसा होये जिया तेरी राह टेक आंखियां जाने कैसा कैसा होये जिया..
धीरे-धीरे आँगन उतरे अँधेरा मेरा डीप कहाँ.. ढलके सूरज करे इशारे चंदा तू है कहाँ मेरे चंदा तू है कहाँ लुका चुप्पी बहुत हुई सामने आ जा न.. कहाँ कहाँ
कैसे तुझको दिखाऊं यहाँ है क्या मैंने झरने से पानी माँ तोड़ के पिया है गुच्छा-गुच्छा कई ख़्वाबों का उछाल के छुआ है छाया लिया भलि धुप यहाँ है नया नया सा ह
ो.. ो... ो.. [आलाप..]
आजा साँझ हुई मुझे तेरी फिकर धुंधला गई देख मेरी नज़र आ जा न.. आजा साँझ हुई मुझे तेरी फिकर धुंधला गई देख मेरी नज़र आ जा न..