ना शिवा है कोई ना कोई गिला है गीत ऑफ अमर (1 9 54): यह अमरिप दिलीप कुमार, निम्मी, मधुबाला और जयंत अभिनीत अमर का एक प्यारा गीत है। यह लता मंगेशकर द्वारा गाया जाता है और नौशाद द्वारा रचित है।
अमर (Amar )
न शिकवा है कोई न कोई गिला है क्ष २ सलामत रहे तू यह मेरी दुआ है न शिकवा है कोई
बहुत ही कठिन हैं मोहब्बत के राहें बहुत ही कठिन हैं मोहब्बत के राहें ज़रा बचके चलना ज़माना बुरा है न शिकवा है कोई
अजब तेरी महफ़िल में देखा तमाशा कहीं रौशनी है
मुबारक तुझे हो तेरे दिल की दुनिया मेरी ज़िन्दगी का कोई ग़म न करना मुबारक तुझे हो तेरे दिल की दुनिया मेरी ज़िन्दगी का कोई ग़म न करना कोई ग़म न करना यह सब गर्दिशें हा